07 जुलाई 2021 की सुबह का आगाज़ एक युग के अंत के साथ हुआ. अभिनेता दिलीप कुमार के सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जन्नतनशी होने की खबर मिली. देश भर में शोक की लहर दौड़ गई. दिलीप साब अब सुपुर्द-ए-खाक हो चुके हैं. लेकिन पीछे छोड़ गए हैं अपने कुशल अभिनय का एक बेहद ही ‘सुहाना सफ़र’. एक ऐसा सफ़र जिसकी हर फ़िल्म एक मील का पत्थर है. अभिनेताओं के लिए उनकी फ़िल्में वो कुंजी है जिसके सहारे अदायगी की बारीकियां सीखी जा सकती हैं. तो वहीं एक आम दर्शक उनके जीवन से संवेदना, उदारता और इंसानियत का पाठ सीख सकता है. यूसुफ खान एक ऐसे अदाकार, जो अपनी आत्मकथा सिर्फ इसलिए नहीं लिखना चाहते थे क्यूंकि उन्हें बार-बार ‘I’ शब्द का इस्तेमाल करना पड़ता. वो ‘मैं’ में नहीं ‘हम’ में यकीन रखते थे. वो नाम में नहीं काम में यकीन रखते थे. जितने गहरे वो असल जीवन में थे वैसे ही गहरे किरदार उन्होंने रुपहले पर्दे पर निभाए. आज हमने दिलीप साब की याद में उनके कुछ यादगार किरदारों के संवादों को एक जगह एकत्रित किया है. आप भी पढ़ें. #1मुझे तो होश नहीं आप ही मशविरा दीजिए, कहां से छेड़ूं फसाना कहां तमाम करूं
