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लोग कहते थे 'तिरंगा' फिल्म में दो सरफिरे हैं, ये पिक्चर कभी बन नहीं पाएगी: नाना पाटेकर

Tirangaa Movie के किस्से सुनाते-सुनाते नाना बोले, बस इस फिल्म का लॉजिक कभी मत पूछना.

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नाना पाटेकर ने बताया सेट पर राजकुमार उन्हें निर्देश दिया करते थे.

Nana Patekar. एक्टर और राइटर हैं. समाज सेवा करने में ज़्यादा विश्वास रखते हैं. नाना का फिल्मी सफर इतना वृहद है कि इसे एक-दो पन्नों में समेटना नामुमकिन है. उन्होंने अपने करियर में इतनी शानदार फिल्में दी हैं जो ना सिर्फ हिंदी सिनेमा के लिए कल्ट बनीं बल्कि लोगों के दिलो-दिमाग में भी जा बैठीं. नाना ने कई जॉनर की फिल्में की. एक्शन किया, ड्रामा किया, रोमांस और कॉमेडी भी की. और सभी में अव्वल हो गए. नाना की फिल्में और उनके डायलॉग्स मीम कल्चर का भी हिस्सा रहे. ऐसी ही उनकी एक फिल्म थी साल 1993 में आई 'तिरंगा'. जिसमें नाना पाटेकर ने राजकुमार और दीपर शिर्के जैसे एक्टर्स के साथ काम किया. बीते दिनों नाना पाटेकर दी लल्लनटॉप के स्पेशल प्रोग्राम 'गेस्ट इन द न्यूज़रूम' के 100वें एपिसोड में बतौर गेस्ट आए. जहां उन्होंने 'तिरंगा' फिल्म के कुछ किस्से बताए.

उस वक्त मीडिया में खबरें चलती थीं कि तिरंगा के सेट पर नाना पाटेकर, डायरेक्टर मेहुल कुमार को निर्देश दिया करते थे. उन्होंने कहा था कि कोई भी सीन चेंज नहीं होगा. मगर जब नाना से इस बारे में पूछा गया तो वो बोले,

''नहीं ऐसा कुछ नहीं था. ये पूरी उल्टी बात है. उस वक्त सेट पर राजकुमार हम लोगों को आदेश दिया करते थे. वो कहते थे, नाना ये-ये सीन है. मेहुल आएगा तो ये सारे सीन देख लेना और सही करवा देना. ऐसे ही मत करो. कुछ लिख के वो लाएगा तो कुछ भी मत शूट करो. चेक करके करो. फिर शूट करो.''

नाना पाटेकर ने एक किस्सा भी सुनाया जब उन्होंने राजकुमार को केले के फूल की सब्ज़ी खिलाई. नाना बताते हैं कि एक बार वो घर से मां के हाथ की बनी केले के फूल की सब्ज़ी लेकर गए थे. सेट पर जब राजकुमार मिले तो उन्होंने नाना की सब्ज़ी खाई और बोले,

''मां, जी को कहना कीमा बहुत अच्छा था.''

तो नाना बोले,

ये कीमा नहीं है, केले की सब्ज़ी है.

राजकुमार बोले,

''नहीं, नहीं जानी, ये तो कीमा ही है.''

नाना पाटेकर ने कहा,

''राजकुमार कभी कुछ गंदा लफ्ज़ नहीं बोलते थे. चाहे जितना भी गुस्सा हो जाएं. उस वक्त के मीडिया में ये बातें चलती थीं कि ये फिल्म बनेगी ही नहीं. फिल्म में दो सरफिरे हैं. मगर ऐसा नहीं है. हम तो उनके पैर छूते थे.''

नाना पाटेकर ने हंसते हुए कहा,

'' तिरंगा फिल्म का लॉजिक कभी मत पूछना. क्योंकि झूठ इतने कन्वेक्शन के साथ बोलो की लगे कि सच है ये. वैसी ही फिल्म है ये.''

नाना पाटेकर ने अपनी फिल्म क्रांतिवीर के वक्त की भी बात की. जो उस वक्त के बॉम्ब ब्लास्ट पर बनी थी. उस वक्त के एक्सपीरिएंस पर वो फिल्म बनी थी. जब वो अकेले पूरे शहर में घूमा करते थे. नाना ने कहा कि उन्हें कभी किसी से दिक्कत नहीं हुई. बस ये सियासतदान उकसाते हैं और हम एक-दूसरे के सिर फोड़ते हैं.  

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