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दुनिया में भारतीय सिनेमा का डंका बजाने वाले इस फिल्मकार की 10 बातें सबको सुननी चाहिए

सत्यजीत राय की वजह से भारत की फ़िल्मों को दुनियाभर में पहचाना मिली.

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सत्यजीत राय ने दुनिया भर में भारत के सिनेमा की पहचान बनाई

सत्यजीत राय (2 मई 1921 - 23 अप्रैल 1992 ). जिनकी वजह से दुनिया ने भारत के सिनेमा को जाना. राय अकेले भारतीय हैं, जिसे लाइफ टाइम अचीवमेंट का ऑस्कर दिया गया, जबकि उनकी कोई फ़िल्म कभी किसी ऑस्कर में नॉमिनेट भी नहीं हुई थी. 1992 में उन्हें ये स्पेशल ऑस्कर अवॉर्ड दिया गया था. वे बीमार थे और कलकत्ता के बेल व्यू क्लिनिक में भर्ती थे. वहां जा नहीं सकते थे, इसलिए एकेडमी अवॉर्ड्स के सदस्य कलकत्ता आकर उन्हें अवॉर्ड दिया. आज सत्यजीत राय की बरसी है. उनकी कही वो दस बातें सुनिए, जो सत्यजीत का पूरी दुनिया को सबक़ है -

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#1 मैं निश्चित रूप से बम्बई के एक्टर्स जितना धनी नहीं हूं. लेकिन मैं आराम से जी सकता हूं. मुझे बस इतना ही चाहिए. मैं वो किताबें और रिकॉर्ड ख़रीद सकता हूं, जो चाहता हूं. Ray 01 Copy #2 निर्देशक इकलौता शख्स होता है, जिसे मालूम होता है कि उसकी फ़िल्म किस बारे में है. Ray 02 Copy #3 सिनेमा की ख़ासियत ये है कि वो इंसानी दिमाग़ के सबसे बारीक संवाद को भी पर्दे पर उतार सकता है. Ray 03 Copy #4 सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है. Ray 04 Copy #5 कोई भी समाधान तब वाक़ई समाधान होता है, जब उसमें आप ख़ुद को खोज लेते हैं. Ray 05 Copy #6 अगर आपकी थीम साधारण है, तो आप उसमें सैकड़ों ऐसे तत्व जोड़ सकते हैं, जो सच्चाई के भ्रम को और बेहतर दिखा सकते हैं. Ray 06 Copy #7 जब मैं ओरिजिनल स्टोरी लिखता हूं, तो मैं उन लोगों के बारे में लिखता हूं, जिन्हें मैं जानता हूं, जिन्हें ख़ुद पहचानता हूं. मैं उन्नीसवीं शताब्दी की कहानियां नहीं लिखता. Ray 07 Copy #8 'बाइसाइकिल थीव्ज़' सिनेमा के मूल सिद्धांतों की एक शानदार खोज है. Ray 08 Copy #9 जैसे ही आपकी कहानी में कोई नया किरदार आता है, आपको उसकी शक्ल और कपड़ों के बारे में बताना ही चाहिए, वरना पाठक ख़ुद से कल्पना कर लेगा Ray 09 Copy #10 'Dominus Omnium Magister' इसका मतलब होता है 'भगवान हर चीज़ का मालिक है' Ray 10 Copy
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