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फिल्म रिव्यू- खेल खेल में

Akshay Kumar की Khel Khel Mein एक अक्षम्य अपराध करती है. रिव्यू पढ़कर जानिए कैसी है ये फिल्म.

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'खेल खेल में' इटैलियन फिल्म 'परफेक्ट स्ट्रेंजर्स' की रीमेक है.

फिल्म- खेल खेल में 
डायरेक्टर- मुदस्सर अज़ीज़ 
एक्टर्स- अक्षय कुमार, तापसी पन्नू, वाणी कपूर, फरदीन खान, आदित्य सील, प्रज्ञा जायसवाल
रेटिंग- *** (3 स्टार)

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एक महीने से थोड़े ज़्यादा वक्फे के बाद अक्षय कुमार की नई फिल्म 'खेल खेल में' रिलीज़ हुई है. पिछली फिल्म 'सरफिरा' की तरह ये भी एक रीमेक है. मगर इस बार अक्षय ने अपना दायरा बढ़ाया है. साउथ इंडिया से बाहर निकलकर यूरोप की ओर बढ़े हैं. 'खेल खेल में' 2016 में आई इटैलियन फिल्म 'परफेक्ट स्ट्रेंजर्स' की रीमेक है. मगर इस फिल्म का कॉन्सेप्ट इतना सार्वभौमिक है कि इसे भारतीय परिपाटी में ढालना आसान था. बिना फिल्म की आत्मा या सार से छेड़छाड़ किए बग़ैर. फिल्म का एक सकारात्मक पक्ष ये भी है कि इस फिल्म से लंबे अरसे बाद अक्षय की कॉमेडी में वापसी हुई है. जो कि 'खेल खेल में' को उसकी तमाम खामियों के बावजूद एक मज़ेदार फिल्म बनाती है.

'खेल खेल में' की कहानी सात दोस्तों के बारे में है. ये सब लोग एक शादी अटेंड करने जयपुर गए हुए हैं. वहां शादी की भीड़-भाड़ से दूर ये लोग एक कमरे में बैठकर चिल कर रहे होते हैं. तभी वर्तिका को एक गेम खेलने का आइडिया कौंधता है. खेल का नियम ये है कि सभी लोग अपने मोबाइल फोन्स सामने टेबल पर रखेंगे. जिसका भी फोन बजेगा, वो सबको बताएगा कि उसका फोन क्यों बजा. साथ ही कॉल-मैसेज-मेल का जवाब भी सबके सामने देगा. फोन का नाम आते ही ग्रुप के पुरुष सदस्य हिचकिचाने लगते हैं. हालांकि उन्हें मजबूरन इस खेल का हिस्सा बनना पड़ता है. इस एक रात में एक-एक कर सबके राज़ खुलने शुरू होते हैं. और इस रात के बाद उन सबकी ज़िंदगियां हमेशा के लिए बदल जाती हैं.

पिछले दिनों एक तमिल फिल्म आई थी 'लव टुडे'. इस फिल्म का भी कॉन्सेप्ट कमोबेश ऐसा ही था. मगर वो कहानी सिर्फ एक प्रेमी जोड़े की थी, जो आपस में अपने फोन एक्सचेंज कर लेते हैं. फिल्म को बड़ा पसंद किया गया. जल्द ही हिंदी में उसका रीमेक बनने वाला है. मगर अक्षय उसके हिस्सा नहीं हैं. ख़ैर, 'खेल खेल में' का विषय भले ही नॉन-सीरियस और मज़ेदार साउंड कर रहा हो. मगर यकीन मानिए जब अपना फोन पासवर्ड समेत किसी के हवाले करना पड़ता है, तो चीज़ें अपने आप सीरियस होने लगती हैं. ऐसा ही कुछ इस फिल्म के साथ भी होता है. फिल्म मज़े-मज़े में शुरू होती है. सभी सातों किरदारों की बैकस्टोरी बताई जाती है. कुछ कहानियां मज़ेदार हैं. कुछ थकाऊ हैं. मगर साथ आने पर वो दिलचस्प हो जाती हैं.

ये फिल्म टूटती शादियों, धोखे, सेक्शुएलिटी और नौकरी-करियर की दुश्वारियों जैसे मसलों पर बात करती है. ये सभी बेहद कॉमन मसले हैं, जिससे रिलेट करना आसान है. उसके लिए फिल्म को ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती. हालांकि ये फिल्म इन टॉपिक्स को इतने जेन्यूइन तरीके से डील नहीं करती कि इसे गंभीरता से लिया जाए. वास्तविक सॉल्यूशन नहीं देती. बस गड्डमड्ड करके छोड़ देती है. जिससे कॉमेडी और हल्का-फुल्का इमोशन एंगल निकलकर आता है. जो कि फिल्म की मदद करता है.

