आगे स्पॉइलर हैं. अपने विवेक से काम लें. स्पॉइलर पढ़ें. फ़िल्म देखने की तमन्ना का गला घोंट दें. मुझे दुआएं दें.
फिल्म रिव्यू - शिवाय : न ही शून्य और न ही इकाई, मुझको देओ सर दर्द की दवाई
अजय देवगन को फ़िल्म बनाने के लिए बधाई. पढ़ें फ़िल्म रिव्यू.

अजय देवगन. आज सुबह-सुबह कैब में रेडियो पर अजय का इंटरव्यू सुनाई दिया. कह रहे थे बचपन से डायरेक्शन कैसे किया जाता है, देखा है. इसलिए शिवाय में ऐक्टिंग और डायरेक्शन साथ-साथ करने में कोई ख़ास दिक्कत नहीं आई. हमको भी हिम्मत बंधी. चचा एकदम ठस तरीके से बता रहे हैं. फुल अथॉरिटी के साथ. हमने कहा चलो, देख आयेंगे. और सच कहूं, डिसीज़न अच्छा था. फिल्म देखने का.
आज धनतेरस है. घर में बहुत दिनों से टीवी खरीदने की बातें चल रही थीं. हमने कम से कम 4 डीलर्स से बात की. फिल्म के दौरान ही. घर वालों से बात की. फिल्म के दौरान ही. पैसे-वैसे बताये. सब मामला सेटल किया. घरवालों को टेढ़ी पुलिया पर संगम डीलर्स वाली डील पसंद आई. अगले ने साथ में फ्री का टीवी स्टैंड दिया. साथ में ये वादा भी कि पुरानी फ्रिज बदलने पर नयी वाली में 35% डिस्काउंट देगा. टीवी डन हो गयी. रश ज़्यादा है इसलिए शाम तक घर पे पहुंच जाएगी. और ये सब फ़िल्म देखने के दौरान ही हुआ. अगर शिवाय नहीं देख रहा होता तो कहीं किसी ज़रूरी काम में फंसा होता. शिवाय को थैंक यू. अजय देवगन को थैंक यू.
इसके अलावा कुछ स्कूल के दोस्त हैं. काफी अरसे से बात नहीं हुई थी. उनसे भी बात हुई. दिवाली पर घर नहीं जा रहा हूं. लिहाज़ा उनकी गालियां सुनने को मिलीं. आह! दोस्तों की गालियां! मां की दुआओं के समान वजन और अपनापन. सब कुछ अजय देवगन की वजह से. जय हो! भगवान करे दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करे ये आदमी. विमल पान मसाला 25 साल क्या 250 साल चले. आदमी विमल पान मसला चबाये तो दांतों में न फंसे. भगवान करे पान मसाले से कैंसर होना बंद हो जाए. भगवान करे विमल पान मसाला की पीक से बिजली जनरेट करवाई जाए.
फ़िल्म शुरू होती है हिंदुस्तान में. उत्तराखंड के किसी ऐसे हिस्से में जहां आदमजात अभी तक नहीं पहुंच पाई है. सिवाय अजय देवगन के. इतनी बर्फ़! इतनी बर्फ़ या तो रूस में होती है या फ़िर फ़ुल पे चल रही फ़्रिज को तीन दिन न खोलो तो उसके चिलर में. अजय देवगन शुरू होते हैं. शिवाय शुरू होती है. बवाल शुरू होता है. इतिहास शुरू होता है. अजय देवगन चिलम पीते हुए पड़े हैं. अगले ही सेकंड उठते हैं और पहाड़ से कूद जाते हैं. ऐसा ऐक्शन कहीं नहीं देखा गया होगा अब तक. पर्सनली स्पीकिंग - छठी क्लास में देखी थी ट्रिपल एक्स. विन डीज़ल वाली. उसमें जैन्डर केज कूदता है. पहाड़ से. आगे केज, पीछे बर्फ़. उस दिन मालूम चला था कि स्क्रीन देखते-देखते सांस रुक जाए तो जान भी जा सकती है. लेकिन साहब! विन डीज़ल शिवाय का एवेलांच देख ले तो पांव धोके पानी पी ले. उसी एवेलांच में जो करतब दिखे, मैंने फ़ोन निकाल टीवी वाली डील शुरू कर दी.
