सबको लगता है हमारा शहर तो बेस्ट है जी. चाहे जगह-जगह गाय गोबर गिरा रही हो और हर फुटपाथ पर अंकल जी मूत्र विसर्जन करते दिख जाएं. लेकिन अपने अपने शहर को बेहतर साबित करने के लिए लोग सोशल मीडिया पर ही सही, एक दूसरे की जान लेने पर उतारू रहते हैं. और बात दिल्ली वर्सेज मुंबई की हो तो लोग एक दूसरे की आंखें नोच सकते हैं. पर कुछ बातें ऐसी हैं जो दिल्ली सीख सकती है मुंबई से. भड़को नहीं दिल्ली के कूल लोग. अपनी राय दो.
1. औरतों की सेफ्टी
दोनों शहर देख चुके लोगों का मानना है कि मुंबई औरतों के लिए एक सेफ जगह है. जहां दिल्ली में लड़कियां रात 9 बजे के बाद घर से बाहर कदम रखने में घबराती हैं, वहीं मुंबई में देर रात तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट, ऑटोरिक्शा, और टैक्सी में सफर कर सकती हैं. दिल्ली में कई लड़कियां कई करियर और एजुकेशन के आप्शन सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ देती हैं क्योंकि वो देर रात घर लौटने से घबराती हैं.
2. ड्राइविंग
गाड़ियां उड़ाना और मौका देख के झट से सिग्नल तोड़ देना तो जैसे दिल्ली की नसों में है. पहले तो ट्रैफिक नियम तोड़ना, और जब उसकी वजह से गाड़ी ठुक जाए तो उतर कर अगले बंदे पर गालियां बरसाने से लेकर थप्पड़ मारने तक उतर आते हैं. कुल मिला कर दिल्ली के लोगों में खूब अग्रेशन है. और मुंबई के लोगों से दिल्ली वालों को पेशेंस सीखना चाहिए.
3. नाक न घुसाना
"बेटा आपकी कास्ट क्या है? आप नॉन-वेज तो नहीं खाते? बेटे तेरा बॉयफ्रेंड तो नहीं है? आम स्मोक क्यों करते हो?" ऐसे सवाल मानों दिल्ली वालों के दिमाग में हमेशा कुलबुलाते रहते हैं. और कहीं गलती से किराए पर मकान लेने पहुंच गए, तो आपके पुरखों की हिस्ट्री भी निकलवा लेते हैं. दिल्ली वालों को मुंबई वालों से अपने काम से काम रखना सीखना चाहिए. ताकि 'लोग क्या कहेंगे' सोचना छोड़ कर दूसरे भी बेफिक्री से रह सकें.
4. ऑटोरिक्शा मीटर से चलाना
"मैडम जी 120 दे देना. मीटर से भी तो उतने ही आते हैं." यही जवाब पाएंगे आप अगर दिल्ली में किसी ऑटो रिक्शा वाले से मीटर ऑन करने को कहेंगे. जबकि मुंबई में ऑटो का मीटर ऑन करना ऑटो वालों की आदत में शुमार है. दिल्ली का तो ये आलम है कि लोग घर से एक्स्ट्रा टाइम ले कर बहार निकलते हैं कि ऑटो वाले से चिक चिक करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके. और अगर ऑटो वाले भईया जी ने ताड़ लिया कि आप जल्दी में हैं, और आस पास कोई और ऑटो नहीं, तब तो तय है कि आपकी जेब हल्की हो कर रहेगी. मुंबई के ऑटो वाले दिल्ली के ऑटो वालों के लिए आदर्श बन सकते हैं.
5. बसों के लिए लाइन में लगना
दिल्ली में पीक आवर्ज में बस पकड़ने के लिए आपके पास असाधारण शक्तियां होनी ही चाहिएं. वरना लोग आपको धकियाते हुए बढ़ जाएंगे और अगली बस के चक्कर में आप पूरा दिन गुज़ार देंगे. लेकिन मुंबई में आती हुई बस देख कर लोगों के अन्दर का जानवर नहीं जागता. लोग लाइन में खड़े होकर आराम से बस का वेट करते हैं और बिना एक दूसरे को मारे पीटे बस में चढ़ते हैं.