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वो हादसा, जिसके बाद इरफ़ान कई दिनों तक अपने बेडरूम से बाहर नहीं निकले

फिल्म जर्नलिस्ट भावना सोमाया ने इरफ़ान से जुड़े किस्से बताए हैं.

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तिग्मांशु धूलिया की 'हासिल' (2003) में रणविजय के किरदार में इरफ़ान. दूसरी ओर एनएसडी की पढ़ाई के दौरान एक प्ले में उनकी झलक.
फिल्म जर्नलिस्ट भावना सोमाया. इस पेशे का अऩुभवी नाम. बीते साल इरफ़ान के गुज़र जाने के बाद उन्होंने एक्टर से जुड़ी यादें शेयर की थीं.
उन्होंने लिखा था कि ऋषि कपूर की तरह इरफ़ान उनके दोस्त तो नहीं थे, लेकिन जब भी वे मिलते, उनकी बातचीत में कुछ अलग ही बात होती थी. किसी भी फिल्म की स्क्रीनिंग या पार्टी में जब वे आमने सामने होते तो इरफ़ान की आंखें चमक उठतीं. वे उनका हाथ कसकर पकड़ते और कहते - "जब भी आपसे मिलता हूं, बहुत अच्छा लगता है."
Irrfan Khan Scene In Salaam Bombay And Maqbool
मीरा नायर की 'सलाम बॉम्बे' (1988) और विशाल भारद्वाज की 'मक़बूल' (2003) में इरफ़ान.

1. इरफ़ान से पहली मुलाकात जब वे कॉफी शॉप के बाहर स्मोक कर रहे थे
भावना उनसे हुई पहली मुलाक़ात की यादें ताज़ा करते हुए कहती हैं, "जितना मुझे याद है, मैं उनसे पहली बार 90 के दशक के मॉनसून में मिली थी. मैं अपने घर के नज़दीक एक कॉफ़ी शॉप से निकल रही थी. उन्हें बाहर कुछ दोस्तों के साथ स्मोकिंग करते हुए देखा. उन दिनों वे के.के.मैनन के साथ टीवी पर एक क्राइम सीरीज़ कर रहे थे. मुझे उस सीरीज़ की लत लग गई थी क्योंकि उसमें परफॉरमेंस बहुत शानदार थीं. इसलिए उनको देखते ही मैं मुस्काई, और अपना परिचय दिया. उन्होंने अपनी सिगरेट फेंकी और कहा, 'अरे आप.... आप से तो मैं कब से मिलना चाहता था और आज मिल गए." उन्होंने आग्रह किया कि हम इकट्ठे कॉफ़ी पिएं. मैं मान गई, क्योंकि मेरे पास उनके किरदारों के बारे में असंख्य सवाल थे.
2. शूटिंग से इतने थक गए कि कार चलाते हुए नींद आ गई
वे लिखती हैं, "इरफ़ान ने मुझे अपने टीवी सफ़र की सैर करवाई. बताया कि ये ऐसा समय था जब वे दिन-रात शूटिंग कर रहे थे, क्योंकि टेलीविज़न इंडस्ट्री इसी तरह चलती है. फिर एक दिन, जब वे पैक-अप के बाद देर रात को ड्राइव करते हुए घर जा रहे थे, वे इतने थके हुए थे कि उन्हें सड़क के बीच में स्टीयरिंग व्हील पर नींद आ गई. इरफ़ान ने बताया - 'मुझे नहीं पता कि मैं कितनी देर सोया रहा. लेकिन जब मैंने अपनी आंखें खोलीं, धूप निकली हुई थी. मुझे यह समझने में कुछ समय लगा कि क्या हुआ था. मेरी पत्नी मुझे बताती हैं कि मैं इतना थका हुआ और हड़बड़ाया था कि कई दिनों तक अपने बेडरूम से नहीं निकला. उस समय मैंने फैसला किया कि चाहे  भविष्य में जो भी हो, चाहे फिल्मों के ऑफर मिले या नहीं, लेकिन मैं वापस टेलीविज़न की तरफ नहीं जाऊंगा." ..
3. वो फ़िल्म जिसने इरफ़ान की ज़िंदगी बदल दी
भावना जब अगली बार इरफ़ान से मिलीं, उस समय वे फिल्मों में नाम कमाने लगे थे. वे आगे लिखती हैं: "मेरा मतलब है कि लोग उन्हें पहले से मीरा नायर की 'सलाम बॉम्बे' और गोविंद निहलानी की 'दृष्टि' के लिए जानते थे. लेकिन अब वे धीरे धीरे मसाला फिल्मों में अपने लिए रास्ता बना रहे थे. 1988 से 1999 के बीच उन्होंने करीबन 18 फिल्में की. लेकिन उनके दोस्त तिग्मांशु धुलिया की फिल्म 'हासिल' से वे स्पॉटलाइट में आए. 2003 में इरफ़ान ने विशाल भारद्वाज के साथ 'मक़बूल' और नसीरुद्दीन शाह की 'यूं होता तो क्या होता' की. 'मक़बूल' ने उनकी किस्मत को बदल दिया. उनकी सह-कलाकार तबु ने बताया कि इरफ़ान की स्क्रीन पर्सोना को बदल देने का क्रेडिट विशाल भारद्वाज को जाता है, जिन्होंने एक हिसाब से नए चेहरे को एक स्टार की तरह पेश किया. इरफ़ान तबु से सहमत हुए, और बोले, 'जब एक फ़िल्मकार एक एक्टर में यक़ीन दिखाता है, तो एक्टर को खुद पर यक़ीन होता है. और यह केमिस्ट्री स्क्रीन पर झलकती है. 'मक़बूल' में बिल्कुल यही हुआ." ..
4. इरफ़ान जिसकी बायोपिक कर रहे थे किसी से नाम भी न सुना था  
'द डर्टी पिक्चर' फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान का एक किस्सा भावना ने बताया,  "2011 में विद्या बालन की फिल्म 'द डर्टी पिक्चर' की प्राइवेट स्क्रीनिंग के दौरान इरफ़ान मेरे साथ बैठे हुए थे. स्क्रीनिंग के बाद इरफ़ान, विद्या और मेरे बीच एक लंबी चर्चा शुरू हो गई, जहां हम बायोपिक के फ़ायदे और नुक्सान की बात कर रहे थे. इरफ़ान उस समय 'पानसिंह तोमर' पर काम कर रहे थे. उन्हें यह जानने की उत्सुकता हुई कि हमने उनके बारे में सुना था या नहीं. जब उन्होंने देखा कि हमें कुछ भी पता नहीं था, तब वे साफतौर पर निराश दिखे. बोले कि 'आपने नहीं सुना है, तो किसने सुना है. तो फिर मेरी फिल्म कौन देखेगा?' उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि 'पानसिंह तोमर' एक बड़ी हिट साबित हुई, और इरफ़ान को कमाल के रिव्यू और अवॉर्ड मिले. इसी तरह उनकी फिल्में 'द नेमसेक' और 'लाइफ ऑफ़ पाई' अच्छी रहीं. दोनों फिल्में तबु के साथ थीं. इरफ़ान ने तबु को अपनी 'स्क्रीन सोलमेट' बताया था. कहा था कि 'जब भी हम इकट्ठे काम करते हैं, तो जादू होता है.' "


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