अब हम मुख्य मसले पर आते हैं, जो कि है 'आरण्यक' सीरीज़ पर बातचीत. पिछले दिनों स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म वूट पर 'कैंडी' नाम की एक सीरीज़ आई थी. जब आप 'आरण्यक' देखेंगे, तो आपको लगेगा कि ये दोनों सीरीज़ ऑलमोस्ट एक ही स्टोरीलाइन पर बेस्ड हैं. जो भी फर्क है वो प्रोडक्शन वैल्यू और मेकर्स के अप्रोच में है. एक ही कहानी दो अलग-अलग लोग सुनाएंगे, तो उसमें थोड़ा अंतर तो आ ही जाएगा. क्योंकि दो लोगों के सोचने-समझने-देखने और चीज़ों को प्रोसेस करने का तरीका अलग-अलग होता है.

'आरयण्क' सीरीज़ के एक पोस्टर में रवीनी टंडन और परमब्रता चटर्जी.
'आरण्यक' की कहानी घटती है हिमाचल प्रदेश के एक फिक्शनल टाउन में, जिसका नाम है सिरोना. सिरोना में एक जंगल है, जहां से एमी नाम की फ्रेंच लड़की की लाश मिली है. वहां की लोकल पुलिस इस मामले की तहकीकात में लगी हुई है. मगर इलाके के लोगों को लगता है कि ये हरकत नर-तेंडुआ नाम के एक सुपरनैचुरल किलर की है. नर-तेंडुआ बेसिकली इंसान और तेंदुए का मिक्सचर है. जिस दिन ये घटना होती है, उसी दिन से थाने की SHO कस्तूरी डोगरा एक साल की छुट्टी पर जा रही हैं. ऐसे में उन्हें अंगद नाम का एक दूसरा ऑफिसर थाने में रिप्लेस करता है. पुलिस तकरीबन ये मान चुकी है कि नर-तेंडुआ ही लड़कियों का रेप कर, उनका मर्डर कर देता है. मगर नए SHO साहब इन सब चीज़ों पर विश्वास नहीं करते. इसलिए वो मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. फिर आपको पता चलता है कि इतने बिल्ड-अप के बाद ये सीरीज़ CID टाइप एंड के साथ खत्म होगी.
'आरण्यक' बड़ी कंफ्यूज़िंग सीरीज़ है. इस सीरीज़ के मेकर्स ये तय नहीं कर पाए कि इस सीरीज़ को सुपरनैचुरलर बनाया जाए, थ्रिलर वाले गुण डाले जाएं, whodunnit वाले ज़ोन में रखें या पुलिस प्रोसीजरल शो बनाएं. इसलिए ये सीरीज़ इनमें से किसी जॉनर या सब-जॉनर में फिट नहीं होती. पूरी सीरीज़ ये साबित करने में खर्च होती है कि सुपरनैचुरल कुछ नहीं है. ये सारा कुछ इंसान ही कर रहे हैं. मगर सुपरनैचुरल एलीमेंट को खारिज़ करने का बावजूद आखिरी सीन में ऐसा इशारा किया जाता है कि नर-तेंडुआ जैसी कोई चीज़ हमेशा से थी.

सीरीज़ के अलग-अलग सीन्स में रवीना टंडन, ज़ाकिर हुसैन और आशुतोष राणा.
इस सीरीज़ से रवीना टंडन ने अपना डिजिटल डेब्यू किया है. उन्होंने SHO कस्तूरी डोगरा का रोल किया है. रवीना की जो फिल्मोग्रफी रही है, उस लिहाज़ से ये सीरीज़ उनके लिए बिल्कुल ही आउट द बॉक्स कॉन्टेंट रही होगी. ये सीरीज़ थोड़ी कम बचकानी लगती, अगर उनके कैरेक्टर को थोड़ी सेंसिब्लिटी और लॉजिक बख्शी जाती. कस्तूरी एक साल के ब्रेक पर जा रही है. ताकि अपनी फैमिली को टाइम दे सके. क्योंकि उसका परिवार बिखरने की कगार पर है. मगर वो छुट्टी लेकर भी पुलिस की नौकरी जारी रखे हुए है. जबकि उसकी जगह एक नया पुलिस ऑफिसर अपॉइंट किया जा चुका है. उसके परिवार की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. मगर कस्तूरी को सिर्फ नौकरी करनी है. जब उसका पति इस चीज़ की ओर ध्यान दिलाता है, तो उसे कहा जाता है कि पुलिस की नौकरी एक नशा है.
एक इंट्रेस्टिंग चीज़ है कि कस्तूरी अपनी जॉब में इतनी बिज़ी रही कि उसे खाना बनाना तक नहीं आता. गुड! ज़रूरी नहीं है कि हर महिला को खाना बनाना आए. मगर लॉजिक कहां है ब्रो? कस्तूरी के लिए खाना उसकी बेटी बनाती है. मगर जब उसकी बेटी नहीं थी या छोटी थी, तब खाना कौन बनाता था? ये सवाल इसलिए है क्योंकि सीरीज़ के किसी सीन में ऐसा भी नहीं बताया गया है कि उसकी फैमिली के मर्दों को खाना बनाना आता है. या वो इतने लिबरल माइंडसेट के हैं कि घर पर खाना बनाने में उनका मेल इगो हर्ट न हो. ये पूरा सिचुएशन एक ही समय पर वोक दिखने की कोशिश में जोक बन जाने जैसा लगता है.

