कुछ ISRO साइंटिस्ट लोगों ने दावा किया है कि फिल्म 'रॉकेट्री- द नंबी इफेक्ट' में दिखाई गई चीज़ें शत-प्रतिशत सही नहीं हैं. बुधवार को तिरुवनंतपुरम में ISRO साइंटिस्ट के एक ग्रुप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें उन्होंने बताया कि नंबी नारायण की गिरफ्तारी की वजह से क्रायोजेनिक इंजन विकसित करने में देरी नहीं हुई है. न ही देश को किसी तरह का आर्थिक नुकसान हुआ. उन्होंने ये भी बताया कि उन्हें ये प्रेस कॉन्फ्रेंस इसलिए करनी पड़ रही है क्योंकि नंबी पर बेस्ड फिल्म में कई ऐसी चीज़ें दिखाई गई हैं, जो सच नहीं हैं.
नंबी नारायणन के साथ काम करने वाले ISRO साइंटिस्ट ने बताया, 'रॉकेट्री' फिल्म में झूठी चीज़ें दिखाई गईं
बुधवार को तिरुवनंतपुरम में कुछ ISRO साइंटिस्ट के एक ग्रुप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने दावा किया कि 'रॉकेट्री' में कई ऐसी चीज़ें दिखाई गई हैं, जो सच नहीं हैं.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रेस मीट में एक इसरो साइंटिस्ट ने बताया-
''ISRO ने 80 के दशक में खुद का क्रायोजेनिक इंजन विकसित करने पर काम शुरू किया. उस प्रोजेक्ट के इंचार्ज EVS नंबुदरी थे. नंबुदरी के ग्रुप ने मिलकर 12 वॉल्यूम डेवलप कर लिए थे. तब तक क्रायोजेनिक्स के साथ नंबी नारायण का कोई लेना-देना नहीं था. बाद में वासुदेव जी गांधी ने क्रायोजेनिक इंजन बनाने का काम शुरू किया. नंबी उस टीम का भी हिस्सा नहीं थे.''
इस प्रेस मीट में उन्होंने आगे बताया कि फिल्म में दिखाया गया है कि विक्रम साराभाई ने नंबी को प्रेस्टन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए भेजा था. जो कि गलत है. नंबी को LPSC डायरेक्टर मुथुनायकम ने अमेरिका भेजा था. नंबी नारायण ने 1968 में टेक्निकल असिस्टेंट के तौर पर ISRO जॉइन किया था. तब उन्होंने सिर्फ कुछ महीनों के लिए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के अंडर काम किया था. मगर फिल्म में दिखाया गया कि नंबी नारायण ने कलाम की गलतियां सुधारीं.

इस पीसी में पूर्व LPSC डायरेक्टर मुथुनायकम भी शामिल थे. उन्होंने नंबी नारायण और फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा-
''1990 में जब क्रायोजेनिक प्रोपल्सन सिस्टम प्रोजेक्ट शुरू हुआ, तब मैंने नंबी नारायण को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त किया था.''
वैज्ञानिकों ने इस बातचीत में आगे बताया कि नंबी ने ये भी दावा किया कि विकास इंजन उन्होंने डेवलप किया था. जो कि तथ्यात्मक रूप से गलत है. क्योंकि वो इंजन फ्रांस की वाइकिंग इंजन की मदद से विकसित किया गया. वो साइंटिस्ट लोगों की एक बड़ी टीम की मदद से सफल हुआ था. 1974 में फ्रेंच सरकार के साथ एक करार हुआ. नंबी नारायण फ्रांस जाने वाले उस ग्रुप के मैनेजर थे. साइंटिस्ट लोग बताते हैं कि फ्रांस में नंबी ने सिर्फ मैनेजर वाला काम किया. टेक्निकल काम अन्य लोगों ने किया था.
1994 में देश के सीक्रेट्स बेचने के आरोप में नंबी नारायण को गिरफ्तार किया गया था. हालांकि इस मामले की गहन जांच-पड़ताल के बाद नंबी नारायण को आरोप मुक्त कर दिया गया. नंबी इसे अपने करियर पर धब्बा बताते हैं. अब उन्हें लोग उनके काम नहीं, देश का सीक्रेट बेचने का आरोप झेलने वाले साइंटिस्ट के तौर पर जानते हैं. नंबी नारायण की इसी कहानी से प्रेरित होकर एक्टर आर माधवन ने उनके ऊपर फिल्म बनाई. माधवन ने इस फिल्म को डायरेक्ट करने के साथ उसमें नंबी का किरदार भी निभाया था. फिल्म के हिंदी वर्जन में शाहरुख खान भी एक छोटी भूमिका में नज़र आते हैं.