कहानी में कुछ भी हो सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि जो मैंने देखा, वो आपकी वाली फिल्म में न हो. अगले शो में कहो कुछ और ही दिखाया जाने लगे. न मालूम किस प्रकार से पटकथा तैयार की गयी है. यकीनन इसमें शिवाय की चिलम का हाथ होगा. शिवाय के पास टैटू भी है. लम्बे बाल वाला शिव का टैटू. सांप का टैटू. त्रिशूल का टैटू. और यही टैटू देख इम्प्रेस होती है विदेशी बाला. बाला के साथ होता है ताण्डव. टेंट में. और फिर आती है गौरा. गौरा का 'हो जाना' एक्सीडेंट होता है. शिवाय के हो जाने से भी बड़ा एक्सीडेंट. एक्सीडेंट, जिसमें मैं घायल हो चुका हूं. मुर्छितावस्था में लिख रहा हूं. ऊंच-नीच माफ़ करना. होश आएगा तो एक्सिडेंटल बेनिफिट के लिए बीमा कंपनी से संपर्क साधना है.
फ़िल्म में ऐक्शन है. लेकिन ऐक्शन करने वाले गुंडे बहुत लपूझन्ने रहे. कम से कम सवा दो हज़ार गोली चली होंगीं. हेलीकॉप्टर के ऊपर से. दो जने चला रहे थे. नीचे सीधी सड़क पर शिवाय और गौरा. गोली एक न लगी. इससे बढ़िया हाथ से फेंक-फेंक के गिट्टी मारते तो दोनों को ज़्यादा नुकसान होता. लेकिन यार! क्या गजब पैसा खर्चा किया है. विदेश में शूटिंग. विज़ुअल इफ़ेक्ट्स. और थर्माकोल. कम से कम डेढ़ सौ गत्ते थर्माकोल के खर्च हो गए होंगे. बर्फ़ दिखाने की खातिर. तभी तो ज़मीन पर पड़ा अजय देवगन सांस लेता था तो बर्फ़ उड़ती थी.
थर्माकोल बनी बर्फ़. मुंह में घुस जाती होगी अजय के. हर बार. मुझे ये चिंता हर बार सताई. कि इस आदमी के मुंह में थर्माकोल चला जाता होगा. गले में फंस गया तो? गोलमाल की 220वीं किस्त कौन करेगा?
मुझसे एक गलती और हो गयी. मैं कुछ देर के लिए सो गया. शिवाय देखने के दौरान मेरे सबसे प्रोडक्टिव मिनट्स. जब मैं सो रहा था. लिहाज़ा मैं ये मिस कर गया कि अजय देवगन इंडिया से निकलकर कहीं परदेस में कैसे पहुंच गया. बिटिया कैसे किडनैप हो गयी. आंख खुली तो अजय देवगन पुलिस की वैन समेत पानी में गिरने वाले थे. किसी तरह बच के निकल गए. ट्रेलर में मारू शॉट लग रहा था. लेकिन स्क्रीन पर पीछे क्रोमा भी दिखाई दे रही थी शायद. या मैं नींद में था. वीएफ़एक्स का काम ठेके पर दिया गया है. आधी से ज़्यादा फ़िल्म वीएफ़एक्स के बूते बनी है. रोजगार मिला है लड़कों को. इंजीनियरों (शायद इंजीनियर ही) को काम मिला. अजय देवगन को पुनः बधाई.
फ़िल्म देखिये. ज़रूर देखिये. अपनी ज़िम्मेदारी पर देखिये. ग़जब फ़िल्म. बूता चाहिए होता है फ़िल्म बनाने के लिए. अजय देवगन के पास था. उसने बना दी. मैं कौन होता हूं अच्छी या बुरी कहने वाला? मैं एक अदना सा फ़िल्म प्रेमी. कहां अजय देवगन! आशा है अजय को तमाम लेसन सीखने को मिले होंगे.
उन्हें मालूम चला होगा कि खाली बर्फ़, बर्फ़ पे फिसलता आदमी, कहीं भी कांटा गाड़ देने वाला, वुडलैंड के जूते पहन बर्फ़ पर ट्रेकिंग करने वाला आदमी, हजारों गोलियों को चकमा देने वाला आदमी, दस-दस को इकट्ठे मारने वाला आदमी, एक बेकार ऐक्टिंग करने वाला आदमी, रोने की ऐक्टिंग करते वक़्त बलगम खंखारने की ऐक्टिंग करने वाला आदमी, सुन्दर विदेशी बाला, हिंदी बोलने वाली सुन्दर विदेशी बाला, हैप्पी एंडिंग आदि आदि समेटे फिल्म एक अच्छी फ़िल्म नहीं बन सकती.
फ़िल्म में कहीं भी कुछ भी किसी भी तरीके से अजीब-ओ-ग़रीब कट्स नहीं लगाये जा सकते. कहानी होती है. कितनी भी बेकार हो, उसकी कंटिन्यूइटी होती है. उस कंटिन्यूइटी को तो दिमाग में रखो. आगे से ध्यान रखना.
मैं जाता हूं. फ़िल्म की वजह से हुई हानि के एवज में मुआवजे की मांग करने.
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