The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

ऐसे अनोखे थिएटर कहीं नहीं देखे होंगे, एक में रोने के लिए अलग कमरा है

आज आपको भारत के कुछ कूल और अलग कॉन्सेप्ट वाले थिएटर्स के बारे में बताते हैं.

post-main-image
आप भी कोई यूनीक थिएटर जानते हो तो बताएं.

आजकल आदमी पैसा देता है, तो उसे कुछ नया चाहिए. बिजनेसमैन और कम्पनीज़ इस बात को भलीभांति समझती हैं. इसलिए नए-नए तरह के कॉन्सेप्ट लेकर आती भी रहती हैं. कार से लेकर मोबाइल तक हर जगह इनोवेटिव आइडियाज़ का बोलबाला है. ऐसे ही कुछ कॉन्सेप्ट हैं, जो आजकल मूवी थिएटर वाले बाज़ार में उतार रहे हैं. कुछ कॉन्सेप्ट तो बहुत ज़्यादा सुविधाजनक भी हैं. थिएटर में पिक्चर देखी है कभी? मैं क्या ही सवाल पूछ रहा हूं, देखी ही होगी. तो ज़रा आइए आपको भारत के कुछ कूल और अलग कॉन्सेप्ट वाले थिएटर्स के बारे में बताते हैं.

क्राइंग रूम थिएटर
क्राइंग रूम वाला थिएटर

क्या आप थिएटर में छोटे बच्चों के रोने से परेशान हैं? उनकी चीं-पें आपके फ़िल्म एक्सपीरिएन्स में खलल डालती है. तो आ गया है एक ऐसा थिएटर जहां मिलेगा रोने वाला कमरा. चौंक गए ना. हम भी चौंक गए थे. पर ये सत्य है. केरल में एक सरकारी थिएटर है. जहां साउन्डप्रूफ 'क्राइंग रूम' का इंतजाम किया गया है. इसमें पैरेंट्स अपने बच्चों के साथ बैठकर फ़िल्म देख सकते हैं. माने नन्हे-मुन्नों के साथ पिक्चर भी देख ली और दूसरों को डिस्टर्ब भी नहीं किया. केरल स्टेट फ़िल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के कैराली थिएटर कॉम्प्लेक्स (तिरुअनंतपुरम) ने ये स्पेशल रूम बनाया है. यदि बच्चा रोता है, दूसरे दर्शकों को डिस्टर्ब करता है, मम्मी-पापा चुपचाप उठें और बच्चे को लेकर उस रूम में पहुंच जाएं. बच्चा जी भर के रोए. उस कमरे से आवाज़ बाहर नहीं आनी है. और तो और, रूम के अंदर पालना भी है, डायपर बदलने की सुविधा भी है. बच्चों का खयाल रखते हुए मस्त पिक्चर एन्जॉय करिए. 

प्ले हाउस थिएटर 
दिल्ली का प्ले हाउस थिएटर

प्ले हाउस थिएटर अपना भारतीय कॉन्सेप्ट है. पीवीआर सिनेमा वालों ने ये कॉन्सेप्ट निकाला है. ये बच्चों का थिएटर है. यहां बच्चों की फ़िल्में सिर्फ़ बच्चों को दिखाई जाती हैं. खासकर कार्टून वाली एनिमेटेड फ़िल्में. खास बात ये है कि ये फ़िल्में नॉर्मल थिएटर में ना दिखाकर एक स्पेशल कमरे में दिखाई जाती हैं. वहां रंग-बिरंगी सीटें हैं. तमाम तरह के खेलने के सामान हैं. स्लाइड है. बच्चे खेलें कूदे और फ़िल्में देखें. ये आपके नज़दीकी पीवीआर में उपलब्ध है. हालांकि सब जगह अभी ये सुविधा नहीं है. दिल्ली जैसे बड़े शहरों में ज़रूर है. 

ओमा सिनेमा 
ओपेरा थिएटर से प्रेरित 

लास वेगास में सिनेमाकॉन इवेंट हुआ. यहां दुनियाभर के मूवी थिएटर ओनर्स का जमावड़ा लगा. ये अनाउंसमेंट हुई कि पीवीआर सिनेमाज़ ओमा सिनेमाज़ के साथ हाथ मिला रहा है. इसके तहत ओपेरा हाउसेज से प्रेरित मूवी थिएटर डिसाइन किए जाएंगे. इसे फ्रेंच आर्किटेक्ट Pierre Chican ने डिसाइन किया है. इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के अनुसार Chicanपिछले 30 सालों से कई कटिंग एज थिएटर डिज़ाइन कर चुके हैं. इस बार उन्होंने ओपेरा होउस से प्रेरणा ली है. इसमें कई तलों की बाल्कनी होंगी. यानी टियर्ड बाल्कनी. एक के ऊपर एक बाल्कनी या इन्हें आप पॉड्स भी कह सकते हैं. इसके पायलेट प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है. इसे तैयार होने में करीब दो साल लगेंगे. इसके लिए कई तरह के अप्रूवल लेने होंगे क्योंकि इसमें 10 से 40 परसेंट तक की सीटें कम हो सकती हैं. ये निर्भर करेगा कि कितने पॉड हम एक स्क्रीन में रखते हैं. एक पॉड में तकरीबन 18 से 35 तक की सीटें होंगी. 

पीपल ट्री सिनेमा 
पीपल वाला थिएटर

ये बहुत यूनिक कॉन्सेप्ट तो नहीं है. जमाने से ये चला आ रहा है. पर्दे लगाकर गांवों में फ़िल्में दिखाई जाती थीं. इसी प्रयोग को अब कई सिनेमाज़ ने अपनाया है. बढ़िया आसमान के नीचे फ़िल्में देखिए. पुणे का एसएससी रिपब्लिक, दिल्ली का एसएससी मूवी अंडर द स्टार्स और भी ऐसे ही कई थिएटर हैं, जहां खुले में मूवी दिखाई जाती है. एसएससी का ही एक और थिएटर है, एसएससी पीपल ट्री (नई दिल्ली). बाबा खड़क सिंह मार्ग पर स्थित इस थिएटर में दो पीपल के पेड़ हैं, इनके बीच स्क्रीन है. इसके सामने बैठकर लोग मूवीज़ देखते हैं. आपकी जानकारी में भी ऐसे अनोखे थिएटर हों, तो कमेंट करें. 

दी सिनेमा शो: अक्षय की मराठी फिल्म से उनका लुक आया, लोग बोले, 200 साल पहले बल्ब कैसे जलाया?