ऐसी क्या खास कहानी थी उधम सिंह की?
खास तो तब लगेगा, जब कहानी जानेंगे. तो कहानी ये है कि 10 अप्रैल, 1919 को रॉलैट एक्ट लगा दिया गया था. इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल द्वारा पास किया गया वो ऐक्ट, जो पुलिस को किसी को भी गिरफ्तार कर लेने और बिना ट्रायल कितने भी समय तक जेल में रखने की आज़ादी देता था. इसे ब्लैक एक्ट भी कहा जाता था. बहुत सारे लोगों को इसके बारे में पता नहीं था. इसी दौरान सत्या पाल और सैफुद्दीन किचलू जैसे पंजाब के लोकल नेताओं को अरेस्ट कर लिया गया. लोगों में इस बात को लेकर गुस्सा था. 13 अप्रैल को बैसाखी का पर्व मनाने और इस गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए अमृतसर के जलियांवाला बाग में कोई 20,000 लोग इकट्ठा हए. उस भीड़ में कई जवान लड़के भी मौजूद थे, जो वहां आए लोगों को चाय-पानी पिला रहे थे. इन्हीं में से एक उधम सिंह भी थे. इस बात की भनक पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ ड्वेयर को लग गई. उसने ब्रिगेडियर जनरल डायर के अंडर एक टीम भेजी. जिस बाग में ये फंक्शन चल रहा था. उस बाग में कुल पांच रास्ते थे. डायर ने इन गेटों पर अपने सैनिक खड़े कर निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलवाईं. बताया जाता है कि इस घटना में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गई थीं, जिसमें हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए और 1500 लोग घायल हो गए थे.

जलियांवाला बाग हत्याकांड में हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए थे और डेढ़ हज़ार लोग घायल हो गए थे.
उधम सिंह ने इस घटना का बदला लेने की बात मन में ठान ली. वो देश में बैन की जा चुकी लेकिन बाहर से ऑपरेट हो रही गदर पार्टी के साथ जुड़ गए. 1927 में इंडिया लौटे और बिना लाइसेंस के बंदूक, असलहा और बैन गदर पार्टी के जरूरी डॉक्यूमेंट रखने के जुर्म में पांच साल के लिए जेल चले गए. 1931 में जेल से निकलने के बाद अंग्रेज़ों की नज़र से दूर रहने के लिए कश्मीर गए और फिर वहां से जर्मनी होते हुए लंदन पहुंच गए. लंदन पहुंचकर उन्होंने इंजीनियर की नौकरी कर ली. साथ ही साथ वो लगातार ड्वैयर से बदला लेने की प्लानिंग भी करते रहे. 13 मार्च, 1940 को ईस्ट इंडिया असोसिएशन की मीटिंग थी, जहां ड्वेयर का भी भाषण होना था. उधम सिंह को ये मौका ठीक लगा. उन्होंने पब में लंदन के एक सैनिक से रिवॉल्वर खरीदी थी, उसे अपने जैकेट में छुपाया और मीटिंग हॉल में घुस गए. जैसे ही ड्वेयर बोलने के लिए स्टेज की ओर बढ़े उधम सिंह ने उन्हें दो गोली मारी. और भागे भी नहीं.

उत्तराखंड में उधम सिंह के सम्मान में एक जिले का नाम उधम सिंह रखा गया है. साथ ही कई जगह पर उनकी हाथ में रिवॉल्वर ली हुई मूर्तियां भी लगी हुई हैं.
इसके बाद उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया गया. अपने ट्रायल का इंतज़ार करते हुए वो 42 दिन जेल में अनशन पर रहे, जिसके बाद उन्हें जबरदस्ती खाना खिलाना पड़ा. 4 जून, 1940 को उन्हें कोर्ट के सामने पेश किया गया, जहां उन्होंने बताया कि ये जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला था. और ड्वेयर ने जो किया था, उसके लिए उसे यही सज़ा मिलनी चाहिए. माइकल ओ ड्वेयर को मारने के जुर्म में उन्हें लंदन के कोर्ट में सज़ा-ए-मौत मुकर्रर हुई. इसके बाद उन्होंने कोर्ट के सामने एक भाषण दिया, जिसे कोर्ट के आदेश पर कभी मीडिया में नहीं आने दिया गया. इतने सब के बाद 31 जुलाई, 1940 को उन्हें लंदन के पेंटनविल जेल में फांसी दे दी गई.
कौन-कौन है फिल्म में?
फिलहाल तो विकी कौशल का ही नाम सामने आया है, जो उधम सिंह का किरदार निभाएंगे. पहले खबरें थीं कि ये रोल रणबीर कपूर को ऑफर किया गया था. बाद में ये सुई इरफान खान पर गई. शूजीत सरकार लगातार उनसे बातचीत कर रहे थे. इरफान भी फिल्म में काम करने को तैयार थे. इसी बीच वो बीमार हो गए. तब से लगातार आ रहीं रिपोर्ट्स में ये कहा गया कि इरफान शहीद उधम सिंह बायोपिक से ही बीमारी से लौटने के बाद वापसी करने वाले हैं. लेकिन शूजीत के मुताबिक इरफान बीमारी से लौटने के बाद तुरंत फिज़िकली मुश्किल फिल्मों में काम नहीं करना चाहते. इसलिए लेटेस्ट और फाइनल खबर ये है कि अब इस फिल्म में विकी कौशल काम कर रहे हैं. फिल्म में लीड के अलावा भी कई और हिस्टॉरिकल कैरेक्टर्स के लिए स्पेस है. ऐसे में उन किरदारों की कास्टिंग भी काफी दिलचस्प होगी.

कई रिपोर्ट्स के मुताबिक इरफान जल्द ही अपनी अगली फिल्म 'हिंदी मीडियम 2' की शूटिंग शुरू करने वाले हैं.
पिछले 20 सालों से ये फिल्म बनाना चाहते हैं शूजीत सरकार
शूजीत सरकार ने जनवरी 2017 में पीटीआई से बात करते हुए इस फिल्म के बारे में बात की थी. शूजीत ने बताया था कि 90 के दशक में जब वो दिल्ली में रहा करते थे, तब उनका एक बार अमृतसर जाना हुआ, जहां उन्होंने गोल्डन टेंपल और जलियांवाला बाग देखा. वहां जाने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि यहां क्या कुछ घटा होगा और इस चीज़ ने उन्हें इमोशनली हिला दिया. इसके बाद उन्होंने शहीद उधम सिंह की कहानी पर फिल्म बनाने की बात सोची. मुंबई आने के बाद वो अपनी पहली फिल्म में यही कहानी दिखाना चाहते थे लेकिन पीरियड फिल्म होने की वजह से उन्हें लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन अब वो इस स्थिति में है कि ये फिल्म बनाई जा सके. फिल्म अनाउंसमेंट का ट्वीट आप नीचे देख सकते हैं:
शूजीत इससे पहले 'विकी डोनर' (2012), 'मद्रास कैफे' (2013), 'पीकू' (2015) और 'अक्टूबर' (2018) जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने 'पिंक' जैसी फिल्म प्रोड्यूस भी की है.
कब आएगी ये फिल्म?
फिल्म की शूटिंग अगले महीने से शुरू होगी. और 2020 में इसके रिलीज़ होने की संभानाएं हैं. फिलहाल विकी करण जौहर की पीरियड ड्रामा 'तख्त' और एक अनाम हॉरर फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं.
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