Dharmendra... सैकड़ों यादगार फिल्में और दर्जनों डायलॉग्स, जो सदियों तक भुलाए नहीं जा सकेंगे. बसंती... इन कुत्तों के सामने मत नाचना... आवाज़ में ऐसा गहराई जैसे किसी अंधे कुएं से उठ रही हो. तिस पर दांत भींच कर बोलने का उनका अंदाज़, उनके हर हर्फ़ को अमर कर गया. धर्मेंद्र डायलॉगबाज़ी वाले दौर के एक्टर हैं. जब लोग सिनेमाघरों में सिक्कों की पोटलियां लेकर जाते थे. और जब भी कोई डायलॉग पसंद आता, तो मुट्ठीभर सिक्के स्क्रीन की तरफ़ उछाल देते. धर्मेंद्र के डायलॉग्स पर लोगों ने सिक्के ही नहीं, दिल भी लुटाए. 24 नवंबर को अनंत तो अनंत में विलीन हो गए. मगर वो ऐसे कई संवाद, कई दृश्य छोड़ गए हैं, जो सदियों तक गूंजते रहेंगे. पढ़िए धर्मेंद्र के चुनिंदा, ज़िंदा, ज़िंदादिल डायलॉग…
धर्मेंद्र के वो यादगार डायलॉग्स जो अनंत तक गूंजते रहेंगे...
24 नवंबर को धर्मेंद्र का निधन हो गया, हम उन्हें याद कर रहे हैं उन्हीं के बेजोड़ डायलॉग्स से.


"ये दुनिया बहुत बुरी है शांति, जो कुछ देती है बुरा बनने के बाद देती है."
फिल्म: ‘फूल और पत्थर’, 1966
किरदार: शक्ति सिंह

“अगर तक़दीर में मौत लिखी है तो कोई बचा नहीं सकता, अगर जिंदगी लिखी है तो कोई माई का लाल मार नहीं सकता'.”
फिल्म: ‘धरम वीर’, 1977
किरदार: धरम

“इश्क़ एक इबादत है, और इबादत में झूठ नहीं चलता.”
फिल्म: ‘आया सावन झूम के’, 1969
किरदार: जयशंकर

“दिल भी कोई चीज़ है, जो हर किसी को दे दूं?”
फिल्म: ‘अनुपमा’, 1966
किरदार: अशोक
“ये तो सो रहा था अमन के बादलों को अपना तकिया बनाकर. इसे जगाया भी तुमने है और उठाया भी तुमने.”
फिल्म: 'जीने नहीं दूंगा', 1984
किरदार: रोशन. इस फिल्म में धर्मेंद्र ने डबल रोल किया था. दूसरे किरदार का नाम था राका.
“कभी ज़मीन से बात की है ठाकुर? ये ज़मीन हमारी मां है.”
फिल्म: ‘ग़ुलामी’, 1985
किरदार: रणजीत सिंह चौधरी
"हम वो नहीं जो पीछे हट जाएं, हम वो हैं जो मौत को भी हरा दें..."

फिल्म: ‘धरम वीर’, 1977
किरदार: धरम
"ना मैं गिरता हूं, ना मुझे कोई गिरा सकता है… मैं इंसान हूं, पत्थर नहीं."
फिल्म: 'लोफर', 1973
किरदार: रणजीत
“मर्द बनने के लिए शरीर नहीं, हिम्मत चाहिए.”
फिल्म: ‘धरम वीर’, 1977
किरदार: धरम
“मर्द का खून और औरत के आसूं जब तक न बहे… उनकी कीमत नहीं लगायी जा सकती.”
फिल्म: ‘धरम वीर’, 1977
किरदार: धरम
“अगर मैं सच्चाई के साथ हूं, तो दुनिया की कोई ताक़त मुझे हरा नहीं सकती.”
फिल्म: ‘खुद्दार’, 1982
किरदार: किशन
"ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए… लंबी नहीं।"
फिल्म: 'लाइफ इन अ मेट्रो', 2007
किरदार: अमोल

“वेन आई डेड, पुलिस कमिंग… पुलिस कमिंग, बुढ़िया गोइंग जेल… इन जेल बुढ़िया चक्की पीसिंग, एंड पीसिंग, एंड पीसिंग, एंड पीसिंग, एंड पीसिंग.”
फिल्म: ‘शोले’, 1975
किरदार: वीरू

"ओए! इलाका कुत्तों का होता है, शेर का नहीं."
फिल्म: ‘यमला पगला दीवाना’, 2011
किरदार: धरम सिंह ढिल्लों
"दिल के मामले में हमेशा दिल की सुननी चाहिए."
फिल्म: 'लाइफ इन अ मेट्रो', 2007
किरदार: अमोल
"किसी भी भाषा का मज़ाक उड़ाना घटियापन है और मैं वही कर रहा हूं."
फिल्म: ‘चुपके-चुपके’, 1975
किरदार: प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी

वीडियो: हेमा मालिनी और ईशा देओल धर्मेंद्र के मौत की झूठी खबरों से हुई नाराज, मीडिया पर भड़की











.webp)
.webp)


.webp)
.webp)


.webp)

.webp)