1986 में एक फिल्म आई थी. नाम था Top Gun. टॉम क्रूज़ की ब्रेक आउट फिल्म रही थी. 36 साल बाद उस फिल्म का सीक्वल आया है. नाम है- Top Gun- Maverick. रिलीज़ से ऐन पहले 2022 कान फिल्म फेस्टिवल में इसका वर्ल्ड प्रीमियर किया गया था. पहली और दूसरी फिल्म के बीच टॉम क्रूज़ ने हॉलीवुड एक्शन फिल्मों को अलग मुकाम पर पहुंचाया है. क्योंकि उनकी फिल्मों में जो भी एक्शन सीक्वेंस होते हैं, वो असल में शूट किए जाते हैं. कंप्यूटर पर बैठकर बनाए नहीं जाते.
फिल्म रिव्यू- टॉप गन: मैवरिक
'टॉप गन- मैवरिक' एक घिसी हुई कहानी है. मगर इस कमज़ोरी को उसकी फ्रेश और चकाचक पैकेजिंग ढंक लेती है. इस फिल्म का एक ही मक़सद है, वो है एंटरटेनमेंट. 'टॉप गन- मैवरिक' वो काम कर देती है.


मगर दूसरी तरफ से देखें, तो Top Gun- Maverick टॉम क्रूज़ के आज के दौर में भी प्रासंगिक बने रहने की कवायद सी लगती है. फिल्म में एक डायलॉग है, जब एडमिरल सिम्पसन मैवरिक को कहते हैं-
''The future is here and you’re not in it.''
यानी, हम भविष्य में आ चुके हैं और तुम इसका हिस्सा नहीं हो.
इसके जवाब में मैवरिक उन्हें कहता है-
''Maybe so, sir! But not today.''
यानी, हो सकता है सर. मगर आज तो मैं हूं.
ये कहने-सुनने के लिहाज़ से बड़ी फिल्मी लाइन है. मगर टॉम क्रूज़ के करियर और लेगेसी के संदर्भ में काफी हद तक फिट बैठती है. मगर अच्छी बात ये है कि करियर के जिस पड़ाव पर आकर लोग थोड़ा रिलैक्स करना चाहते हैं, वही टॉम क्रूज़ दनादन 'मिशन इम्पॉशिबल' करने में लगे हुए हैं. वैसी ही एक इम्पॉशिबल मिशन की कहानी है 'टॉप गम-मैवरिक'. फिल्म का ट्रेलर आप यहां देख सकते हैं-
ये कहानी ओरिजिनल फिल्म के 30 साल बाद घटती है. कैप्टन पीट मिशेल उर्फ मैवरिक अपने साथी निक ब्रैडशॉ के गुज़रने का ग़म नहीं भुला पाया है. अब भी यू.एस नेवी में टेस्ट पायलट के तौर पर काम कर रहा है. ठीक इसी समय उसके पुराने साथी एडमिरल आइसमैन उसे कुछ पायलटों को ट्रेन करने के लिए टॉपगन बुलाते हैं. टॉपगन, यूएस का एक डिफेंस प्रोग्राम है, जिसमें चुनिंदा पायलटों को खास ट्रेनिंग दी जाती है. ताकि हवाई युद्ध में वो फाइटर पायलट्स दुश्मन सेना को करारा जवाब दे पाएं.
अमेरिका से सटे एक देश है, जिसका नाम फिल्म में नहीं बताया गया. उस देश में एक यूरेनियम फैसिलिटी है, जो अमेरिकी के लिए घातक हो सकती है. मगर उस लोकेशन तक पहुंचना बहुत मुश्किल है. क्योंकि वो फैसिलिटी दो पहाड़ों के बीच, जमीन के भीतर बनी हुई है. उस इलाके को गार्ड करने के लिए कई मिसाइलें लगी हुईं. उस इलाके से किसी प्लेन के गुज़रते ही वो मिसाइल उन्हें मार गिराएंगी. इस मिशन के लिए टॉपगन से 10 फाइटर पायलट चुने जाते हैं, जिन्हें मैवरिक ट्रेनिंग देता है. इन 10 पायलटो में उसके पुराने दोस्त निक ब्रैडशॉ का बेटा रूस्टर भी शामिल है. मैवरिक इन लोगों को ट्रेन तो करता है. मगर वो श्योर नहीं है कि वो लोग इस मिशन को पूरा कर पाएंगे. इतनी भूमिका के बाद ये अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल नहीं है कि अल्टीमेटली इस मिशन को मैवरिक खुद पूरा करेगा. मगर वो ये सब कैसे करता है, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

'टॉप गन- मैवरिक' कोई ऐसी फिल्म नहीं है, जो आपको सन्न कर देगी. या आपको कुछ ऐसा दिखा देगी कि आप हतप्रभ होकर सिनेमाघरों से बाहर आएंगे. मगर इस फिल्म को देखने के दौरान कोई भी ऐसा मौका नहीं आता, जब आप एक पल को भी बोरियत महसूस करें. 'टॉप गन- मैवरिक' की खासियत ये है कि वो एक औसत कहानी पर कायदे से बनी हुई फिल्म है. अपने यहां कुछ समय से ऐसी फिल्में बन रही हैं, जो फैल जाती हैं. मगर सैटिसफाइंग तरीके से खुद को समेट नहीं पाती. 'टॉप गन- मैवरिक' को देखने के बाद आपको ये शिकायत नहीं रहती है. हर डिपार्टमेंट कसा हुआ है. कहीं से कुछ लीक नहीं हो रहा. इसलिए ये फिल्म दर्शकों के लिए काम करती है.

