21 अप्रैल 2017 (अपडेटेड: 21 अप्रैल 2017, 09:14 AM IST)
"गर्मी बहुत है." बार बार ये कहने से भी गर्मी कम नहीं हो रही है. बहुत ज्यादा बढ़ गई है. इतनी ज्यादा गर्मी है कि टोकरी में रखे आलुओं पर पानी डाल दो. वो उबल कर बाहर आ जाते हैं. ऐसे में आदमी चाहे काम धंधे में लगा हो. चाहे फिरी फोकट बइठा हो. उसके मन में तरह तरह के खयाल आते हैं. आदमी थोड़ा शायराना टाइप का हो तो उसका दर्द एकदम महाकाव्य टाइप का हो जाता है. देखो कइसे खयाल आते हैं. थोड़ा नजाकत से पढ़ना ऐं.
1:2:3:4:5:6:7:8: