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गन्स एंड गुलाब्स: 'द फैमिली मैन' वालों की धांसू सीरीज़ ने क्राइम ड्रामा के ढर्रे को बिल्कुल उलट दिया है

ट्रेलर में दो किरदार किसी पर गोली चलाते हैं. फिर आपस में लड़ने लगते हैं कि किसकी गोली जाकर लगी. ये एक सीन ही शो के ह्यूमर के बारे में बहुत कुछ बता देता है.

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सीरीज़ के डायलॉग लिखे हैं सुमिर अरोड़ा ने जो इससे पहले 'स्त्री' के लिए भी लिख चुके हैं.

हिंदी OTT स्पेस बीते कुछ समय से काफी रिपीटेटिव हो गया है. Sacred Games की कामयाबी के बाद हर कोई उसी फॉर्मूले को घिसकर चमकाने में लगा है. ऐसे में एंट्री होती है राज और डीके की. स्वैग के साथ ये कहते हैं, होल्ड योर Guns & Gulaabs. उनकी नई सीरीज़ का ट्रेलर आया है. 18 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ होगी. राज एंड डीके ने ही ‘द फैमिली मैन’ वाले सुमन कुमार के साथ मिलकर ‘गन्स एंड गुलाब्स’ लिखी है. सीरीज़ के डायलॉग लिखे हैं सुमित अरोड़ा ने. सुमित ‘स्त्री’ के डायलॉग लिखकर लाइमलाइट में आए थे. शाहरुख की ‘जवान’ के हिंदी डायलॉग भी उन्होंने ही पन्नों पर उतारे हैं. ‘गन्स एंड गुलाब्स’ की कास्ट अनाउंस होने के बाद से प्रोजेक्ट को लेकर लोगों में उत्साह बना हुआ है. राजकुमार राव, आदर्श गौरव, दुलकर सलमान और गुलशन देवैया पहली बार साथ आ रहे हैं. कैसा है ट्रेलर, अब बात उस पर. 

Guns & Gulaabs का ट्रेलर मज़ेदार लग रहा है. उसमें ताज़गी वाली फील है. और ऐसा किसी हॉलीवुड रेफ्रेंस को इस्तेमाल कर के नहीं किया गया. ट्रेलर से लग रहा है कि शो की आत्मा बिल्कुल देसी है. नब्बे के दशक में सेट ये कहानी है. किरदारों के बालों, पोशाक से लेकर पूरी दुनिया वहीं सेट लगती है. ऊपर से बॉलीवुड मसाला म्यूज़िक. फन वाले फैक्टर को अलग ही लेवल पर ले जाता है. कुछ हिस्सों में ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ जैसा ह्यूमर भी देखने को मिलता है. बाकी राज और डीके का सेंस ऑफ ह्यूमर भी बड़ा क्वर्की किस्म का है. सबसे अच्छी बात है कि उन्होंने इस पर से अपनी पकड़ हल्की नहीं होने दी. पॉपुलर होने के बाद भी वो अभी तक तो कम से कम कम्फर्ट ज़ोन में नहीं ढले हैं. कि अच्छा काम कर लिया, अब उसी को बेचे जाएं. उनके प्रोजेक्ट्स से लगता है कि वो लगातार खुद पर काम कर रहे हैं. इस वजह से उनकी फिल्में और सीरीज़ कभी एक जैसी नहीं लगती. 

‘गन्स एंड गुलाब्स’ के ट्रेलर को काटा भी कायदे से गया है. दो मिनट 51 सेकंड के ट्रेलर में मज़ाक है, गोलियां हैं, गालियां हैं. फिर भी पूरी कहानी नहीं खुलती. बिना ट्रेलर की क्वालिटी को हल्का किए ऐसा किया गया. 10 घंटे की सीरीज़ तो हम तक बाद में पहुंचती है. सबसे पहली कहानी बताता है दो मिनट का ट्रेलर. उसे अपने आप में एक छोटी कहानी होना पड़ता है. कि असली बड़ी तस्वीर का मर्म वो अपने अंदर लेकर चले. उस मामले में Guns & Gulaabs के ट्रेलर ने मुझे प्रभावित किया. सही ट्रेलर काटना कितना ज़रूरी है, वो इससे सीखना चाहिए.  

कहानी के केंद्र में चार बंदे हैं. पहला है छोटा गनची. इसके पिता बड़े आदमी है. बेटे को भी बस उसी स्टेटस तक पहुंचना है. आदर्श गौरव ने ये किरदार निभाया है. वहीं पिता वाला रोल सतीश कौशिक ने किया था. दूसरा नंबर आता है अर्जुन का. एक पुलिसवाला. लेकिन फर्ज़ की कसम खाकर घर से निकलने वाला नहीं. हिंट मिलता है कि अर्जुन उतना सीधा नहीं, जितना दिखता है. दुलकर सलमान ने अर्जुन का कैरेक्टर प्ले किया. अगला है चार कट आत्माराम. ये बंदा शरीर को चार जगहों से शुद्ध करता है. इसलिए इसका ये नाम पड़ा. यानी शरीर में चार पॉइंट्स पर खोंपकर हत्या करता है. गुलशन देवैया ने सनकी से लगने वाले चार कट आत्माराम का रोल किया. चौकड़ी पूरी होती है राजकुमार राव के किरदार पाना टीपू से. 

जिस तरह जॉन विक पेंसिल से लोगों को मार डालता था, कुछ वैसा ही संबंध टीपू का पानों से है. ये चारों ही किरदार अटपटे, अतरंगी और मज़ेदार किस्म के लग रहे हैं. इतनी जानकारी और इतना रहस्य इनके इर्द-गिर्द गढ़ दिया गया कि ये अकेले भी कहानी का भार उठा सकते हैं. इनका सफर 18 अगस्त को देखने को मिलेगा. बाकी पर्सनली मुझे ये अच्छा लगा कि कैसे रेट्रो फील को इस्तेमाल किया गया है. चाहे वो ‘रंभा हो’ गाना हो, या फिर ट्रेलर में दिखने वाला टेक्स्ट जो बहुत हद तक ‘शोले’ में इस्तेमाल हुए फॉन्ट की याद दिलाता है. Guns & Gulaabs एक कॉन्फिडेंट सीरीज़ लग रही है जिसके पास ऑफर करने को बहुत कुछ होगा.

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