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मनोज मुंतशिर ने बताया, 'आदिपुरुष' के विवादित डायलॉग्स लिखते समय उनके दिमाग में क्या चल रहा था

मनोज मुंतशिर से सवाल हुआ था कि उनके दिमाग में क्या चल रहा था, जब उन्होंने 'मेरे एक सपोले ने तुम्हारे इस शेष नाग को लंबा कर दिया' जैसे संवाद लिखे? इसके जवाब में उन्होंने माफ़ी भी मांगी.

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मनोज ने 'बैठकी' में 'आदिपुरुष' के संवादों पर भी बात की

Manoj Muntashir Shukla ने Adipurush डायलॉग्स लिखे. बवाल हुआ, उन्होंने माफ़ी मांगी. इतना हमें पता है. लेकिन हमें ये नहीं पता, जब ये संवाद लिखे जा रहे थे, तो मनोज के दिमाग में क्या चल रहा था. क्या ध्यान में रखकर 'तेल तेरे बाप का, कपड़ा तेरे बाप का, और जलेगी भी तेरे बाप की.' जैसे डायलॉग्स लिखे गए. मनोज मुंतशिर ने इस पर हमारे प्रोग्राम 'बैठकी' में बात की है.

सौरभ द्विवेदी ने मनोज मुंतशिर से सवाल पूछा कि उनके दिमाग में क्या चल रहा था, जब उन्होंने 'मेरे एक सपोले ने तुम्हारे इस शेष नाग को लंबा कर दिया' जैसे संवाद लिखे? क्या मनोज को लग रहा था कि ये फनी है या कुछ और? इस पर मनोज ने जवाब दिया:

किसी सपोले ने डंक मार दिया होगा दिमाग में, अब क्या बताएं!

ये तो मज़ाक था, उन्होंने असली वजह कुछ और बताई. 

ऐसा नहीं है कि मैंने ये डायलॉग लिखा और इसे सीधे फिल्म में डाल दिया गया. आप सबको भी पता है कि मल्टीपल लेयर्स होती हैं, कई फ़िल्टर होते हैं. फिल्म की कहानी, उसका एक-एक डायलॉग कई लोगों की नज़रों से गुज़रता है. वैसे ही 'आदिपुरुष' के संवाद भी न जाने कितनी टेबल्स से गुज़रे होंगे, सबने उन्हें अप्रूव किया. यानी सभी एक ही दिशा में सोच रहे थे.

मनोज ने आगे बात करते हुए बताया:

किसी भी फिल्म की भाषा सही या गलत नहीं होती, जो इन्टेन्सिटी तय हो गई, उसी के अनुसार सारे संवाद लिखे जाते हैं. अगर ये तय हो गया, इस फिल्म का मूड हंसी-मज़ाक वाला होगा, तो वैसा ही रहेगा. ऐसा ही कुछ 'आदिपुरुष' के साथ रहा, उसी के परिणामस्वरूप ये संवाद आए.

मेरा मुगलों के खिलाफ बोलना ऐसा माना गया, मैं मुसलमानों के खिलाफ हूं

मनोज ने ये भी कहा कि इसी फिल्म में हमने राम पर गाने लिखे. वो खूब सुने गए. पहली बार ऐसा हुआ कि राम पर लिखे गाने चार्टबस्टर साबित हुए. इसी बातचीत के दौरान मनोज ने ये भी स्वीकार किया कि उनसे 'आदिपुरुष' में गलती हो गई. उन्होंने बताया:

आदिपुरुष’ सही उद्देश्य के साथ बनी एक गलत फिल्म थी. और ये स्वीकार करने से, ये मान लेने से मैं छोटा नहीं हो जाता. हर फिल्म का एक नेरेटिव होता है जो हम फिल्म बनाने से पहले सोचते हैं. कहानी तो अलग-अलग तरीकों से सुनाई जा सकती है और इस देश में सुनाई भी गई है. फिल्म शुरू करने से पहले मेकर्स का (ओम राउत, भूषण कुमार और मेरा) उद्देश्य था कि युवाओं और बच्चों तक ये कहानी पहुंचे.

वीडियो: मनोज मुंतशिर ने कहा, आदिपुरुष के डायलॉग्स से आहत हुए लोगों से हाथ जोड़कर,बिना शर्त माफी मांगते हैं