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गुरु दत्त की बहन और महान पेंटर ललिता लाजमी का निधन

सत्यजीत राय, गुरु दत्त और राज कपूर जैसे निर्देशकों का ललिता के काम पर गहरा असर रहा था.

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90 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया. फोटो - तारे ज़मीन पर से स्क्रीनशॉट

ललिता लाजमी. पहली बार ये नाम सुना था साल 2007 में. जब स्कूल वाले सभी को सिनेमाघर में ‘तारे ज़मीन पर’ दिखाने लेकर गए थे. फिल्म में आमिर खान का किरदार एक ड्रॉइंग टीचर होता है. अंत में एक कॉम्पीटिशन होता है. उस प्रोग्राम की गेस्ट बनकर आई थीं ललिता लाजमी. समय के साथ सोच थोड़ी विकसित हुई. सिनेमा में रुचि जागी. यासीर उस्मान की गुरु दत्त पर लिखी किताब पढ़ी, Guru Dutt: An Unfinished Story पढ़ी. किताब में ललिता लाजमी का ज़िक्र था. उनसे हुई बातचीत छपी थी. जहां उन्होंने अपने दुख का इज़हार किया. कि अपने बड़े भाई के लिए कुछ नहीं कर पाई. उन्हें अफसोस रहा कि वो गुरु दत्त को नहीं बचा पाई. 

13 फरवरी, 2023 को ललिता लाजमी का निधन हो गया. वो 90 साल की थीं. फिल्ममेकर खालिद मोहम्मद ने उनके गुज़र जाने की खबर अपने ट्विटर पर शेयर की. लिखा,

ललिता लाजमी. एक विनम्र ह्रदयी, बेहतरीन कलाकार नहीं रहीं. एक बहुत दुखद दिन. उनकी कला हमेशा जीवित रहेगी. 

ललिता एक सेलेब्रिटी पेंटर थीं. साल 1932 में उनका जन्म कोलकाता में हुआ. बड़े भाई गुरु दत्त की तरह उनका भी शास्त्रीय नृत्य की तरफ रुझान था. उनके एक अंकल थे, बीबी बेनेगल. जिनका गुरु और ललिता दोनों की लाइफ में बड़ा रोल रहा. बीबी ने ललिता को एक पेंट का डिब्बा लाकर दिया. उन्होंने पेंट करना शुरू किया. लेकिन सीरियस काम की बारी आई साल 1961 में. उस दौर में उनकी पहली पेंटिंग 100 रुपए में बिकी थी.   

ललिता ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि सत्तर के दशक तक उनकी कला में कोई दिशा नहीं थी. उसके बाद उन्होंने अपनी कला को आवाज़ देना शुरू किया. उन्हें किरदारों से भरा. उनके शुरुआती काम में उदासीनता एक कॉमन किरदार बनकर रही. समय के साथ उसकी जगह सकरात्मकता ने ली. फिर उनका अधिकांश काम अपने जीवन और आसपास की दुनिया की ओर मुड़ने लगा. उन्होंने महिलाओं के आपसी रिश्ते, एक पिता और बेटी के रिश्ते, एक मां और बेटी के रिश्ते को मज़बूती से कैनवास पर उतारा. 
             
 

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