
रामपुर: जयाप्रदा को बेहूदी बातें कहने वाले सपा नेता के चुनाव का क्या हुआ?
जी हां. यहां आज़म खान के बारे में बात हो रही है.
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भाजपा की जयाप्रदा (बाएं) पर व्यक्तिगत हमले करके सपा के प्रत्याशी आज़म खान (दाएं) चुनाव आयोग का प्रतिबन्ध भी झेल चुके हैं.
सीट का नाम: रामपुर, उत्तर प्रदेश प्रमुख प्रत्याशी : आज़म खान (सपा), जयाप्रदा (भाजपा) और संजय कपूर (कांग्रेस) रुझान: समाजवादी पार्टी के आज़म खान 1,09,997 वोटों से जीत गए हैं.
2014 के नतीजे: भाजपा के नेपाल सिंह जीते 3.58 लाख वोट पाकर. सपा के नसीर अहमद खान ने कड़ी टक्कर दी थी और 3.35 लाख वोट पाए. कांग्रेस के काजिम अली खान 1.56 लाख वोट पाकर तीसरे स्थान पर थे. 2009 के नतीजे: जयाप्रदा जीतीं. आज़म खान अब तक उनके विरोध में आ चुके थे. रामपुर के नवाबों के खानदान से ताल्लुक रखने वाली कांग्रेस की नूर बानो हार गयीं. आज़म खान बडबोले हैं. बयानों से खुद की छवि बनाने के फेर में कई बार खुद का नुकसान करवा चुके हैं. निक्कर वाला बयान हो या मायावती के जूते साफ करवाने का बयान, जयाप्रदा ने अपनी सभाओं में इन बयानों को महिला सम्मान के साथ जोड़कर रखा है, जिसे क्षेत्र में उन्हें मिली बढ़त के तौर पर देखा जा सकता है. दो बार सांसद रह चुकी हैं, जबकि आज़म खान का कद सिर्फ एक विधायक तक सिमटा रहा है. रामपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता फ़रमान कुरैशी बताते हैं कि उनके साथ-साथ रामपुर के कई लोगों ने आज़म खान का विरोध करने का खामियाजा भुगता है. यदि किसी ने आज़म का विरोध किया तो आज़म ने कथित तौर पर उनके ज़मीन-मकान पर कब्ज़ा किया और उस पर लोकनिर्माण का कोई प्रोजेक्ट रखवा दिया. ऐसे विरोधियों की संख्या बहुत है. पहला नाम आता है यूसुफ़ अली का. यूसुफ़ अली बीते साल ही बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए. चमरौआ विधानसभा से विधायक चुने गए और लम्बे समय तक आज़म का विरोध करते रहे हैं. चमरौआ ब्लॉक के गांवों में मुस्लिम और दलित आबादी पर यूसुफ़ अली की अच्छी पकड़ है. दूसरा नाम हाफ़िज़ अब्दुल सलाम का आता है. अब्दुल सलाम पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हैं और उनके परिवार के तीन अन्य लोग भी जिला पंचायत में सदस्य के रूप में शामिल हैं. आलियागंज गांव में आज़म खान पर ज़मीन हड़पने के जो आरोप लगाए जा रहे हैं, उसे एक तरह से सामने में लाने का काम हाफ़िज़ अब्दुल सलाम ने किया है. इतना काम कि योगी आदित्यनाथ से जांच की पैरवी तक कर डाली है. और तीसरा नाम नूर बानो का है. नूर बानो यानी बेग़म नूर बानो मेहताब ज़मानी. जब रामपुर के नवाब सियासत में उतरे तो लम्बे समय तक रामपुर की सीट पर कांग्रेस का कब्ज़ा रहा करता था. नूर बानो के शौहर ज़ुल्फ़ीकार अली खान पांच बार संसद पहुंचे. नूर बानो खुद दो बार संसद पहुंची. आखिर में उन्होंने 2009 में चुनाव लड़ा. सामने थीं जयाप्रदा. आज़म खान की विरोधी रहीं नूर बानो के बारे में 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान यह कहा गया कि उन्हें जयाप्रदा के खिलाफ़ आज़म खान लड़वा रहे थे. रामपुर के 52 प्रतिशत वोटर मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, तो 48 प्रतिशत हिन्दू समुदाय से. अधिकतर मुस्लिम आबादी शहर के भीतर तो हिन्दू आबादी शहर के बाहर के इलाकों में. ऐसे में शहर के भीतर तो दावे हैं कि आज़म खान सबकी ज़मानत जब्त करवा देंगे, लेकिन बाहर समीकरण बदलते हुए दिख रहे हैं. धामनी हसनपुर गांव. मुस्लिम दलित मिश्र आबादी के इस गांव का अधिकतर वोट समाजवादी पार्टी की ओर जा रहा है. इन लोगों ने आज़म खान को आज तक नहीं देखा, लेकिन जयाप्रदा पर आरोप लगाते हैं कि वे इस इलाके में कैंपेन करने तक नहीं आईं. रामपुर के युवा क्यों कह रहे हैं, 'आजम खान ने युवाओं के लिए कुछ नहीं किया'
रामपुर में काम तो जया प्रदा ने भी नहीं कराया लेकिन दावा है कि जीत जाएंगी
20 साल में 5 पार्टी बदल चुकीं जया प्रदा ने भाजपा में आने पर क्या कहा?
आजम खान की टिप्पणी के बाद जया प्रदा का इंटरव्यू

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