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योगी सरकार पर 'हिंदूगर्दी' मचाने का आरोप लगाने वाले रफीक अंसारी कौन हैं?

बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष को हरा चुके हैं अंसारी.

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बाएं से दाएं. Rafiq Ansari के वायरल वीडियो से लिया गया स्क्रीनशॉट और अखिलेश यादव के साथ रफीक अंसारी. (फोटो: ट्विटर)
समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में FIR दर्ज हो गई है. मेरठ सिटी से विधायक रफीक अंसारी ने हाल ही में एक बयान दिया था, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ. बयान को हिंदू विरोधी बताया गया. रफीक अंसारी ने कहा था,
"इस सरकार ने पिछले पांच सालों में पूरी हिंदूगर्दी मचाई है. हर थाने में हिंदूगर्दी है. अगर ये सरकार बन गई तो ये गुंडा, बदमाश हो जाएगा. मेरठ का मुसलमान कभी किसी से दबा नहीं है. लेकिन इस सरकार ने मुसलमानों को दबाने का काम किया है. कुचलने काम किया है. हालात बहुत खराब हैं."
रफीक अंसारी के इस बयान के बाद बीजेपी ने उनके और समाजवादी पार्टी के ऊपर निशाना साधा. तुष्टिकरण और हिंदू विरोध के आरोप लगाए. इस बयान से पहले भी बीजेपी ने रफीक अंसारी को निशाने पर लिया था. जब समाजवादी पार्टी ने कैराना से नाहिद हसन को टिकट दिया था, तब बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने नाहिद हसन के साथ-साथ रफीक अंसारी का भी नाम लिया था. उन्होंने समाजवादी पार्टी पर आपराधिक छवि के नेताओं को टिकट देने का आरोप लगाया था. पार्षदी से शुरू की राजनीति रफीक अंसारी समाजवादी पार्टी के पुराने नेता हैं. मुलायम सिंह यादव को अपना आदर्श मानते हैं. उनका जन्म 5 नवंबर 1962 को मेरठ के एक बुनकर परिवार में हुआ. गरीबी में पले-बढ़े रफीक अंसारी ज्यादा पढ़ाई-लिखाई नहीं कर पाए. आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी. क्रिकेट खेलने का शौक था. कपिल देव को अपना आदर्श मानते थे. एक तरफ क्रिकेट खेलते और दूसरी तरफ छोटे-मोटे काम करके परिवार का पेट पालते. 22 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई. धीरे-धीरे मन राजनीति की ओर गया. न्यूजट्रैक नाम के न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू में अंसारी ने बताया था,
"मैं लोगों की परेशानी देखता था. बिजली, पानी, सड़क, सफाई जैसी समस्याएं. छोटे-मोटे काम के लिए भागादौड़ जैसी समस्याएं. इनको देखते हुए ही मैं राजनीति में आया."
रफीक अंसारी ने सबसे पहले पार्षदी का चुनाव जीता. समाजवादी पार्टी की टिकट पर लगातार तीन बार पार्षद चुने गए. इसी दौरान पार्टी के भीतर उनका कद भी बढ़ता गया. साल 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्हें मेरठ सिटी सीट से विधायकी का टिकट मिला. वो भारतीय जनता पार्टी के पूर्व उत्तर प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई से करीब चार हजार वोटों के अंतर से हारे. लेकिन इससे पार्टी में उनका कद कम नहीं हुआ. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हारने के बाद भी अंसारी को हथकरघा एवं पर्यटन विभाग में दर्जा प्राप्त मंत्री का पोर्टफोलियो दिया गया. साल 2014 में जब मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के भीतर मौजूद कथित गद्दारों को खोज निकालने की बात कही, तो इसकी जिम्मेदारी रामगोपाल यादव, शिवपाल यादव, रामवृक्ष, नावेद सिद्दीकी और श्रीपति सिंह जैसे बड़े नेताओं के साथ-साथ रफीक अंसारी को भी दी गई थी. इसी दौरान रफीक अंसारी ने मेरठ के मेयर पद का चुनाव लड़ा. इस चुनाव में भी उन्हें बीजेपी के हरिकांत अहलूवालिया के हाथों हार मिली.
फिर आया साल 2017 का विधानसभा चुनाव. समाजवादी पार्टी की तरफ से एक बार फिर से रफीक अंसारी को टिकट दिया गया. इस बार फिर उनके सामने बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई ही थे. हालांकि, इस बार बाजी पलट गई थी. बीजेपी की लहर के बीच भी रफीक अंसारी ने लक्ष्मीकांत वाजपेई को 28 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया. वो मेरठ जिले की कुल सात विधानसभा सीटों में अकेले गैर बीजेपी विधायक रहे. हिस्ट्रीशीटर रफीक अंसारी रफीक अंसारी पर कई आपराधिक मुकदमे भी दर्ज हैं. वो मेरठ के नौचंदी थाना क्षेत्र के हिस्ट्रीशीटर हैं. नवंबर 2017 में रफीक चौधरी का एक कथित ऑडियो वायरल हुआ था. इसमें वो अपनी ही पार्टी के नेता बिंदु खां को कथित तौर पर जान से मारने की धमकी दे रहे थे. बिंदु ने उनके ऊपर पार्षदी की टिकट बेचने का आरोप लगाया था.
30 जनवरी 2020 को रफीक अंसारी के खिलाफ मेरठ की एक अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया. ये वारंट 13 साल पहले के एक मामले में जारी किया गया. दरअसल, साल 2007 में अनिल गुर्जर नाम के नगर निगम के एक ठेकेदार ने आरोप लगाया था कि रफीक अंसारी ने उनके ऊपर चाकू से हमला किया. इस मामले में चार साल बाद 2011 में चार्जशीट दाखिल हुई थी. हालांकि, रफीक की गिरफ्तारी नहीं हुई.
एक कार्यक्रम में भाषण देते Rafiq Ansari. (फोटो: ट्विटर)
एक कार्यक्रम में भाषण देते Rafiq Ansari. (फोटो: ट्विटर)

रफीक अंसारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर मुस्लिम समुदाय से भेदभाव करने का आरोप लगाते रहे हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया था कि योगी आदित्यनाथ को मुसलमानों से नफरत है. यही नहीं, उनका कहना है कि उद्योगपतियों गौतम अडानी और मुकेश अंबानी ने केंद्र सरकार को अपनी जेब में रख रखा है. साथ ही साथ उन्होंन देश के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर भी बीजेपी के पक्ष में फैसले सुनाने का आरोप लगाया था.
अंसारी का ये भी दावा है कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनावों की वोटिंग के दौरान उन्हें एक वरिष्ठ बीजेपी नेता की तरफ से क्रॉस वोटिंग करने के लिए 10 करोड़ रुपये का ऑफर मिला था. हालांकि, उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया. फिलहाल रफीक अंसारी अपने बयान को लेकर विवादों में हैं. हालांकि अपने इलाके में उनकी छवि सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने वाले नेता की है. बुनकर समुदाय की बहुत सारी समस्याओं को उन्होंने उठाया. समुदाय की समस्याओं पर बात करते हुए उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि हिंदू धागा बनाता है, मुसलमान उससे कपड़े बुनता है और फिर हिंदू व्यापारी उन कपड़ों को बेचता है. इस तरह से अलग-अलग धर्मों के लोग आपस में मिलकर एक दूसरे का सहयोग करते हैं.

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