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प्रमोद महाजन की बेटी की जगह उज्ज्वल निकम क्यों? मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट का तिया-पांचा

उज्ज्वल निकम पहचान के मोहताज नहीं. लेकिन पूनम महाजन भी प्रमोद महाजन के बेटी हैं. तब उनका टिकट क्यों कटा? इसका सीधा जवाब मौजूद नहीं है, लेकिन हम कुछ फैक्टर्स पर बात कर सकते हैं.

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1993 में बॉम्बे ब्लास्ट मामला उज्ज्वल निकम का पहला बड़ा केस था. (फोटो- PTI)

20 मई को लोकसभा चुनाव 2024 के पांचवें चरण की वोटिंग होनी है. उससे पहले इस चरण की एक सीट की चर्चा अचानक बढ़ गई है. ‘मुंबई नॉर्थ सेंट्रल’. भाजपा ने यहां से पूनम महाजन का टिकट काट दिया है. उनकी जगह टिकट दिया गया है चर्चित वकील उज्ज्वल निकम को (BJP Ujjwal Nikam Mumbai North Central). उज्ज्वल निकम वहीं वकील हैं, जिनकी पैरवी के बाद 26/11 के आतंकवादी हमलों के लिए आतंकी अजमल कसाब को फांसी की सज़ा हुई थी. निकम, 1993 के बंबई सीरियल बम ब्लास्ट, गुलशन कुमार मर्डर केस, शक्ति मिल रेप केस, प्रमोद महाजन मर्डर केस समेत कई हाई प्रोफाइल मामलों में सरकारी वकील रहे हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ से होगा.

उज्ज्वल निकम पहचान के मोहताज नहीं. लेकिन पूनम महाजन भी प्रमोद महाजन के बेटी हैं. तब उनका टिकट क्यों कटा? इसका सीधा जवाब मौजूद नहीं है, लेकिन हम कुछ फैक्टर्स पर बात कर सकते हैं. 

6 विधानसभाओं वाली लोकसभा

1952 में हुए पहले संसदीय चुनाव के दौरान मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. इस क्षेत्र में 6 विधानसभा की सीटें शामिल हैं- विले पार्ले, चांदिवली, कुर्ला, कलिना, बांद्रा पूर्व और बांद्रा पश्चिम. इनमें विले पार्ले और बांद्रा पश्चिम से भाजपा के नेता विधायक हैं. वहीं चांदिवली और कुर्ला सीट पर शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) का कब्जा है. कांग्रेस के पास बांद्रा पूर्व सीट है.

मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट पर मराठी मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी मोहम्मद थावर की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में इस चुनाव क्षेत्र में 16 लाख 45 हजार रजिस्टर्ड वोटर थे. इनमें से 5 लाख 59 हजार (लगभग 34 फीसदी) वोटर मराठी थे. 4 लाख 14 हजार वोटर मुस्लिम समुदाय के थे. वहीं 77 हजार ईसाई, 2 लाख 73 हजार उत्तर भारतीय, 1 लाख 80 हजार गुजराती और राजस्थानी वोटर और 1 लाख 5 हजार दक्षिण भारतीय वोटर थे. वहीं कुर्ला, चांदिवली, बांद्रा पूर्व और बांद्रा पश्चिम विधानसभाओं में मुस्लिम वोटर्स की संख्या अधिक है.

2019 में पूनम को 54 फीसदी वोट मिले

एक समय मुंबई नॉर्थ सेंट्रल को कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट माना जाता था. 2009 के लोकसभा चुनाव में प्रिया दत्त ने इस सीट से भाजपा के महेश राम जेठमलानी के खिलाफ चुनाव लड़ा. दी हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक प्रिया ने ये चुनाव 1 लाख 74 हजार वोटों के अंतर से जीता था. लेकिन 2014 में मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने कांग्रेस का ये किला गिरा दिया. उसने दिवंगत प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन को मैदान में उतारा. उन्होंने कांग्रेस की प्रिया दत्त को 1 लाख 86 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया.

वहीं पिछले चुनाव में पूनम महाजन को 4 लाख 86 हजार 672 वोट मिले थे और कांग्रेस की प्रिया दत्त को 3 लाख 56 हजार 667 लोगों ने वोट किया. पूनम के फेवर में कुल वोटिंग का लगभग 54 फीसदी वोट पड़ा था. वहीं प्रिया को लगभग 40 फीसदी वोट मिले थे. दोनों ही चुनावों में इलाके के 50 फीसदी से ज्यादा वोटरों ने पूनम महाजन के नाम पर बटन दबाया.

भाजपा का मन बदल चुका था

जाहिर है पूनम महाजन उम्मीद लगा रही थीं कि लगातार तीसरी बार बीजेपी उन्हें मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से उम्मीदवार बनाएगी. उनका कॉन्फिडेंस इतना हाई था कि टिकट बंटवारे की घोषणा से पहले ही उन्होंने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी थीं. 

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पूनम के एक करीबी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया,

उन्हें ये आभास कराया गया था कि वो इस बार भी उम्मीदवार होंगी. लेकिन जब दूसरी लिस्ट में उनका नाम नहीं आया तो संदेह होने लगा. फिर भी उन्होंने अपना काम जारी रखा.

