दिल्ली बम ब्लास्ट के बाद एक यूनिवर्सिटी सुर्खियों में है. नाम है अल-फलाह यूनिवर्सिटी. हरियाणा के फरीदाबाद जिले में बनी यह यूनिवर्सिटी करीब 70 एकड़ में फैली हुई है. हमले के मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी समेत कई आरोपी इसी यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए थे. 10 नवंबर की शाम हुए धमाकों की जांच की कड़ी अब इस यूनिवर्सिटी तक पहुंच गई है. जांच एजेंसियों को शक है कि धमाके से जुड़े कई सुराग यहां से मिल सकते हैं.
अल-फलाह यूनिवर्सिटी से कैसे जुड़े हैं दिल्ली बम ब्लास्ट के तार? ट्रस्ट के पैसे से होती है फंडिंग
Haryana के Faridabad जिले में बनी Al-Falah University करीब 70 एकड़ में फैली हुई है. हमले के मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी समेत कई आरोपी इसी यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए थे.
.webp?width=360)

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच के लिए पहुंची टीम ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के 52 से ज्यादा स्टाफ और छात्रों से पूछताछ की, जबकि 6 लोगों को हिरासत में लिया गया. इसमें कुछ यूनिवर्सिटी के स्टाफ और रिसर्च स्कॉलर्स भी शामिल हैं.
10 नवंबर की शाम दिल्ली में लाल किला के पास हुंडई i20 कार में बम धमाका हुआ. इस धमाके में डॉ. उमर नबी का नाम भी सामने आया. आरोप है कि कार को वही चला रहा था, जो पहले से फरार था. डॉ. उमर फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में फैकल्टी था.
इससे पहले, डॉ. मुज़म्मिल शकील को अल-फलाह यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने फरीदाबाद में डॉ. शकील के किराए के कमरे से अमोनियम नाइट्रेट के 2,900 किलोग्राम विस्फोटक यानी एक्सप्लोसिव बरामद किया था. वहीं, डॉ. शाहीन शाहिद भी इसी यूनिवर्सिटी से जुड़ी थीं. जिनके बारे में खुफिया एजेंसियों का मानना था कि वे डॉ. शकील के साथ मिलकर काम करती हैं और जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग की मुखिया हैं.
अल-फलाह यूनिवर्सिटीफरीदाबाद के धौल गांव में यह यूनिवर्सिटी करीब 70 एकड़ में फैली हुई है. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के मुताबिक, इसकी स्थापना हरियाणा विधानसभा की तरफ से हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत की गई थी. 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के तौर पर इस यूनिवर्सिटी की शुरुआत हुई थी. लेकिन 2014 में, हरियाणा सरकार ने इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया. प्रोफेसर (डॉ.) मोहम्मद परवेज इस यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार हैं और डॉ. भूपिंदर कौर आनंद इसकी वाइस चांसलर हैं.
अल-फलाह मेडिकल कॉलेज भी इस यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड यानी संबद्ध है. 2013 में, अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज को UGC की नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) ने 'A' कैटेगरी की मान्यता दी.
कई एक्सपर्ट मानते हैं कि अपने शुरुआती सालों में, अल-फलाह यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक छात्रों के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया के एक बेहतरीन विकल्प के तौर पर पेश किया गया. यह यूनिवर्सिटी, जामिया से केवल 30 किलोमीटर की दूरी पर है.
इस यूनिवर्सिटी का मैनेजमेंट अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट करता है. इस ट्रस्ट की स्थापना 1995 में हुई थी.जवाद अहमद सिद्दीकी इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. मुफ़्ती अब्दुल्ला कासिमी एम ए इसके उपाध्यक्ष और मोहम्मद वाजिद डीएमई इसके सचिव हैं.
ये भी पढ़ें: श्रीनगर में चस्पा पोस्टर्स, डॉक्टरों से जुड़ा आतंकी मॉड्यूल...दिल्ली ब्लास्ट की कहानी यहां से शुरू होती है!
अरबी भाषा का शब्द अल-फलाह
अल-फलाह एक अरबी भाषा का शब्द है. इस शब्द का अर्थ सफलता, मुक्ति या मोक्ष है. इस्लाम धर्म में इस शब्द का इस्तेमाल अल्लाह के बताए गए मार्ग पर चलकर मुक्ति पाने वाले व्यक्ति के लिए किया जाता है. अल-फलाह’ शब्द का जिक्र अजान में भी आता है, जब कहा जाता है- 'हय्या अलल-फलाह', जिसका अर्थ है कि सफलता की ओर आओ.
वीडियो: दिल्ली कार ब्लास्ट: मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी को अनंतनाग सरकारी मेडिकल कॉलेज से क्यों निकाला?




















