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कैसे बना था 'शौर्य' का वो आइकॉनिक कोर्ट रूम सीन?

केके मेनन ने कहा, ''ये वो सीन था, जो बस होते-होते हो गया.''

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केके मेनन ने स्पेशल प्रोग्राम गेस्ट इन द न्यूज़रूम में फिल्म 'शौर्य' पर बात की.

साल 2008 में एक फिल्म आई थी. नाम था 'शौर्य'. केके मेनन, राहुल बोस की वो फिल्म जिसके एक सीन को सिनेमा इतिहास में कालजयी माना जाता है. कोर्टरूम के उस सीन को जितनी बार भी देखो, केके की तारीफ ना करें ये असंभव है. ये वो सीन हैं जहां बिग्रेडियर रूद्र प्रताप सिंह पर आरोप मढ़े जाते हैं और फिर केके मेनन की एक्टिंग स्क्रीन पर आपको बांधे रखती है. 'शौर्य' के इस सीन का अलग ही फैनबेस है और इसी सीन की मेकिंग पर अब केके मेनन ने बात की है.

बीते दिनों केके ‘दी लल्लनटॉप’ के स्पेशल शो ‘गेस्ट इन द न्यूज़रूम’ में आए थे. जहां उन्होंने अपनी बहुत सी फिल्मों और उनकी मेकिंग पर चर्चा की. इन्हीं फिल्मों में से एक थी 'शौर्य'. जब इस सीन के बारे में केके से पूछा गया तो वो बोले,

''उस फिल्म के लिए जो भी तारीफें मिलती हैं, उसके लिए मैं शुक्रगुज़ार हूं. मगर वो एक मोमेंट था जिसमें वो एक्टिंग हो गई. मुझे नहीं पता मैं किस तरह से बोलूंगा और किस तरह से होगा.''

केके ने आगे कहा,

''एक असिस्टेंट ने वहां भावना से भरा हुआ क्लू दे दिया. जिसकी वजह से मैं टूट पड़ा. तो वो उस मोमेंट का सच है. वो चीज़ सीन को कहां से कहां ले गई. मैं नहीं मानता कि वो मेरी परफॉर्मेंस हैं. मैं दोबारा से वो सीन करना चाहूं तो वो कुछ अलग हो जाएगा. वो अपने आप सीन होता चला गया. वो एक मोमेंट था जो बस हो गया.''

केके मेनन आगे जोड़ते हैं -

''लोग सोचते होंगे कि मैं ज़्यादा ही आध्यात्म की बात कर रहा हूं लेकिन ऐसा नहीं है. कुछ चीज़ें होती हैं जो आप एकदम से सेरेंडर कर देंगे, तो आपको कहीं ले जाएगा वो. वही चीज़ इस मोनोलॉग के साथ हुई. वो जो भी मोनोलॉग की लाइन है, वो जिस सुर पर निकला है, वो इसलिए क्योंकि उस असिस्टेंट ने बहुत भावुक होकर कहा था कि वो तो बच्चे हैं, जिसके बाद मेरा मोनोलॉग फटाक से निकला था. तो ये ऐसा कोई प्लान्ड किया हुआ परफॉर्मेंस नहीं था. बस वो निकल गया और चलता गया, चलता गया. लास्ट में मेंरी सांसें बची हुई नहीं थी. तो बस इस तरह वो शॉट हो गया."

''वो बस ऐसी चीज़ थी जो हो गई. मैं ईमानदारी से कहूं तो मैं ऐसा नहीं कह सकता कि ये मैंने किया. ये वो सीन था जो बस होते-होते हो गया. तो बस ऐसी परफॉर्मेंस एक प्रोसेस है, जिसे करते-करते आप कभी मुंह के बल भी गिरोगे और कभी ऐसे-ऐसे मैजिक भी हो जाते हैं.''

केके मेनन की ये फिल्म क्लासिक हॉलीवुड कोर्ट-रूम ड्रामा 'अ फ्यू गुड मेन' का हिंदी अटैप्टेशन थी. जिसे समर खान ने डायरेक्ट किया था. मूवी में दीपक डोबरियाल, अमृता राव और मिनीषा लांबा भी थे.