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इलाहाबाद HC के एक और जज विवादों में, रेप के आरोपी को बेल दी और कहा- 'पीड़िता भी जिम्मेदार'

जस्टिस संजय कुमार ने कहा, “अगर पीड़िता के आरोप सच भी माने जाएं, तो भी यह कहा जा सकता है कि उसने खुद ही मुसीबत को बुलाया और वो भी इसके लिए जिम्मेदार है.” कोर्ट ने यह तर्क भी दिया कि पीड़िता के बयान में ऐसा ही रुख दिखता है.

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रेप मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने की टिप्पणी. (Allahabad High Court)

इलाहाबाद हाई कोर्ट और इसके एक और जज बहस का विषय बन गए हैं. वजह है रेप के मामले में उनकी टिप्पणी. जस्टिस संजय कुमार ने रेप के आरोपी को जमानत देते हुए कह दिया कि इसके लिए ‘पीड़िता भी जिम्मेदार है और उसने खुद ही आफत को न्योता’ दिया. हालांकि, कोर्ट ने साफ किया कि जमानत आदेश की टिप्पणियां जमानत के मुद्दे से जुड़ी हैं. इनका केस के ट्रायल पर कोई असर नहीं होगा.

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ये मामला नोएडा की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली छात्रा से जुड़ा है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल पीड़िता दिल्ली के हौज खास स्थित एक बार में एक शख्स से मिली थी. उसने आरोप लगाया कि वो नशे की हालत में थी जिसका फायदा उठाकर आरोपी ने उसके साथ ‘दो बार रेप’ किया. इस मामले में आरोपी को दिसंबर 2024 में गिरफ्तार किया गया था.

नोएडा पुलिस को दी शिकायत में पीड़िता ने बताया कि वो शराब पीकर नशे में थी और आरोपी उसके करीब आ रहा था. पीड़िता ने पुलिस को बताया कि वे सुबह 3 बजे तक बार में रहे और आरोपी उसे अपने साथ चलने के लिए कहता रहा.

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पीड़िता ने शिकायत में आगे कहा कि वो आरोपी के कहने पर उसके साथ, उसके घर 'आराम करने' के लिए जाने को तैयार हो गई. उसने आगे आरोप लगाया कि वो रास्ते में उसे ‘गलत तरीके से’ छूता रहा और नोएडा में अपने घर ले जाने के बजाय गुरुग्राम में एक रिश्तेदार के फ्लैट में ले गया. पीड़िता का आरोप है कि यहां आरोपी ने उसके साथ बलात्कार किया.

इसके बाद पीड़िता नोएडा पुलिस के पास गई और रेप की शिकायत दर्ज कराई. उसकी शिकायत पर 23 सितंबर, 2024 को नोएडा सेक्टर 126 थाने में FIR दर्ज की गई. पुलिस ने 11 दिसंबर, 2024 को आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया.

बाद में आरोपी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की. उसने दावा किया कि उसके और पीड़िता के बीच ‘सहमति से’ संबंध बने थे और यह बलात्कार का मामला नहीं था. आरोपी ने यह भी कहा कि महिला ने अपनी मर्जी से उसके साथ जाने का फैसला किया था. वहीं आरोपी के वकील ने भी दावा किया कि पीड़िता मर्जी से अपनी सहेलियों और उनके मेल फ्रेंड्स के साथ दिल्ली के एक बार में गई थी. 

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जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा, “पीड़िता मास्टर्स डिग्री की छात्रा है, इसलिए पुलिस के सामने उसने जो भी कहा वो बताता है कि वो अपनी गतिविधियों की नैतिकता और अहमियत समझने के काबिल है.”

इसके बाद जस्टिस संजय कुमार ने जो कहा, उसी पर बवाल मच गया है. रिपोर्ट के मुताबिक न्यायाधीश ने कहा, “अगर पीड़िता के आरोप सच भी माने जाएं, तो भी यह कहा जा सकता है कि उसने खुद ही मुसीबत को बुलाया और वो भी इसके लिए जिम्मेदार है.” कोर्ट ने यह तर्क भी दिया कि पीड़िता के बयान में ऐसा ही रुख दिखता है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि मेडिकल जांच में पीड़िता का हाइमन टूटा हुआ पाया गया था, लेकिन डॉक्टर ने किसी तरह के यौन हमले की बात रिपोर्ट में नहीं की. इसके आधार पर कोर्ट ने आरोपी को शर्तों के साथ जमानत देने का फैसला किया.

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