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वेब सीरीज़ रिव्यू: द ब्रोकन न्यूज़

सोनाली बेंद्रे इस सीरीज़ की हाइलाइट थीं. फिर भी वो पोस्टर गर्ल नहीं बनती. अपने किरदार को अंडरप्ले करती हैं. जितनी ज़रूरत है, सिर्फ उतना ही उभरकर आती हैं. मतलब कंट्रोल में दिखती हैं

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ये शो सिर्फ दो न्यूज़ चैनल्स के कॉन्ट्रास्ट की कहानी नहीं.

ज़ी5 पर एक नई सीरीज़ रिलीज़ हुई है, ‘द ब्रोकन न्यूज़’. ये ब्रिटिश टीवी शो ‘प्रेस’ का इंडियन अडैप्टेशन है. पहले भी फॉरेन शोज़ को अपने यहां बनाया गया है, तो फिर इसमें क्या खास है. माधुरी दीक्षित, सुष्मिता सेन और रवीना टंडन के बाद अब सोनाली बेंद्रे ने भी अपना डिजिटल डेब्यू कर लिया है. उन्होंने ‘द ब्रोकन न्यूज़’ में अमीना कुरेशी नाम का कैरेक्टर निभाया है, जो ‘आवाज़ भारती’ न्यूज़ चैनल की एडिटर है. सोनाली बेंद्रे के अलावा शो में जयदीप अहलावत और श्रिया पिलगांवकर ने भी मेजर रोल्स निभाए हैं. इस सीरीज़ को डिवेलप और डायरेक्ट किया है विनय वैकुल ने. ‘द ब्रोकन न्यूज़’ आपका टाइम डिज़र्व करता है या नहीं, आज के रिव्यू में उसी पर बात करेंगे.  

दो न्यूज़ चैनल हैं, आवाज़ भारती और जोश 24x7. एक ही बिल्डिंग में दोनों का दफ्तर है. एक की एडिटर है अमीना, दूसरे का एडिटर है दीपांकर सान्याल. एक अपने चैनल पर वॉर्म ब्लू कलर इस्तेमाल करता है. दूसरा भड़कीला लाल रंग. एक की हेडलाइन में मिर्च-मसाला नहीं होता. दूसरे की हेडलाइन में ‘गाने पर झूमी बिल्ली’. एक ऑफिस में जर्नलिस्ट कम्फर्टेबल कपड़ों में दिखेंगे. और दूसरे में फॉर्मल्स पहने, वो भी शर्ट टक की हुई. ये फर्क है अमीना और दीपांकर ने न्यूज़रूम में. वो न्यूज़रूम, जहां आपको कैमरा लाइव होने से पहले की दुनिया दिखती है. वो स्टोरी के डेड एंड पर आने का स्ट्रेस, वो ब्रेकिंग न्यूज़ डे की भागदौड़. शो उनकी दुनिया दिखाता है. साथ ही हाइलाइट करता है उनके रोल को, कि कैसे उनकी ब्रेकिंग न्यूज़ ओपीनियन बदलने और बनाने का काम करती है.  

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अमीना के रोल में सोनाली बेंद्रे. 

जब किसी भी फिल्म या शो को अडैप्ट किया जाता है तो एक समस्या रहती है, कि मेकर्स उसे अपने कॉन्टेक्स्ट में ढाल नहीं पाते. यहां वो शिकायत दूर हुई है. अगर आप हिंदुस्तान के फेवरेट पासटाइम यानी टीवी न्यूज़ से अवगत रहते होंगे, तो शो से काफी कुछ पकड़ पाएंगे. जैसे किसी का पाकिस्तानी कनेक्शन निकाल लेना, उसे टेररिस्ट करार दे देना. हर फिल्म या शो की पॉलिटिक्स होती है, बस ये शो अपनी पॉलिटिक्स को आप पर थोपता नहीं, उसे ऑब्वीयस नहीं होने देता. ऐसे में संबित मिश्रा की राइटिंग भी हेल्प करती है. शो से कुछ अच्छे डायलॉग्स आपको बताते हैं,

या तो तुम एक अच्छी रिपोर्टर बन सकती हो, या फिर पर्सनल ज़िंदगी जी सकती हो. दोनों साथ नहीं चल सकते.

मीडियावाले हैं हम. लोगों को हम से डर लगना चाहिए, हमें लोगों से नहीं.

