फिल्म दोबारा का एक दृश्य और उसमें पढ़ी गई कविता.
फिल्मों की ताकत ऐसी होती है कि असल जिंदगी में नंगी आखों, सीधे स्पर्श से जो हम अनुभव करते हैं, उससे भी प्रभावोत्पादक ढंग से, उन्हीं स्थितियों को फिल्में हमें अनुभव करवा जाती हैं. लेकिन हर फिल्म ये जादू हासिल नहीं कर पातीं.
राइटर-डायरेक्टर बिजॉय नांबियार की नई फिल्म 'दोबारा' वो फिल्म लग रही है जो जादू हासिल कर पाई है. कोई 66 मिनट की ये फिल्म प्यार, किसी अजनबी से शादी, शादी के बाद के असीम अनुभव, शादी के बाद की टूटन, टूटन के बाद प्यार का रह जाना ऐसी भावनाओं के करीब चलती है. ये शब्द पढ़ते हुए मन में कोई फोटो नहीं बन रही होगी लेकिन फिल्म का ट्रेलर देखेंगे तो जान पाएंगे. इसे देखते हुए कुछ काव्यात्मक सा अहसास होता है. इसमें मानव कौल (काई पो छे, सिटी लाइट्स) और पार्वथी ओमनाकुट्टन ने लीड रोल किए हैं. बिजॉय ने इससे पहले 'शैतान' (2011), 'डेविड' (2013), 'वजीर' (2016) जैसी फिल्में डायरेक्ट की हैं.
'दोबारा' का ट्रेलर: https://youtu.be/G9E_GgatuFc फिल्म की कहानी कुछ यूं है:
पार्वती एक 22 साल की आज़ाद ख़याल युवती है. किसी से प्यार करती है. लेकिन युवक कहता है कि उनका साथ में कोई भविष्य नहीं है. न चाहते हुए भी पार्वती को ऐसे आदमी से ब्याह करना पड़ता है जिसे माता-पिता ने चुना है. नाम है मोहन. दोनों शादीशुदा जिंदगी की नई शुरुआत, नई जगह करते हैं. मोहन अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता है लेकिन उसकी प्राथमिकता शुरू से ही उसकी नौकरी है. वो इस इरादे से कि अपने परिवार को एक बेहतरीन जीवन मुहैया करवा सके. लेकिन काम की वजह से ही वैवाहिक जीवन में अजनबीपन आने लगता है. जब इन लोगों का बेटा रोहन ग्रेजुएशन पूरी करता है तो पार्वती अपने 20 साल के ब्याह को खत्म करने का फैसला लेती है.