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जिया उल हक की हत्या कैसे हुई, राजा भैया ने क्या बताया?

इस हत्याकांड की दोबारा जांच को लेकर राजा भैया क्या बोले?

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'द लल्लनटॉप' के खास चुनावी शो ‘जमघट’ में राजा भैया से CO जिया उल हक की हत्या पर सवाल किया गया.

यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं. सियासी माहौल गरम है. ऐसे में 'दी लल्लनटॉप' के खास चुनावी शो ‘जमघट’ में पहुंचे राजा भैया. शो में हमारे संपादक सौरभ द्विवेदी ने राजा भैया से कई सवाल पूछे. इनमें जिया उल हक का मामला भी शामिल था. राजा भैया से पूछा गया,

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कुछ ही दिन पहले हाई कोर्ट ने CBI की DSP जिया उल हक मौत मामले में जो क्लोजर रिपोर्ट दाखिल हुई है, उसको स्वीकारने से इंकार कर दिया है. दोबारा जांच के लिए कहा है. इस पर आपका पक्ष क्या है?

जवाब-

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पहले तो आपका ये सवाल पूछने के लिए दिल से शुक्रिया. विवाद के कारण प्रधान की हत्या हुई. हॉस्पिटल से प्रधान के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पुलिस शव सीधे गांव ले आई. इधर गांव में आक्रोश बढ़ रहा था. फिर पुलिस को यादा आया कि पोस्टमार्टम होना है. तो शव को लेने पुलिस फिर गांव आई. आक्रोशित गांव वालों ने पुलिस पार्टी पर हमला कर दिया. पुलिस पार्टी में CO समेत जो भी लोग थे वो भागे, लोगों ने CO पर हमला किया. CO को बंदूक की बट से मारा जो लोडिड थी. तो गोली चली और जो CO पर हमला कर रहा था (नन्हे यादव का भाई) उसके पेट में लगी. नन्हे का बेटा जो पीछे से आ रहा था, उसकी लाश और बंदूक देखी तो CO को गोली मार दी. ये घटना एक गली की है, जहां कम से कम 20 प्रत्यक्षदर्शी रहे होंगे. ये कोई सुनियोजित वारदात नहीं थी.

जिया उल हक हत्या मामले में अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर भी राजा भैया ने जवाब दिया. उन्होंने कहा,

CO जिया उल हक की हत्या की कोई भी FIR मेरे ऊपर नहीं है. जब ये घटना हुई तो विधानसभा चल रही थी. तब हमने सबसे पहले इस घटना की CBI जांच की मांग की थी. हम जानते थे कि सरकार में हम मंत्री हैं और अगर स्टेट की एजेंसी जांच करेगी तो पक्षपात के आरोप लगेंगे. 2013 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, जब की यह घटना है. अब CBI ने जांच की और अपनी रिपोर्ट रखी. अब कोई वजह से रिपोर्ट नहीं मंजूर की गई होगी. मैं पहले भी जांच के लिए तैयार था, आज भी हूं. बाकी जिन्होंने हत्या की थी वो आज जेल में हैं.

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क्या है मामला? तारीख थी 2 मार्च 2013. यूपी का प्रतापगढ़ जिला. उस दिन यहां के कुंडा विधानसभा क्षेत्र के बलीपुर गांव में नन्हे यादव नाम के ग्राम प्रधान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद हिंसा भड़की और प्रधान के भाई सुरेश की भी मौत हो गई. घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे इलाके के DSP जिया उल हक. इसके बाद जो हुआ, उसने रघुराज प्रताप सिंह का नाम हर किसी के मुंह पर ला दिया. उस हिंसा में शामिल भीड़ ने DSP जिया उल हक को पीट-पीट कर मार डाला था. उनकी हत्या में आरोप लगे उस समय यूपी के कैबिनेट मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर. कहा गया किसी मामले को राजा भैया की DSP जिया उल हक से तनातनी थी. इसलिए हत्या की साजिश रची गई. हालांकि मामले की जांच करने वाली CBI ने राजा भैया को क्लीनचिट दे दी. लेकिन फिर दिवंगत DSP की पत्नी की अपील पर पहले सीबीआई कोर्ट ने सीबीआई रिपोर्ट को खारिज किया. उसके बाद हाई कोर्ट ने भी जांच रिपोर्ट को मानने से इंकार कर दोबारा इन्वेस्टिगेशन करने के लिए कहा.

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