‘द ब्रोकन न्यूज़’ में जयदीप अहलावत ने दीपांकर का रोल किया है. दीपांकर रुथलेस है. जो चाहिए, वो लेकर रहता है. अपने प्रोफेशन में मान-मर्यादा जैसी बातें नहीं आने देता. न्यूज़ ढूंढने की जगह बनाने को गलत नहीं मानता. ज़ाहिर तौर पर उसका चैनल टीआरपी चार्ट पर फोड़ रहा है. दूसरी तरफ है अमीना. जो फीलिंग पर नहीं, फैक्ट पर भरोसा करती है. न्यूज़ को सनसनी नहीं बनाती. आप समझ जाइए कि उसके चैनल का हाल कैसा चल रहा होगा. दीपांकर और अमीना के बीच है राधा. जो रुथलेस होने के मामले में दीपांकर जैसी है, लेकिन सिर्फ सच्चाई तक पहुंचने में.

शो के शुरुआत में आपको लगेगा कि कैरेक्टर्स को फिक्स ट्रेट देकर छोड़ दिया गया है. कि ऐसा है तो ऐसा करेगा. पर ऐसा नहीं है. यहां किरदार परत-दर-परत खुलते हैं. आप उन्हें उनकी चॉइसेज़ से समझते हैं. कैसे सही होते हुए भी आप हर बार सही चुनाव नहीं कर सकते. आप सही भले ही हों, पर बाकी सब उसे समझौता करार देंगे. ऐसे में अपने चुनावों के साथ आप खुद को अकेला पाते हैं. इसी अकेलेपन और अपने चुनाव के परिणामों के साथ अमीना रहती है. अमीना जो अपने एथिक्स के हिसाब से चलना चाहती है, लेकिन चल नहीं पाती. क्योंकि ये आदर्श दुनिया नहीं. सोनाली बेंद्रे ने अमीना के किरदार से कमबैक किया है. मैंने ये रिव्यू भी उनके नाम से शुरू किया. वो इस सीरीज़ की हाइलाइट थीं. फिर भी वो पोस्टर गर्ल नहीं बनती. अपने किरदार को अंडरप्ले करती हैं. जितनी ज़रूरत है, सिर्फ उतना ही उभरकर आती हैं. मतलब कंट्रोल में दिखती हैं.  

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दीपांकर एथिक्स जैसी बातों को नहीं मानता. 

अमीना का किरदार अंडरप्ले किया हुआ इसलिए लगता है, ताकि कोई और उभरकर आगे आ सके. वो हैं राधा बनी श्रिया पिलगांवकर. राधा में एक बेचैनी दिखती है, कि उसे किसी भी तरीके से रिज़ल्ट पर पहुंचना है. शो के पहले एपिसोड से लेकर आठवें तक किसी भी पॉइंट पर श्रिया अपने कैरेक्टर को ब्रेक करती हुई नहीं दिखती. यही जयदीप अहलावत के लिए भी कहना गलत नहीं होगा. वो टीवी पर जो ज़हर उगलता है, उसे देखकर उस पर गुस्सा आएगा. लेकिन धीरे-धीरे जब उसकी पर्सनल लाइफ उधड़ने लगती है, तब आप उसके प्रति संवेदना रखने लगते हैं. उसकी लाइफ और वो परफेक्ट नहीं, लेकिन हम में कितने लोग अपने लिए इससे विपरीत बात कह सकते हैं. सीरीज़ जब खत्म होती है तब आप डिसाइड नहीं कर पाते कि दीपांकर से नफरत करें या हमदर्दी रखें. ऐसा काम किया है जयदीप अहलावत ने.

‘द ब्रोकन न्यूज़’ की स्टोरीलाइन सिर्फ मीडियाहाउस के बिहाइंड-द-सीन की कहानी नहीं. इसे दो हिस्सों में बांटा जा सकता है. पहला तो टीवी न्यूज़ और उसका इम्पैक्ट, और दूसरा एक क्राइम थ्रिलर. दूसरा वाला हिस्सा मेरे लिए काम नहीं कर पाया, क्योंकि कुछ चीज़ें प्रेडिक्टेबल होने लगती है. फिर भी मैं एपिसोड्स देखता जा रहा था. इसलिए नहीं कि सस्पेंस में जी रहा था. बल्कि इसलिए कि टीवी न्यूज़ की जो सच्चाई देख रहा था, वो डरावनी थी. ऐसी सच्चाई जो सिर्फ मीडियावालों को ही नहीं, बल्कि आम जनता को भी देखनी चाहिए. 

वीडियो: वेब सीरीज़ रिव्यू: बेताल