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आयकर विभाग ने अजित पवार की संपत्तियां रिलीज कीं, बेनामी संपत्ति मामले में दिया आदेश

Ajit Pawar और उनके परिवार से जुड़ा ये मामला 7 अक्टूबर, 2021 का है. कई जगहों पर छापेमारी हुई थी. आयकर विभाग ने दावा किया था कि उसे ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनसे बेनामी स्वामित्व वाली कुछ संपत्तियों पर Ajit Pawar और उनकी फैमिली का कब्जा होने का पता चलता है. तो फिर कैसे Ajit Pawar को न्यायाधिकरण से क्लीन चिट मिल गई?

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ये मामला 7 अक्टूबर, 2021 का है. तब कई जगहों पर छापेमारी हुई थी | फाइल फोटो: इंडिया टुडे
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अरविंद ओझा

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार को बड़ी राहत मिली है. शुक्रवार, 6 दिसंबर को आयकर विभाग ने सीज की गईं उनकी सभी सम्पत्तियों को मुक्त कर दिया है. आयकर विभाग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता को ये राहत बेनामी संपत्ति रोकथाम अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले के बाद दी है. बीते महीने न्यायाधिकरण ने अजित पवार और उनके परिवार के खिलाफ बेनामी संपत्ति के स्वामित्व के आरोपों को खारिज कर दिया था.

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आजतक से जुड़े अरविंद ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक अजित पवार और उनके परिवार से जुड़ा ये मामला 7 अक्टूबर, 2021 का है. उसदिन आयकर विभाग ने कई कंपनियों पर छापे मारे थे. तब अधिकारियों ने बेनामी संपत्ति रोकथाम अधिनियम (PBPP) के तहत 1,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियां जब्त की थीं. इस कार्रवाई में महाराष्ट्र में अजित पवार से जुड़े लोगों के आवासों और कार्यालयों की तलाशी ली गई थी, जिसमें उनके रिश्तेदार, बहनें और करीबी सहयोगी शामिल थे. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक जब्त की गई कोई भी संपत्ति सीधे तौर पर अजित पवार के नाम पर रजिस्टर नहीं थी.

कुर्क की गई संपत्तियों में महाराष्ट्र के सतारा में स्थित जरंदेश्वर शुगर फैक्ट्री, मुंबई में एक आधिकारिक परिसर, दिल्ली में एक फ्लैट, गोवा में एक रिसॉर्ट और महाराष्ट्र में 27 अलग-अलग जगहों पर मौजूद कई प्लॉट शामिल हैं.

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न्यायाधिकरण में कौन सी बात साबित नहीं हो सकी?

जब ये छापेमारी हुई थी तब दावा किया गया था कि छापेमारी में ऐसे दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनसे बेनामी स्वामित्व वाली कुछ संपत्तियों पर अजित पवार और उनकी फैमिली का कब्जा होने का पता चलता है. हालांकि, ये बात न्यायाधिकरण के सामने साबित नहीं हो सकी, क्योंकि सुनवाई के दौरान पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जा सके.

5 नवंबर 2024 को न्यायाधिकरण ने आयकर विभाग द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा,

जो दस्तावेज पेश किए गए हैं, उनमें कोई अनियमितता नहीं पाई गई है. अपीलकर्ता द्वारा प्रस्तुत सामग्री कोई बेनामी लेनदेन नहीं दिखाती है.

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न्यायाधिकरण ने आगे कहा कि संबंधित संपत्तियों के लिए सभी भुगतान वैध चैनलों के माध्यम से किये गए थे. ये या तो बैंकिंग प्रणाली या कानून में मौजूद अन्य वैध तरीकों से किए गए थे.

इस दौरान न्यायाधिकरण ने ये भी कहा कि दस्तावेजों को देखकर ये नहीं लगता कि अजीत पवार, उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार और बेटे पार्थ पवार ने बेनामी संपत्ति खरीदने के लिए पैसा ट्रांसफर किया था. इसके बाद न्यायाधिकरण ने आयकर अधिकारियों द्वारा 2021 में जब्त की गई संपत्तियों को मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया.

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