वेब सीरीज़ के एक सीन में रवीना टंडन और परमब्रता चटर्जी.
'आरण्यक' की दूसरी दिक्कत ये लगती है कि वो अपनी फीमेल लीड यानी कस्तूरी को पहले पुल डाउन करती है. उसे नीचा दिखाया जाता है कि उसे काम समझ नहीं आता. या उसके काम करने का तरीका गलत है. जो कि सही में गलत है. मगर सीरीज़ के आगे बढ़ते-बढ़ते वो इस कहानी की हीरो बन जाती है. सब लोग उसका कहा फॉलो करने लगते हैं. उसका रिप्लेसमेंट उसे अचानक से भाव देना शुरू कर देता है. दोनों के बीच नॉट एग्ज़ैक्ट्ली रोमैंस मगर वैसा ही कुछ शुरू हो जाता है. ये सब देखकर फिल्म कंपैनियन के हालिया एक्टर्स राउंडटेबल में तापसी पन्नू का स्टेटमेंट याद आ जाता है. तापसी ने कहा था कि उन्हें ट्रांसफॉर्म होकर फिल्म आखिर में हीरो नहीं बनना. उन्हें पहले फ्रेम, पहले सीन से फिल्म के हीरो के तौर पर दिखना है. और वो इस बात को लेकर वो बिल्कुल फ्रैंक और अन-अपोलोजेटिक थीं.
परमब्रता चटर्जी ने 'आरण्यक' में अंगद मलिक नाम का किरदार निभाया है, जिसे दूसरे शहर से सिरोना भेजा गया है. ताकि कस्तूरी की गैर-मौजूदगी में वो थाने का काम संभाल सके. ये ऐसा कैरेक्टर है, जो ठीक वैसा ही महसूस करता है, जैसा इस सीरीज़ को देखते हुए पब्लिक. उसे समझ ही नहीं आता कि उस इलाके के लोग इतनी डंब और इल्लॉजिकल बातें कैसे कर सकते हैं. तिस पर इस सीरीज़ में हर बात पर फोन रिकॉर्ड निकाला जा रहा है. एंड में एक ऐसा आदमी कातिल निकलता है, जिस पर किसी को शक नहीं रहा. वो अचानक से नैरेटिव का हिस्सा बन जाता है. ऐसा लगने लगा कि हम नेटफ्लिक्स की कोई सीरीज़ नहीं, टीवी के सामने बैठकर CID सीआईडी को बिंज वॉच कर रहे हैं.

फ्रेंच लड़की एमी, जो सिरोना की आंतरिक राजनीति का शिकार हो गई.
'आरण्यक' में रवीना टंडन और परमब्रता चटर्जी के साथ आशुतोष राणा भी नज़र आते हैं. वो इस पूरी सीरीज़ में चिल्लम फूंकते रहते हैं. मगर आखिर में सबसे बड़ा राज़ का खुलासा कर देते हैं. मगर ये आप बर्दाश्त कर लेते हैं. क्योंकि आशुतोष राणा ऐसे एक्टर हैं कि आप उन्हें कितना भी बेकार रोल दे दीजिए. वो उसमें अपनी परफॉरमेंस से जान डालने की हरसंभव कोशिश करते हैं. कई बार वो कोशिश सफल हो जाती है, कई बार नहीं होती. 'आरण्यक' में उनकी कोशिश सफल नहीं हो पाती.
अगर 'आरण्यक' को प्रॉपर पर्सपेक्टिव में देखा जाए, तो ये बिलो ऐवरेज लेवल का कॉन्टेंट है. इसके प्लॉट में इतने लूप होल्स हैं कि उसकी भारपाई कोई चीज़ नहीं कर सकती है. इस सीरीज़ में आपको रवीना टंडन के नए अवतार के अलावा कुछ भी ऐसा नहीं मिलेगा, जो आपने पहले न देखा हो. काश मैं ऐसा कह पाता कि 'आरण्यक' को देखकर खुद तय करिए कि इसे देखना चाहिए कि नही!