अलीगढ़ मॉब लिंचिंग मामले में हिंदू आरोपियों पर कार्रवाई हुई तो हिंदू महासभा के लोगों ने पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया. 2 जून को SSP दफ्तर के बाहर हिंदू महासभा ने विरोध जताया. दावा किया कि पुलिस निर्दोष लोगों को भी गिरफ्तार कर रही है. जमकर नारेबाजी हुई. इसी बीच SSP संजीव सुमन दफ्तर से निकलकर आए, और हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं को जमकर हड़का दिया. संजीव सुमन ने साफ कहा कि उन पर किसी भी तरह के दबाव का असर नहीं होगा, वो किसी के भी दबाव में नहीं आएंगे. संजीव सुमन का ये रुख नया नहीं है. इससे पहले भी कथित तौर पर नेतागिरी चमकाने वालों के खिलाफ उन्होंने सख्ती दिखाई है.
कौन हैं SSP संजीव सुमन जो हिंदू महासभा के दबाए नहीं दबे?
Aligarh SSP Sanjiv Suman 2014 बैच के IPS अधिकारी हैं. उनके पिता का नाम महेश्वर तिवारी है. संजीव सुमन मूलरूप से बिहार के खगड़िया जिले के रहने वाले हैं. हिंदू महासभा के लोगों को डांटने का उनका रुख नया नहीं है. इससे पहले भी कथित तौर पर नेतागिरी चमकाने वालों के खिलाफ उनका सख्त रुख देखा गया है.

दरअसल, मामला अलीगढ़ का है, जहां कुछ दिन पहले गौमांस ले जाने के शक में मुस्लिम मीट व्यापारियों के साथ मारपीट की गई थी. बाद में लैब टेस्ट में पता चला कि मीट गौमांस नहीं था. इस मामले में पुलिस ने दोनों तरफ से मुकदमे दर्ज किए. हिंदू संगठनों से जुड़े 4 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. मांस कारोबारियों को पीटने वाले और अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है.
हिंदू महासभा से जुड़े लोगों का आरोप है कि मामले में निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है. इसे लेकर संगठन के लोग प्रदर्शन करने एसएसपी दफ्तर के सामने पहुंचे तो पुलिस अधिकारी ने सबको 'कानून का कायदा' याद दिला दिया. संजीव सुमन ने कहा,
कौन हैं SSP संजीव सुमन?“अगर आप लोग मुझ पर दबाव बनाना चाह रहे हैं तो नहीं बना पाएंगे. एक व्यवस्था बनी हुई है. मैं बात करने के लिए तैयार हूं. मैं मीटिंग छोड़कर यहां बैठा हूं. अगर आपको लगता है कि चीख-चिल्लाकर आप मुझे दबा लेंगे. जैसा आप कहेंगे वैसा मैं करने लगूंगा तो ऐसा नहीं होने वाला है. या तो आप बात करने के लिए अंदर आइए. नहीं तो बात नहीं होगी. फिर आप जो चाहे वो करने के लिए स्वतंत्र हैं.”
संजीव सुमन संजीव सुमन मूलरूप से बिहार के खगड़िया जिले के रहने वाले हैं. वे 2014 बैच के IPS अधिकारी हैं. उनके पिता का नाम महेश्वर तिवारी है. संजीव ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) रूड़की से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया है.
बीटेक के बाद संजीव ने प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की. लेकिन बाद में सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी. शुरुआती अटेम्प्ट में वो असफल रहे, लेकिन आखिरकार उनका सेलेक्शन भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में हो गया. संजीव सुमन की पहली तैनाती 2016 में बतौर एएसपी बागपत में हुई. 2018 में उन्हें एडिशनल एसपी वेस्ट बनाकर कानपुर भेजा गया. 2019 में उन्हें बागपत का एसपी यानी पुलिस कप्तान बनाया गया. बतौर पुलिस कप्तान यह उनकी पहली पुलिस पोस्टिंग थी.
2020 में संजीव सुमन को लखनऊ डीएसपी पूर्व की तैनाती मिली. लखनऊ की ही बात है. 2021 में कोराना काल चल रहा था, जिसमें कड़ी पाबंदियां थीं. शादी को लेकर भी सरकार की सख्त गाइडलाइंस थीं. इसी दौरान यूपी पुलिस के कुछ सिपाही अपने दोस्त की शादी में शामिल होने गए थे. उनके लौटने पर संजीव सुमन ने उन्हें पांच किलोमीटर दौड़ने की सजा दी थी.
2021 में ही उनका ट्रांसफर लखीमपुर खीरी में हो गया. वहां के एसपी रहते हुए उनके कार्यकाल में दलित समुदाय की दो सगी बहनों की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. उनके शवों को पेड़ पर लटकाया गया था.
इस घटना का कुछ लोग विरोध करते हैं. संजीव सुमन उन्हें समझाते हैं, और व्यवस्था खराब ना करने की दुहाई देते हैं. इस बीच एक शख्स पर संजीव सुमन भड़क जाते हैं. उससे कहते हैं,
"मैं सही बात बोल रहा हूं, ये 'नेतागिरी' कर रहे हैं यहां पर. सबके सामने खुलेआम बोल रहा हूं मैं कि 'नेतागिरी' कर रहे हो. पूरे समाज के साथ हम लोग हैं. व्यवस्था, नियम, कानून को मत छेड़िए."
इस घटना का वीडियो वायरल होने पर सोशल मीडिया पर उन्हें काफी ट्रोल किया गया था.
इसके बाद उनका SSP बनने का नंबर आया. सरकार ने उन्हें मुजफ्फरनगर का SSP बनाकर भेजा. 2023 में कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों की यूपी पुलिस के साथ कुछ कहासुनी हो गई थी. संजीव सुमन ने खुद मौके पर पहुंचकर हालात को संभाला. उन्होंने नाराज कांवड़ियों को मनाया और उनके साथ जमकर डांस किया. उनकी इस कार्यशैली की काफी तारीफ हुई.
जनवरी 2024 में उनका तबादला अलीगढ़ हो गया. SSP अलीगढ़ के पद पर रहते हुए अनुशासनहीन पुलिसकर्मियों को उनके गुस्से का सामना करना पड़ा. सुबह की परेड के दौरान ठीक से दाढ़ी ना शेव करने वाले पुलिसकर्मियों को उन्होंने राइफल लेकर दौड़ाया.
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