Jugal Hansraj ने अपना करियर चाइल्ड एक्टर के तौर पर शुरू किया था. Masoom और Karma जैसी सफल फिल्मों में काम किया. लीडिंग मैन के तौर पर जुगल की पहली फिल्म थी 'आ गले लग जा'. फिर 'मोहब्बतें' आई. मगर उसके बाद जुगल का करियर ठहर सा गया. उन्हें कई फिल्में मिलीं. मगर उनमें से अधिकतर बन नहीं पाईं. हालिया इंटरव्यू में जुगल हंसराज ने सफलता से संघर्ष की ओर बढ़े अपने करियर पर बात की है. उन्होंने बताया कि मीडिया में उन्हें बहुत भला-बुरा कहा गया. मनहूस का ठप्पा लगा दिया गया. तब वो मात्र 18-19 साल के थे. जब उन्हें पता चलता कि उनकी एक और फिल्म बंद हो गई है, तो वो रो पड़ते थे.
'जब मेरी फिल्में नहीं बन रही थीं, तब रो पड़ता था'- जुगल हंसराज
'मोहब्बतें' फेम जुगल हंसराज ने कहा, ''ये इंडस्ट्री एक मुश्किल जगह है. लोग आपके प्रति कड़वे और क्रूर हो सकते हैं.''

जुगल हंसराज ने इन सभी मसलों पर ETimes को दिए इंटरव्यू में बात की है. जुगल ने कहा-
''फिल्मों की असफलता से डील करना मेरे लिए बेहद मुश्किल था. समीक्षक सिर्फ मेरे काम की आलोचना नहीं करते थे. बल्कि निजी तौर पर मुझ पर टिप्पणियां किया करते थे. मुझे कई नाम दे दिए गए थ. मेरे ऊपर मनहूस होने का लेबल चस्पा कर दिया गया था.''
जुगल ने 'आ गले लग जा' और 'मोहब्बतें' के बीच तीन फिल्मों में काम किया. मगर तीनों फ्लॉप रहीं. 'पापा कहते हैं' वो इकलौती फिल्म थी, जिसके बारे में थोड़ी बहुत बात हुई थी. 'द डॉन' और 'गुदगुदी' कब आईं, कब गईं, किसी को कानों कान खबर नहीं लगी. इन्हीं वजह से जुगल को चुका हुआ मान लिया गया था. 'मोहब्बतें' के बाद हालात बदलने की उम्मीद जगी. मगर आगे भी जुगल के लिए चीज़ें वर्क आउट नहीं हुईं. उन्होंने कई फिल्में साइन की. इस बारे में वो कहते हैं-
''बहुत सारी फिल्मों का प्रोडक्शन ही शुरू नहीं हुआ. जिसकी वजह से लोगों को मेरा मज़ाक बनाने का मौका मिल गया. जब भी मैं किसी दूसरे एक्टर की फिल्म के मुहूर्त पर जाता, तो वो मुझ पर कमेंट करते- 'जुगल को वैसे भी अपनी फिल्म का मुहूर्त अटेंड किए बहुत दिन हो गए.' शुरुआत में जब मेरी फिल्में नहीं बन रही थीं, तब मेरी आंखों में आंसू आ जाते थे. ये तब की बात है, जब मैं 18-19 साल का था. मगर समय के साथ मुझ पर इन चीज़ों का फर्क पड़ना बंद हो गया.
जब भी मुझे फोन आते कि मैंने जो फिल्म साइन की है, वो अब नहीं बन रही है. मैं उन्हें 'थैंक यू' बोलकर फोन रख देता था. मुझे कोई भाव महसूस होना बंद हो गया था. जब आप मेहनत से अपना काम करें और लोग आपके काम के बारे में उटपटांग कमेंट करें, वो थोड़ा मुश्किल होता है. कभी-कभी लोग इस चीज़ को पर्सनल ले जाते हैं, जो कि ग़ैर-ज़रूरी है. वो एक पिक्चर है. पसंद आए या न आए, हमें पर्सनल अटैक से बचना चाहिए.''
'मोहब्बतें' के बाद जुगल ने 'कभी खुशी कभी ग़म' में एक छोटा सा रोल किया. आगे लीड रोल में उनकी इक्का-दुक्का फिल्में आईं. मगर चली नहीं. इसके बाद जुगल ने बड़ी फिल्मों में सपोर्टिंग रोल्स करने शुरू किए. खासकर यशराज फिल्म्स के तहत बनी फिल्मों में. उन्होंने 'सलाम नमस्ते' और 'आज नचले' में काम किया. इसके बाद उन्होंने 'रोडसाइड रोमिया' और 'प्यार इम्पॉसिबल' नाम की फिल्में डायरेक्ट कीं. इन दोनों ही फिल्मों को YRF ने ही प्रोड्यूस किया था. दोनों ही फिल्में नहीं चलीं. उसके बाद जुगल फिल्मों से कुछ साल के लिए दूर हो गए.
2016 में उन्होंने सुजॉय घोष की फिल्म 'कहानी 2' से वापसी की. इस इंटरव्यू में जुगल ने फिल्म इंडस्ट्री के बारे में बात करते हुए कहा-
''ये इंडस्ट्री एक मुश्किल जगह है. लोग आपके प्रति कड़वे और क्रूर हो सकते हैं. मगर ये एक ऐसी सच्चाई है, जो आपको इस इंडस्ट्री में कदम रखते ही स्वीकार करनी पड़ती है. ये फील्ड बहुत चैलेंजिंग है. क्योंकि जिन लोगों को आप अपना दोस्त या अच्छा समझते हैं, आपके प्रति उनका बर्ताव फिल्म की सफलता और असफलता के हिसाब से बदल जाता है.''
जुगल हंसराज ने 2022 में नेटफ्लिक्स सीरीज़ 'मिसमैच्ड' से अपना डिजिटल डेब्यू किया था. वो आखिरी बार अनुपम खेर की इसी साल आई फिल्म 'शिव शास्त्री बल्बोवा' में दिखाई दिए थे.
वीडियो: मैटिनी शो: शेखर कपूर की 'मासूम' से डेब्यू करने वाले जुगल हंसराज का करियर 'मोहब्बतें' के बाद क्यों नहीं चला?