आंधी का विवाद सिर्फ इमरजेंसी तक ही सीमित नहीं, फिल्म के असली लेखक को लेकर भी कई तरह की बातें बनी थीं. फोटो - ट्विटर/ इंडिया टुडे फाइल
साल 1975. भारत के इतिहास में इस साल को कैसे भूला जा सकता है भला. 26 जून, 1975 की वो सुबह मानो अभी भी लोगों की यादों में ताज़ा है. जब ऑल इंडिया रेडियो पर अनाउंसमेंट हुआ.
“राष्ट्रपति ने इमरजेंसी लागू कर दी है. घबराने की कोई बात नहीं.” 1975 का ये साल सिर्फ इमरजेंसी के लिए ही याद नहीं किया जाता. इमरजेंसी लागू किए जाने से ठीक 20 हफ्ते पहले कुछ और भी हुआ था. जो इमरजेंसी जितना दुर्भाग्यवश ना होते हुए भी इससे ताल्लुक रखता था. दरअसल, एक फिल्म रिलीज़ हुई थी. 13 फ़रवरी 1975 को. नाम था ‘आंधी’.
अपने नाम के अनुरूप ही आंधी मचाई. लेकिन रिलीज़ के वक्त नहीं. इमरजेंसी के वक्त. जब बात उड़ने लगी कि फिल्म इंदिरा गांधी की कहानी है. बस फिर क्या था. कांग्रेस सरकार ने फिल्म पर कैंची चलाने से लेकर इसे डिब्बाबंद करने तक की पुरजोर कोशिशें की. आगे सरकार ने जो कुछ किया, उसकी बदौलत फिल्म एक क्लासिक एग्ज़ाम्पल बन गई. कि जब भी सत्ता अभिव्यक्ति की आज़ादी पर तलवार चलाएगी, तब-तब एक आंधी आएगी. इसी फिल्म पर बात करेंगे. जानेंगे जब इसे पहले रिलीज़ किया गया, फिर बैन और दो साल बाद फिर से रिलीज़ किया गया. बात करेंगे फिल्म की मेकिंग से जुड़े कुछ किस्सों की.
