हर बात को लिटरली लेता है. शेरों-शायरी वाली भाषा में बात करता है. खुद सीधा है और दूसरों को भी ऐसा ही समझता है. एक रात दोनों भाई अपनी गाड़ी में एक रिसेप्शन से लौट रहे होते हैं. तभी अचानक अंधेरे में इनकी गाड़ी से एक आदमी को टक्कर लग जाती है, और वो मौके पर ही मर जाता है. दोनों वहां से निकल लेते हैं, और समझते हैं कि रात गई, बात गई. लेकिन ऐसा होता नहीं है. क्योंकि फिर कहानी में एंट्री होती है नए किरदारों की, जिनका मरे हुए शख्स से कुछ-न-कुछ कनेक्शन था. ये कहानी को और जगजीत-दलजीत की दुनिया को कैसे घुमाते हैं, यही छह एपिसोड्स में देखने को मिलता है.

स्कॉटिश ड्रामा 'गिल्ट' का पोस्टर.
शो के सभी एपिसोड्स का नाम एक-एक किरदार पर रखा गया है. जैसे पहले एपिसोड का नाम है जगजीत है, जहां कहानी उससे शुरू होती है. ‘ब्लडी ब्रदर्स’ इस बात को लेकर सस्पेंस नहीं बनाता कि दोनों भाई जेल जाएंगे या नहीं. उसका इरादा कुछ और है. ये मेजर छह किरदारों की दुनिया कुरेदने में लगा है. ताकि दिखा सके कि सब एक जैसे ही हैं, कोई ब्लैक या व्हाइट नहीं. कोई अपनी खुशी सिर्फ दूसरों में ढूंढ रहा है, तो कोई पैसों के लिए खुद को धोखा दे रहा है. फिर ऐसे किरदार भी हैं, जो कहते हैं कि वो लालची किस्म के नहीं, लालची ही हैं.
शो के शुरुआती एपिसोड्स में ऐसे कई सीन हैं, जिनका उस वक्त कोई तुक नहीं बनता. नेरेटिव में अटपटे लगते हैं. लेकिन आगे चलकर उनके तार जुडते दिखते हैं. शो ने ऐसा कई मोमेंट्स पर किया, और कामयाब भी रहे. हर एपिसोड एक क्लिफहैंगर पर खत्म होता है. लेकिन शो की राइटिंग से एक बड़ी शिकायत है. यहां हर मेजर किरदार की लाइफ को स्पेस देने की कोशिश करना चाहा गया, पर ऐसा करने में डेप्थ में उतरना भूल गए. जैसे हमें पता चलता है कि इस किरदार की लाइफ में फलां-फलां दिक्कत है, इसलिए ये ऐसा कर रहा है. ऐसा पता चलता है सिर्फ डायलॉग्स के ज़रिए, एक्शन से नहीं. मतलब किरदार जितने ऑन स्क्रीन दिख रहे हैं, वैसे ही छोड़ दिए गए. वो इससे पहले कैसे रहे होंगे, उनकी लाइफ क्या थी, ये जानने की जिज्ञासा कभी नहीं जाग पाती.

जयदीप अहलावत और जीशान आयूब ने दोनों भाइयों का रोल किया है.
अगर एक्टिंग की बात करें तो तीन एक्टर्स के हिस्से अच्छे सीन आए. पहला तो जगजीत की पत्नी प्रिया बनी श्रुति सेठ के हिस्से. प्रिया को पहली नज़र में देखकर ही आप समझ जाते हैं कि वो नीडी किस्म की है, दूसरों पर निर्भर रहती है. अपने पति की प्रायॉरिटी लिस्ट में टॉप पर नहीं आती. इस वजह से खुद को हमेशा वल्नरेबल पाती है. प्रिया के बारे में ये तमाम बातें आपको सिर्फ श्रुति को देखकर समझ आ जाती हैं. अगली हैं शीला डेविड बनी माया अलघ. शीला मैनिप्युलेटिव किस्म की इंसान है. जो सीधे तौर पर ये कुबूल भी करती है, और आदर्शवादी बनने की कोशिश नहीं करती. तीसरे नंबर पर आते हैं प्राइवेट इंवेस्टिगेटर दुष्यंत बने जितेंद्र जोशी. जिनके किरदार की ज़ुबान पर यूपी एक्सेंट का असर फ़ीका नहीं पड़ता. नशे में धुत रहता है और कुछ बड़ा काम करना चाहता है ताकि पत्नी को उस पर गर्व हो. जितेंद्र ने खुद को ऐसे कैरी किया है कि शुरुआत में वो पहचान में नहीं आते.
शो की कास्ट में काबिल एक्टर्स के नाम होने के बावजूद ये शो राइटिंग के टर्म्स में पिछड़ जाता है. ऐसे में लास्ट एपिसोड को जल्दी-जल्दी रैप अप करने की कोशिश भी कोई फायदा नहीं पहुंचाती. बस आपके दिमाग में सवाल छोड़ जाती है. जैसे कहानी ऊटी में सेट थी, फिर भी हर किरदार नॉर्थ इंडियन. ऊटी को शायद सिर्फ उसकी एस्थेटिक वैल्यू के लिए यूज़ किया हो. बाकी जिस नोट पर ये सीज़न खत्म हुआ है, सेकंड सीज़न की गुंजाइश छोड़कर जाता है. आप उसके लिए एक्साइटेड होंगे या नहीं, ये शो देखकर डिसाइड कर लीजिए. फिर बता दें कि ‘ब्लडी ब्रदर्स’ को आप ज़ी5 पर स्ट्रीम कर सकते हैं.