यहां तक कि चुनावों की घोषणा से भी पहले अलग-अलग वार्डों में जाकर पूनम लोगों से वोट मांग रही थीं. हालांकि पार्टी के इरादे कुछ और ही थे. अखबार ने प्रदेश भाजपा के एक पदाधिकारी के हवाले से लिखा है,

भाजपा ने मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट के लिए मुंबई प्रमुख और बांद्रा पश्चिम से विधायक आशीष शेलार को (संभावित उम्मीदवारों की सूची में) सबसे आगे रखा था. यहां तक कि केंद्रीय नेतृत्व ने शेलार से बात भी की थी.

रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी ने उज्ज्वल निकम को उम्मीदवार बनाने से पहले कई अन्य विकल्प तलाशे थे. इनमें खुद प्रिया दत्त भी शामिल थीं. उन्हें कथित तौर पर बीजेपी या एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल करने के कई प्रयास किए गए. इसके लिए भाजपा में शामिल हुए एक पूर्व कांग्रेस नेता को मध्यस्थता का काम सौंपा गया था. लेकिन प्रिया दत्त ने पार्टी में शामिल होने से इनकार कर दिया. अंत में उज्ज्वल निकम को टिकट मिल गया.

उज्ज्वल निकम को टिकट क्यों?

महाराष्ट्र के जलगांव के एक मराठी परिवार में जन्मे उज्ज्वल निकम के पिता देवरावजी निकम बैरिस्टर थे और मां गृहणी थीं. पिता की तरह उज्ज्वल ने भी वकालत का पेशा चुना. उन्होंने जलगांव में ही एक सिविल वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. 1993 का सीरियल बॉम्बे ब्लास्ट मामला निकम का पहला बड़ा केस था.

बाद में उनका नाम कई हाई प्रोफाइल मामलों से जुड़ा. इनमें से सबसे बड़ा केस है साल 2008 का 26/11 आतंकी हमला. इस केस में निकम पब्लिक प्रोसिक्यूटर थे. मुंबई हमले की सुनवाई के दौरान निकम ने आतंकवादी कसाब के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से दलीलें दी थीं. केस ट्रायल के दौरान उन्होंने बिरयानी वाली अफवाह उड़ाई थी. फिर 2015 में सफाई में कहा था कि कुछ लोग समाज में कसाब के लिए सहानुभूति जुटाने की कोशिश कर रहे थे जिसे रोकने के लिए ही उन्होंने ये झूठी खबर फैलाई. निकम ने मीडिया के सामने माना था कि ना तो कसाब ने बिरयानी की मांग की थी और ना ही उसे बिरयानी परोसी गई थी.

अब भाजपा की कैंडिडेट लिस्ट में नाम आने के बाद निकम ने कहा,

मैं जानता हूं कि राजनीति में आपको कई झूठे आरोपों का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन मैं विश्वास दिलाता हूं कि अगर कोई मेरी गलतियां बताएगा, तो मैं उन्हें सुधारने की कोशिश करूंगा.

इसके अलावा 2013 का मुंबई गैंगरेप केस, 2016 का कोपर्डी रेप केस और 2014 के मोहसिन शेख हत्याकांड की अदालती कार्यवाही में उज्ज्वल निकम का नाम लाइमलाइट में आया था. दिलचस्प बात ये कि पूनम महाजन के पिता और दिग्गज BJP नेता प्रमोद महाजन की हत्या मामले में भी उज्ज्वल निकम सरकार के वकील थे. बीजेपी से टिकट मिलने के बाद पूनम पर बात करते हुए निकम ने कहा,

मैं पूनम जी को तब से जानता हूं जब मैंने उनके पिता की हत्या के मुकदमे के दौरान राज्य का प्रतिनिधित्व किया था. केस के दौरान मैंने देखा था कि वो कितनी मेहनती थीं. उनके पास बहुत अनुभव है. चूंकि मैं निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं इसलिए मुझे उम्मीद है कि मुझे उनकी मदद मिलेगी.

पार्टी के आंतरिक सर्वे पूनम के खिलाफ थे

27 अप्रैल को आधिकारिक घोषणा से पहले ही अटकलें थीं कि पूनम महाजन को इस बार मैदान में नहीं उतारा जाएगा. मिंट से जुड़े पत्रकार गुलाम जिलानी की रिपोर्ट की मानें तो पार्टी के आंतरिक सर्वे पूनम की उम्मीदवारी का समर्थन नहीं कर रहे थे. इसका मुख्य कारण एंटी इनकम्बेंसी बताया जा रहा है. कुछ रिपोर्ट्स ये भी दावा करती हैं कि पार्टी में पूनम महाजन के नाम को लेकर असमंजस की स्थिति थी. इसलिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा में देरी भी हुई. सूत्रों के मुताबिक एक गुट पूनम की उम्मीदवारी के पक्ष में था, तो दूसरा गुट इसके खिलाफ था.

मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि मुंबई और महाराष्ट्र भाजपा इकाइयों ने पूनम की उम्मीदवारी की सिफारिश की थी. लेकिन इस पर अंतिम फैसला केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) में विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाता है. कुछ रिपोर्ट ये भी दावा करती हैं कि पार्टी ने संतुलन बनाने के लिए मराठी उम्मीदवार उज्जवल निकम को मैदान में उतारा है. भाजपा पहले ही मुंबई की छह सीटों में से दो सीटों पर गैर-मराठियों को टिकट दे चुकी है. मुंबई उत्तर से पीयूष गोयल और मुंबई पूर्व से मिहिर कोटेचा.

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