मेरे पापा को दो ही हीरोइन पसंद थीं. एक तो जया भादुरी (बच्चन) और दूसरी शबाना आज़मी. वजह जब भी पूछतीं तो कहते, 'बस अच्छी लगती है.' दूरदर्शन पर जब इतवार को एक सीरीज में शबाना आज़मी की फिल्में आतीं, तबके हमारे बालमन को वो दिन सजा सा लगता. पापा भी बैठाकर शबाना और जया की फिल्में दिखाते थे. धीरे-धीरे जब हम बड़े हुए, सिनेमा थोड़ा बहुत समझने लगे तो समझ आया कि शबाना आजमी तो बहुतै कमाल एक्टर हैं. यूं ही नहीं, पापा पालथी जमाए बैठे रहते थे. खैर अतीत लौटते हैं. 18 सितंबर को शबाना आज़मी का हैप्पी वाला बड्डे होता है. आपका ज्यादा वक्त नहीं लेंगे, बस शबाना आज़मी के बारे में कुछ काम की बातें बताएंगे.1. जहां की बिरयानी फेमस है, शबाना का वो होमटाउन है. बोले तो हैदराबाद. 18 सितंबर को कैफी आजमी और शौकत आजमी के घर शबाना की किलकारियां गूंजी थी. साल था 1950. संविधान लागू होने का साल. 2. अब्बू इनके कविताएं लिखते थे और अम्मी इंडियन थिएटर की आर्टिस्ट. इसके अलावा दोनों कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के मेंबर भी थे. दोनों के गुण शबाना को भी मिले. तभी तो इतनी मंझी हुई हीरोइन बनीं शबाना, जो जब पर्दे पर आती तो लगता, किरदार पर्दा फाड़कर बाहर आ जाएगा. 3. शबाना ने अपनी शुरुआती पढ़ाई क़्वीन मैरी स्कूल मुंबई से की है. उन्होंने मनोविज्ञान (Psychology) में ग्रेजुएशन मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से किया है. शबाना ने एक्टिंग का कोर्स फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टिटीयूट ऑफ इंडिया (Film and Television Institute of India), पुणे से किया. 4. शबाना फिल्म में जया भादुरी के लिए आना चाहती थी. उन्होंने जया की फिल्म सुमन देखी थी. फिल्म में जया की एक्टिंग उन्हें खूब भायी. लिहाजा शबाना ने फैसला लिया कि FTTI में एडमिशन लेंगी. ये 1972 की बात है. अपने बैच की टॉपर रही थीं शबाना. 5. इनकी पहली मूवी थी अंकुर. साल 1974 में आई थी. इसके डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने भी फिल्मों में अपना खाता ही खोला था. इसमें आज़मी ने ब्याही नौकरानी का रोल प्ले किया था. जो बाद में एक कॉलेज स्टूडेंट के प्यार में पड़ जाती है.
इस फिल्म के लिए शबाना डायरेक्टर्स की पहली पसंद नहीं थी. पर उस वक्त की टॉप हिरोइनों ने जब मूवी के लिए मना कर दिया तो उनके पास आज़मी को लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था. फिल्म में शानदार परफॉरमेंस के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड दिया गया था.6. शबाना एक से दो हुईं 1984 में. 9 दिसंबर का दिन था. पता दूल्हा कौन था? अरे अपने फरहान अख्तर के पापा जावेद अख्तर. हिंदी सिनेमा के जाने-माने गीतकार, कवि और स्क्रिप्ट-राइटर. शबाना के पेरेंट्स को इस शादी से ऐतराज था. क्योंकि ये उनकी बिटिया की पहली शादी थी लेकिन जावेद साहब की दूसरी. उनके दो बच्चे भी थे. पर प्यार अतीत नाम का कॉलम कहां देखता है.

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