'खेल खेल में' की सबसे बड़ी खासियत खुद अक्षय कुमार हैं. इस फिल्म में वो एक बड़ी ऑन्सॉम्बल कास्ट को लीड कर रहे हैं. उनके करियर में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है. मगर उनकी कॉमिक टाइमिंग अभी भी इन्टैक्ट है. फिल्म में कई ऐसे सीन्स हैं, जो सिर्फ इसलिए काम करते हैं क्योंकि उसमें अक्षय कुमार हैं. इस फिल्म में उन्होंने ऋषभ मलिक नाम के प्लास्टिक सर्जन का रोल किया है. जो कि झूठ बोलने में माहिर है. वाणी कपूर ने उनकी पत्नी वर्तिका का रोल किया है. ये मोबाइल वाला खेल खेलने का आइडिया उसकी ही दिमाग की उपज है.

इस फिल्म से फरदीन खान 14 साल बाद वापसी कर रहे हैं. उन्होंने फिल्म में एक ऐसा किरदार निभाया है, जो कि बड़ा प्रासंगिक है. वो कबीर नाम के क्रिकेट कोच बने हैं, जिसे नौकरी से निकाल दिया गया है. कमबैक के लिए इस किरदार का चुनाव बताता है कि उनकी दूसरी पारी इंस्ट्रेस्टिंग होने वाली है. एमी विर्क और तापसी पन्नू ने एक पंजाबी जोड़े का रोल किया है, जो कि बच्चा पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. जिसकी वजह से उनकी शादी और आपसी इक्वेशन प्रभावित हो रहा है. इस कपल का जो कॉन्फ्लिक्ट है, वो हम अक्षय की ही 'गुड न्यूज़' और 'तनु वेड्स मनु रिटर्न' में देख चुके हैं. एमी विर्क के पास करने को कुछ खास है नहीं. मगर उनका कैरेक्टर सिर्फ फनी सरदार जितना भी नहीं है. तापसी पन्नू का काम मज़ेदार है. उन्होंने हरप्रीत नाम की लड़की का रोल किया है, जो रील्स बनाती है. इस फिल्म में तापसी को देखकर लगता है कि उन्हें और कॉमेडी फिल्में करनी चाहिए. क्योंकि वो नैचुरली फनी हैं.

प्रज्ञा जायसवाल और आदित्य सील ने तीसरे शादीशुदा जोड़े का रोल किया है. तब तक ये जयपुर शादी अटेंड करने नहीं आए थे, तब तक इनकी अपनी शादी मक्खन चल रही थी. यहां आने के बाद सबसे बड़ा झटका इन्हें ही लगता है. मगर इनका जो सब-प्लॉट है, वो बहुत टिपिकल है. उसमें बिल्कुल भी नयापन नहीं है. आदित्य अपने रोल में स्टिफ लगे हैं.  

'खेल खेल में' एक साफ-सुथरी कॉमेडी फिल्म है. इसकी भी अपनी खामियां हैं. ये मनोरंजन के लिए यथार्थ का दामन छोड़ देती है. कई मामलों में ऐसा होता है कि न माया मिली न राम. मगर ये फिल्म अपना एंटरटेनमेंट कोशंट बचा ले जाती है. यही इसकी जीत है. हिंदी फिल्म का हीरो नैतिक रूप से कभी गलत नहीं होता. ये मानसिकता कई फिल्मों को ले डूबी है. 'खेल खेल में' वहां जाती है. मगर आखिरी सीन में वापस लौट आती है. कुछ एक मौकों पर फिल्म ज्ञान झाड़ने की भी कोशिश करती है. मगर सेक्शुएलिटी एक ऐसा विषय है, जिसके बारे में बात करने को (नैतिक दबाव में) प्रीची नहीं कहा जा सकता. इस फिल्म ने एक अक्षम्य अपराध किया है. वो ये कि इसमें ‘कूच न करीं’ जैसे सुंदर गाने को रीमिक्स किया गया है. और ये कहने में मुझे कोई गुरेज नहीं है कि उस गाने को बर्बाद कर दिया गया है. इसके लिए मैं निजी तौर पर मेकर्स को कभी माफ नहीं करूंगा. वो खराब रीमिक्स आप यहां सुन सकते हैं-

'खेल खेल में' अपने नाम को चरितार्थ करती है. इस फिल्म का मक़सद है आपका मनोरंजन करना. उसकी ये हरसंभव कोशिश करती है. अधिकतर मौकों पर सफल होती है. एज्यूकेट करने की ज़िम्मेदारी भी ये अपने कमज़ोर कंधों पर उठाने का प्रयास करती है. नाकाम ही सही मगर इस एफर्ट के लिए फिल्म को थोड़े-बहुत अंक मिलने चाहिए. बाकी क्लीन कॉमेडी फिल्म है, जिसे फैमिली के साथ जाकर देखा जा सकता है. 

वीडियो: मूवी रिव्यू: सरफिरा