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प्रकाश झा- सिनेमा और सफर: Ep 11

बरगद के इस एपिसोड में सौरभ द्विवेदी ने बात की फिल्म निर्देशक, लेखक और अभिनेता प्रकाश झा से. यह बातचीत तब हुई जब उनकी फिल्म परीक्षा आने वाली थी. जानिए कैसा होता है सिनेमा राइटिंग का कोलैबोरेशन. वक्त के साथ कितना बदला है ये प्रोसेस. मूल राइटिंग और ड्राफ्ट में क्या अंतर है. अपनी फिल्मों की राइटिंग को लेकर क्या कहा प्रकाश जी ने. करियर के शुरूआती दिनों में बारे में काफी कुछ बताया प्रकाश जी. जानिए कौन सी थी वो डाक्यूमेंट्री बैन हो गई और उसी साल मिला नेशनल अवार्ड. सुनिए वो किस्सा जब वो कला और सिनेमा में आए तो उनके पिता ने उनसे बात करना क्यों बंद कर दिया.

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बरगद के इस एपिसोड में सौरभ द्विवेदी ने बातचीत की फिल्म निर्देशक, लेखक और अभिनेता प्रकाश झा से. बात हुई उनकी फिल्म परीक्षा और आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में. साथ ही उन्होंने साझा किया अपने सफर का अनुभव.

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उन्होंने अपनी प्रारंभिक वृत्तचित्र फिल्मों पर भी चर्चा की, जिनमें से एक 1981 के बिहारशरीफ सांप्रदायिक नरसंहार पर आधारित थी. डॉक्यूमेंट्री देखने के बाद ऋषिकेश मुखर्जी ने झा को गले लगाया और भावुक हो गए. इस फिल्म को चार दिन के अंदर ही बैन कर दिया गया था और उसी साल नेशनल अवॉर्ड भी मिला था.

झा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और हमारी शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के अपने अभिनव विचार पर अपनी प्रतिक्रिया भी देते हैं. इस साक्षात्कार में प्रकाश झा अपने शुरुआती दिनों के बारे में बात करते हैं जब वह एक किशोर थे, बाद में जब वे कला और सिनेमा में आए और उनके पिता ने उनसे बात करना क्यों बंद कर दिया. सुनिए और भी किस्से बरगद के इस एपिसोड में सिर्फ LT Baaja पर.

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