'टॉप गन- मैवरिक' में ढेर सारे प्लेन वाले हवाई सीक्वेंस हैं. फिल्म के एक बड़े हिस्से में डॉगफाइट (हवा में फाइटर प्लेन्स की लड़ाई) देखने को मिलता है. हैरानी तब होती है, जब पता चलता है कि ये सबकुछ असल में शूट किया गया है. VFX की मदद नहीं लगी गई. इस तरह के सभी सीन्स फिल्म देखने के अनुभव को रिच करते हैं. आपको हवाई लड़ाई देखकर थ्रिल आ रहा है. उस लड़ाई के बीच आपको लोगों के आपसी इक्वेशन के बारे में पता चल रहा है. बैकस्टोरीज़ सामने आ रही हैं. मसले सुलझ रहे हैं. यानी फिल्म आपको लगातार अपने साथ एंगेज करके रखती है.

जैसा कि हमने पहले बताया 'टॉप गन- मैवरिक' की कहानी ऐसी बिल्कुल नहीं है, जो आपके होश उड़ा दे. मगर इसका मतलब ये नहीं कि ये फिल्म खामीप्रूफ है. 'टॉप गन' की सबसे बड़ी खामी ये है कि, ये एक टेंप्लेट फॉलो करती है. एक नायक है, जिसे चुका हुआ मान लिया गया है. उसका खास दोस्त है, जो हेल्प करता है. एक प्रोफेशनल दुश्मन है, जो पहले तो उससे नफरत करता है. मगर फिल्म के आखिर में हीरो का लोहा मान जाता है. और इस सब के साथ हीरो अपना खोया सम्मान भी वापस पा लेता है. मतलब थोड़े-बहुत हेरफेर के साथ इस टेंप्लेट पर सैकड़ों फिल्में बनी हैं. 'टॉप गन' सेम यही चीज़ करती है. जिससे आप निराश होते हैं. हालांकि फिर भी इस फिल्म से बासीपन की बू नहीं आती. क्योंकि इसे फ्रेश तरीके से पैकेज किया गया.

ये प्रेडिक्टेबल फिल्म है. आप समझ जाते हैं कि क्या होने वाला है. बावजूद इसके आप उसे अपनी आंखों के सामने घटते हुए देखना चाहते हैं. क्योंकि फिल्म में जो कुछ भी हो रहा है, वो टॉम क्रूज़ कर रहे हैं. ये चीज़ कई मौकों पर फिल्म के खिलाफ चली जाती है. होता क्या है कि सारा फोकस टॉम क्रूज़ पर होने की वजह से अन्य किरदारों के बारे में आपको ज़्यादा पता नहीं चल पाता. फिल्म में 'व्हिप्लैश' फेम माइल्स टेलर ने रूस्टर यानी ब्रैडली ब्रैडशॉ का रोल किया है. मैवरिक के अलावा ये इकलौता कैरेक्टर है, जिसके बारे में आप कुछ बातें जान पाते हैं. वो भी इसलिए क्योंकि इस किरदार का 1986 वाली फिल्म से डायरेक्ट कनेक्शन है.

ये अगली चीज़ है, जो 'टॉप गन' में खटकती है. 'टॉप गन- मैवरिक' को आप तभी देख सकते हैं, जब आपने ओरिजिनल फिल्म देखी हो. क्योंकि फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर से लेकर कई अन्य मौकों पर पिछली फिल्म का रेफरेंस आता है. इनफैक्ट मैवरिक और रूस्टर के बीच जो भी पंगा है, वो पिछली फिल्म में हुआ था. इस फिल्म में आपको उसका नतीजा देखने को मिलता है. इस फिल्म में टॉम क्रूज़ और माइल्स टेलर के साथ एड हैरिस, जॉन हैम, जेनीफर कॉनेली और ग्लेन पॉवल जैसे एक्टर्स भी नज़र आते हैं.
कुल मिलाकर बात ये है कि 'टॉप गन- मैवरिक' एक घिसी हुई कहानी है. मगर इस कमज़ोरी को उसकी फ्रेश और चकाचक पैकेजिंग ढंक लेती है. इस फिल्म का एक ही मक़सद है, वो है एंटरटेनमेंट. 'टॉप गन- मैवरिक' वो काम कर देती है. मगर कुछ नया या मीनिंगफुल सिनेमा देखना चाहते हैं, तो 'टॉप गन' से आपको वो नहीं मिल पाएगा.
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