Bad Newz
फिल्म रिव्यू - बैड न्यूज़
Bad Newz Movie Review: कैसी है Vicky Kaushal, Tripti Dimri और Ammy Virk की कॉमेडी फिल्म?

Director: Anand Tiwari
Cast: Vicky Kaushal, Tripti Dimri, Ammy Virk
Rating: 2.5 Stars
Vicky Kaushal, Tripti Dimri और Ammy Virk की फिल्म Bad Newz सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है. Anand Tiwari फिल्म के डायरेक्टर हैं. कहानी की शुरुआत होती है सलोनी से. वो Ananya Pandey को अपनी कहानी सुना रही है. अनन्या सलोनी की बायोपिक में उसका रोल करने वाली हैं. वो कहती हैं कि आप तो नैशनल क्रश, भाभी 2 बन चुकी हैं. इस पॉइंट पर आप समझ गए होंगे कि सलोनी का रोल तृप्ति डिमरी ने किया है. ‘बैड न्यूज़’ में सिर्फ ये इकलौता मेटा रेफ्रेंस नहीं है. बल्कि फिल्म के मेटा रेफ्रेंस से ही मेकर्स थोड़ी-बहुत कॉमेडी निकाल पाए हों. फिर चाहे वो विकी कौशल का कहना हो कि कटरीना के पोस्टर को कोई हाथ नहीं लगाएगा, ये पर्सनल है. या फिर सलोनी की मां का कहना कि पड़ोस वाले कबीर को देख, प्रीति से प्यार भी करता है और उसे थप्पड़ भी मारता है.
विकी ने अखिल चड्ढा का रोल किया है. करोल बाग का बंदा. दिल और ज़बान, दोनों से देसी. इसे देखकर पूरी तरह ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ वाले रॉकी रंधावा दिस साइड की याद आती है. फिर आप ‘बैड न्यूज़’ के राइटर्स का क्रेडिट देखते हैं, और वहां ‘रॉकी और रानी’ की को-राइटर इशिता मोइत्रा का नाम पाते हैं. अखिल और सलोनी मिलते हैं. सलोनी एक शेफ है जो मेराकी स्टार पाना चाहती है. कहती है कि ये किसी शेफ के लिए ऑस्कर समान है. कुछ मोनटाज में अखिल और सलोनी को प्यार होता है. शादी हो जाती है, और अखिल से परेशान होकर सलोनी उससे तलाक ले लेती है. सलोनी को गुरबीर मिलता है. दोनों इंटीमेट होते हैं. कट टू सलोनी प्रेग्नेंट होती है. डॉक्टर बताता है कि ये Heteropaternal Superfecundation का केस है. यानी यहां एक ही मेन्स्ट्रल साइकिल में दो अलग-अलग एग फर्टिलाइज़ हो गए. यहां से अखिल और गुरबीर की लड़ाई शुरू होती है. दोनों खुद को असली पिता साबित करने में लग जाते हैं.

जिस तरह से ये फिल्म खत्म होती है, उससे लगता है कि ये अखिल के एक बेहतर पार्टनर और अच्छा पेरेंट बनने की कहानी थी. उसे ये समझना ज़रूरी था कि इन शब्दों के क्या मायने हैं. लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि सिर्फ यही फिल्म की थीम थी. हर फिल्म की एक थीम होती है. ये वो कॉमन आइडिया है जिससे आपकी पूरी कहानी बंधी हुई रहती है. एक हॉलीवुड फिल्म याद आती है, Kramer Vs. Kramer के नाम से. वहां भी थीम एक आदमी के अच्छा पेरेंट बनने के बारे में थी. हालांकि टोन के मामले में वो ‘बैड न्यूज़’ से बिल्कुल अलग फिल्म है. ‘बैड न्यूज़’ को देखकर लगता है कि यहां मेकर्स ने एक से ज़्यादा थीम डालने की कोशिश की. अखिल को एक अच्छा पेरेंट और पार्टनर भी बनना था. सलोनी को अपना पैशन भी पूरा करना था. गुरबीर को भी उसका प्यार दिलाना था. कहानी बहुत जगह फैली हुई थी. यही वजह है कि आप किरदारों के सफर में उनके साथ नहीं चल पाते. ये दूर से एक कहानी ही लगती रहती है. वो इमोशनल इंवेस्टमेंट नहीं बन पाती.

बाकी ऐसा भी नहीं है कि फिल्म की राइटिंग किसी भी पॉइंट पर काम नहीं कर पाती. एक कमर्शियल एंटरटेनर होने के लिहाज़ से यहां सीमित टाइमफ्रेम था. ऊपर से कहानी में काफी एलिमेंट्स को जगह देनी थी. ऐसे में मेकर्स ने सभी खुले धागों को बांधने की कोशिश की है. बस समस्या यही थी कि उनका इमोशनल इम्पैक्ट आप तक नहीं पहुंचता. एक जगह अखिल अपने एक फोबिया के बारे में बताता है. उस वजह से उसकी और सलोनी की शादीशुदा ज़िंदगी में खलल पड़ रहा था. वो जो अपने फोबिया की वजह बताता है, उसे सुनकर आपको उसके लिए बुरा भी लगेगा. बस मसला ये था कि उस सीन में बस वो अपनी कहानी सुनाता है. सलोनी को उसके लिए बुरा लगता है. बात खत्म. कहानी ‘ऑल ओवर द प्लेस’ जाने की जगह अगर कुछ सीमित पहलुओं पर फोकस करती तो बेहतर होता. राइटिंग के साथ-साथ एक शिकायत साउंड डिज़ाइन से भी है. फिल्म में कई मौकों पर बैकग्राउंड साउंड इतना लाउड है कि किरदारों के डायलॉग दबने लगते हैं.
अखिल बने विकी को देखना फन था. वो अपने किरदार के देसी पहलू के साथ न्याय करते हैं. साथ ही उसका वल्नरेबल साइड भी समझते हैं. तृप्ति डिमरी की प्रेज़ेंस ऐसी है कि इतने फसाद के बीच भी वो अपनी जगह बना लेती हैं. उनके हिस्से ऐसा कोई यादगार या आइकॉनिक सीन नहीं आया. लेकिन जितना पेपर पर लिखा गया, उतना वो आसानी से डिलीवर कर देती है. ऐसा ही केस गुरबीर बने एमी विर्क का भी है. उनके किरदार को जितनी ज़रूरत थी, उतना वो कर देते हैं.
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