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मूवी रिव्यू - अंतिम: द फाइनल ट्रुथ

कायदे से ये सलमान खान फिल्म नहीं होनी चाहिए थी, लेकिन बन जाती है.

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'राधे' वाली निराशा दूर कर देती है, लेकिन एक अच्छी फिल्म के तौर पर कामयाब साबित नहीं होती.
बाकी दुनिया के लिए 2021 चाहे जैसा भी हो, लेकिन सलमान भाई के फैन्स को इससे कोई शिकायत नहीं. पहले भाई की पिच्चर 'राधे, योर मोस्ट वॉन्टेड भाई' आई, जिसके बारे में बात न की जाए तो बेहतर है. अब भाई की एक और फिल्म आई है, 'अंतिम-द फाइनल ट्रुथ'. 'राधे' की तरह ये भी एक रीमेक है, 2018 में आई मराठी फिल्म 'मुलशी पैटर्न' का. वहां लीड में थे ओम भुतकर और उपेंद्र लिमये. यहां हैं आयुष शर्मा और सलमान खान. उनकी ये नई फिल्म कैसी है, यही जानने के लिए मैंने फर्स्ट डे, फर्स्ट शो देख डाला. फिल्म में क्या कुछ था, अब उस पर बात करेंगे. # न फेथफुल रीमेक, न ओरिजिनल कहानी फिल्म के शुरुआत में एक किसान परिवार अपना गांव छोड़कर शहर जा रहा होता है. वो अपनी जमीन खो चुके होते हैं. पिता ने सस्ते दाम पर जमीन बेची और अब खुद के लिए कुछ नहीं बचा. ये हमें वो परिवार नहीं बताता, बल्कि बताता है राजवीर सिंह. एक पुलिसवाला, जिसका उस परिवार से कोई वास्ता नहीं. राजवीर बने सलमान खान के नैरेशन से कहानी शुरू होती है. ये कहानी भले ही राजवीर ने शुरू की, लेकिन ये उसकी नहीं है. ये कहानी है उस किसान के बेटे राहुल्या की. एटलीस्ट ओरिजिनल में कहानी का सेंटर राहुल्या ही था.
राहुल्या 7
हिसाब से राहुल्या की कहानी होनी चाहिए थी, लेकिन मेकर्स ने कुछ और ही बना दिया.

राहुल्या पढ़ा-लिखा नहीं, लेकिन अपने पिता की तरह मजदूरी करना भी ज़रूरी नहीं समझता. जल्दी दबंग बनना है उससे. राहुल्या का गुस्सा उसकी नाक पर रहता है. एक दिन इसी गुस्से के चलते एक प्रॉब्लम में फंस जाता है. जिसके बाद पहले जेल का कैदी और फिर अपने एरिया का भाई बन जाता है. आगे हिसाब से कहानी राहुल्या के राइज़ एंड फॉल की होनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा होता नहीं. मेकर्स हमें ये यकीन दिलाने की कोशिश करते हैं कि कहानी की शुरुआत और अंत राहुल्या पर ही होता है. इस शुरुआत और अंत में इतना कुछ घटता है कि एक ही सवाल बनता है, कि भाई कहना क्या चाहते हो. नहीं समझे? आइए तनिक डिटेल में बताते हैं.

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