5 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में से 2 सीटें आम आदमी पार्टी (AAP) के खाते में आईं. इसमें एक सीट पंजाब की लुधियाना वेस्ट भी है. इस सीट पर पार्टी ने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को उतारा और वो जीते भी. इसके साथ ही राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा तेज हो गई कि पार्टी उनकी जगह किसे राज्यसभा भेजेगी. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के नाम पर कयास लगाए जाने लगे. लेकिन पार्टी ने इस मसले पर कोई बयान हीं दिया है.
AAP किसे भेजेगी राज्यसभा? केजरीवाल बोले- मैं कहीं नहीं जा रहा
Arvind Kejriwal और Manish Sisodia में से किसी को एक राज्यसभा भेजने की चर्चा गर्म है. लेकिन आम आदमी पार्टी ने इस पर चुप्पी बनाए रखी है.

23 जून को उपचुनावों के परिणाम आने के बाद जब केजरीवाल से राज्यसभा जाने को लेकर सवाल पूछा गया था तो उन्होंने इनकार करते हुए कहा,
केजरीवाल नहीं जा रहा रहा. आप (मीडिया) मुझे पहले भी कई बार वहां भेज चुके हैं. कौन जाएगा इसका फैसला पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (PAC) करेगी.
2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिली थी. इसके बाद पार्टी ने संजीव अरोड़ा को राज्यसभा भेजा था. लेकिन इस साल की शुरुआत में पार्टी ने अरोड़ा को लुधियाना वेस्ट से उपचुनाव में उतारने का एलान किया. यह सीट AAP विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन खाली हुई थी. इस सीट पर केजरीवाल कई हफ्तों से अरोड़ा के लिए प्रचार भी कर रहे थे.
इसी बीच अटकलों को भी बल मिला कि केजरीवाल राज्यसभा में उनकी जगह ले सकते हैं. लेकिन पार्टी ने फरवरी में भी केजरीवाल के राज्यसभा जाने की बात से इनकार किया था. AAP प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने उस समय कहा था,
जहां तक अरविंद केजरीवाल का सवाल है, पहले मीडिया ने कहा था कि वे पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे. अब वे कह रहे हैं कि वह पंजाब से राज्यसभा जाएंगे. मीडिया के सूत्र बिल्कुल गलत हैं.
फरवरी से अब तक आम आदमी पार्टी के लिए काफी कुछ बदल गया है. AAP दिल्ली के साथ-साथ दिल्ली नगर निगम में भी सत्ता से हाथ धो चुकी है. पार्टी अब सिर्फ़ पंजाब में सत्ता में है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पार्टी के अंदरुनी सूत्रों के हवाले से बताया गया कि राज्यसभा सीट पर फैसला बेहद महत्वपूर्ण है और जल्द होने वाला है.
रिपोर्ट में केजरीवाल के राज्यसभा भेजे जाने पक्षधर एक सीनियर AAP नेता के हवाले से लिखा है,
केजरीवाल एक ऐसे नेता हैं जिनकी राष्ट्रीय प्रासंगिकता और राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं हैं. पार्टी की सफलता के लिए उन्हें दिखाई देना और प्रासंगिक बने रहना चाहिए. राज्यसभा में उनके जाने का मतलब होगा विपक्षी नेताओं के साथ बेहतर तालमेल. इससे उन्हें I.N.D.I.A. ब्लॉक में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, सभी इसके लिए सहमत नहीं हैं. AAP के एक अन्य नेता ने कहा कि केजरीवाल जैसे कद के नेता के लिए राज्यसभा नहीं है. उन्होंने कहा,
केजरीवाल चुनावी अपील वाले जनता के नेता हैं. अगर उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर जाना है तो उन्हें लोकसभा के ज़रिए जाना चाहिए. पार्टी ने पहले भी साफ किया है कि वह ऐसा नहीं करेंगे.
AAP नेता ने कहा कि सिसोदिया राज्यसभा के लिए ज़्यादा बेहतर ऑपशन हो सकते हैं. पार्टी के भीतर कई लोगों ने सहमति जताई कि सिसोदिया को राज्यसभा भेजना चाहिए. आप के एक विधायक ने कहा,
खुद सीट न लेकर और सिसोदिया जी को राज्यसभा भेजकर केजरीवाल राज्य में दिल्ली नेतृत्व की गैर-मौजूदगी के बारे में किसी भी नकारात्मक चर्चा को दबा सकते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि सिसोदिया जी पहले भी पंजाब के प्रभारी रह चुके हैं और अब भी उस ज़िम्मेदारी को निभा रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, आखिरी फैसले राज्य नेतृत्व (पंजाब) की सहमति से ही लेने की बात की जा रही है. फैसला उन पर थोपा नहीं जा सकता. अख़बार ने AAP के एक अंदरुनी सूत्र के हवाले से कहा,
फिलहाल पार्टी की सबसे बड़ी प्राथमिकता पंजाब विधानसभा चुनाव (2027 में) तक राज्य में ठीक-ढंग से सरकार चलाना है. दिल्ली के नेताओं को पंजाब में इम्पोर्ट करने के मुद्दे को विपक्ष लगातार उठा रहा है. ऐसे में दिल्ली के किसी नेता को राज्यसभा भेजना उल्टा पड़ सकता है. पंजाब से किसी नेता को चुना जा सकता है.
AAP नेता ने कहा कि केजरीवाल, सिसोदिया और सत्येंद्र जैन सहित पार्टी के टॉप नेताओं को किसी प्लैटफॉर्म की ज़रूरत नहीं है. भले ही वह राज्यसभा ही क्यों न हो. ख़ासकर केजरीवाल को अपनी बात रखने के लिए कोई मंच नहीं चाहिए. इसके लिए सोशल मीडिया ही काफी है.
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