ट्रेलर से पहले पोस्टर देखकर कुछ बातें दिमाग में साफ हो गई थीं. मसलन मुख्य पोस्टर के बड़े हिस्से में शाहिद और कंगना एक दूसरे के करीब हैं. निचले हिस्से में युद्ध के मैदान में भागते हुए शाहिद हैं. दोनों हिस्सों के बीच फिल्म का नाम लिखा है जिसमें तीन शब्द लिखे हुए हैं. जिनका मतलब है प्यार, युद्ध और धोखा. इसके बाद फिल्म की कहानी के बारे में ज़्यादातर बातें साफ हो जाती हैं.
अब बात ट्रेलर की.
ट्रेलर हवाई जहाज के आसमान से लिये गए सीन से शुरू होता है. गोलियां चलती हैं, लोग भागते हैं. इसके बाद एक्सट्रीम वाइड शॉट में देश की आज़ादी वाले विज़ुअल्स दिखते हैं. लगता है कि फिल्म युद्ध और आज़ादी की बात होगी मगर तभी मुंबई के इरोज़ सिनेमा का सीन स्क्रीन पर आता है और ट्रेलर फियरलेस नाडिया का अहसास देती कंगना पर शिफ्ट हो जाता है. इसके बाद में पूरे ट्रेलर में कंगना ही छाई हैं. घोड़े पर बैठे हुए भी, शाहिद के साथ कीचड़ में सनी हुई भी, सैफ के साथ रोमांस करते हुए, गाली देते, लिप-लॉक करते, आंशिक रूप से फ्रंटल टॉपलेस होते हुए पूरे ट्रेलर में आगे हर जगह कंगना ही छाई हैं. 'रंगून' कंगना के ऐक्टिंग करियर में क्या उपलब्धियां जोड़ेगी ये तो फिल्म की रिलीज़ के बाद ही पता चलेगा मगर ट्रेलर में कुछ ऐसी बातें हैं जो पहले ही थोड़ा सा निराश करती हैं, खास तौर पर निर्देशक के स्तर पर. जैसे 40 के दशक के आभिजात्य वर्ग के कपड़ों से हैट और सस्पेंडर गायब हैं, अखबार की कॉपी में कंप्यूटर का कोकिला फॉन्ट है. ऊपर से अंग्रेज़ीदां मुंबई में हिंदी अखबार क्यों है वो भी समझ से परे है. साथ ही जितना ध्यान स्टार्स की पोशाकों पर दिया गया है उतना स्पेशल एफेक्ट्स पर नहीं दिया गया है. खास तौर पर ब्लास्ट और आग लगने के सीन बनावटी से लगते हैं. साथ ही अगर आप हॉलीवुड की फिल्मों के शौकीन हैं तो आपको कई जगहों पर लगेगा कि काफी कुछ देखा हुआ सा है. कुल मिला कर बात ये है कि सिर्फ ट्रेलर देखकर कोई धारणा बनाना गलत होगा मगर विशाल भारद्वाज की फिल्मों जैसी उम्मीद आमतौर पर रखी जाती है, फिल्म उनपर खरी उतरेगी या नहीं इस पर विचार करना पड़ेगा. https://www.youtube.com/watch?v=B-tC0wcIu24ये भी पढ़ें :