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'काली मां मोदी बाबा की रक्षा करें...' चीखते हुए अपना खून चढ़ाया, पता लगा आधी उंगली ही कट गई, फिर...

शख्स ने अपने घर में PM Modi के लिए एक मंदिर बना रखा है. 2014 में भी शख्स ने खून से एक चिट्ठी लिखी थी. लेकिन इस बार खून चढ़ाते समय उंगली ही कट गई, फिर क्या हुआ?

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शख्स PM मोदी का समर्थक है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) जीतने के लिए नेता और दल, हर संभव कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उनके समर्थक भी इसमें पीछे नहीं हैं. चुनावी रैलियों में भाग लेना हो, नारे लगाने हो या रोड शो करना हो समर्थक कहीं भी पीछे नहीं. लेकिन कर्नाटक (Karnataka) से जो खबर आई है, वो थोड़ी अलग है. यहां PM मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए एक शख्स देवी काली की मूर्ति पर खून चढ़ाने की कोशिश कर रहा था. इस दौरान उसकी उंगली कट गई. फिर क्या हुआ? आपको आगे बताते हैं.

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शख्स का नाम है- अरुण वर्नेकर. अरुण नॉर्थ कन्नड़ जिले के कारवार के सोनारवाड़ा के रहने वाले हैं. पेशे से जौहरी हैं. PM मोदी के बड़े वाले ‘फैन’ हैं. उनकी चाहत है कि वो PM नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते हुए देखें. इसलिए वो देवी काली की प्रतिमा पर खून चढ़ा रहे थे. इस दौरान गलती से उनके बाएं हाथ की तर्जनी का अगला हिस्सा कट गया. 

वर्नेकर ने कहा कि खून चढ़ाते समय उनसे छुरी पर ज्यादा जोर लग गया. और उंगली का एक हिस्सा कट गया. उन्होंने कहा कि वो इसे देवी का प्रसाद मानेंगे.

उंगली कटने के बाद उसका कटा हुआ हिस्सा लटका हुआ था. इसके बाद शख्स ने खून से लिखा- ‘काली मां मोदी बाबा की रक्षा करें.’ 

वर्नेकर के परिजन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे थे. जहां डॉक्टरों ने कहा कि इसका इलाज करना संभव नहीं है. इसलिए उंगली के कटे हुए हिस्से को पूरी तरह से अलग करना होगा.

2014 में खून से लिखी थी चिट्ठी

भाजपा समर्थक वर्नेकर ने अपने घर में PM मोदी के लिए एक छोटा-सा मंदिर भी बनाया है. मंदिर में PM की प्रतिमा लगी है. उसके नीचे लिखा है- "PM मोदी भारत माता के पुजारी हैं और मैं मोदी बाबा का पुजारी हूं."

इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त भी वर्नेकर ने जनता को खून से एक चिट्ठी लिखी थी.

विधायक ने खून से चिट्ठी लिख PM को वादा याद दिलाया

पिछले महीने दार्जिलिंग के एक भाजपा विधायक ने भी PM को खून से एक चिट्ठी लिखी थी. विधायक नीरज जिम्बा ने चिट्ठी में उन्होंने गोरखाओं पर PM के 2014 के वादे को याद दिलाया था. चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि स्थायी राजनीतिक समाधान ढूंढकर और गोरखाओं के 11 छूटे हुए समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर, इस मुद्दों को हल करने का वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है.

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