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बिहार में कितने घुसपैठिए? आधार से कितने लोग जुड़े? CEC ज्ञानेश कुमार के जवाब सवाल बन गए

दोनों प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार से कई पत्रकारों ने कुछ सवाल बार-बार पूछे. आरोप लगा कि दोनों ही बार वो जवाब देने से बचते नज़र आए.

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चुनाव की घोषणा के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार. (PTI)

बीते दो दिनों में निर्वाचन आयोग (EC) ने दो प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं. आज, 6 अक्तूबर को EC ने बिहार चुनाव की तारीखों का भी ऐलान कर दिया. इन दोनों प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार से कई पत्रकारों ने कुछ सवाल बार-बार पूछे. आरोप लगा कि दोनों ही बार वो जवाब देने से बचते नज़र आए. ऐसा ही एक सवाल था- बिहार में SIR के दौरान कितने घुसपैठिए या दूसरे देशों के नागरिक मिले?

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आज हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में CEC ने इस सवाल का जवाब दिया तो, लेकिन गोल-गोल.

चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद परंपरागत तौर पर चुनाव आयोग ने पत्रकारों के सवाल लेने शुरू किए. कई पत्रकारों ने शुरू में ही इस मुद्दे पर सवाल किए. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान CEC ज्ञानेश कुमार एक साथ चार-पांच सवालों के बाद साथ में सबके जवाब दे रहे थे. दूसरे देश के नागरिकों के जवाब में CEC कहते हैं,

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SIR की प्रक्रिया में ड्राफ्ट सूची जब आई थी तब 65 लाख नाम मतदाता सूची से कटे थे. और जब फाइनल लिस्ट आई तो 3.66 लाख नाम मतदाता सूची से कटे. जो ये कुल नाम कटे इनके प्रमुख कारण हैं- कुछ मतदाताओं का मृत पाया जाना, कई नागरिकों का जांच के दौरान भारत की नागरिकता साबित करने में अक्षम पाया जाना, कई मतदाताओं का कई जगह वोटर लिस्ट में नाम होगा, और कई मतदाताओं का स्थायी रूप से प्रवास कर जाना. चूंकि ये सारी सूचियां विधानसभा के स्तर पर, जिले के स्तर पर और राज्य के स्तर पर सभी से साझा की जा चुकी हैं और आंकड़ों सहित साझा की जा चुकी हैं, इसलिए जो आप अलग-अलग पूछ रहे हैं वो चुनाव आयोग के स्तर पर नहीं, वो ERO, DEO और CEO के स्तर पर इसका पूर्ण विश्लेषण उपलब्ध है.

यहां ERO माने इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर, DEO माने डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर, CEO माने चीफ इलेक्शन ऑफिसर. 

मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस विषय पर लगभग अपना पूरा पक्ष रख दिया था. लेकिन इस जवाब के तुरंत बाद इंडियन एक्सप्रेस से जुड़ीं पत्रकार रितिका चोपड़ा ने CEC से सवालिया लहजे में कहा,

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आपने अभी कहा कि डिटेल्ड ब्रेकअप ERO, DEO और CEO के स्तर पर मिलेगा. लेकिन जब SIR ड्राफ्ट आया था तब ECI ने डिटेल्ड ब्रेकअप दिया था कि नाम क्यों काटे गए. तो अब चुनाव आयोग यह क्यों नहीं बता पा रहा है कि कितने लोगों के नाम नागरिकता साबित ना होने की वजह से काटे गए? यह सवाल इसलिए जरूरी है क्योंकि जब SIR का ऐलान किया गया था, तब आयोग ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि यह जानना जरूरी है कि कितने लोग वैध तौर पर वोटिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें नागरिकता जानना भी अहम है.

इस सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि वह पहले भी इसका जवाब दे चुके हैं. हालांकि, उन्होंने एक बार फिर वही बातें दोहराईं. कहा,

लगभग 69 लाख नाम कटे. अपात्र यानी अयोग्य होने के कारण नाम काटे गए. या वे मृत पाए गए, या उनके डुप्लीकेट वोट्स थे, या वे भारत के नागरिक नहीं थे. या स्थायी रूप से प्रवास कर चुके थे. कुल आंकड़े हम आपको दे चुके हैं. और मीडिया के माध्यम से मतदाताओं को मैं बताना चाहता हूं कि विकेंद्रीकृत (de-centralised) व्यवस्था में मतदाता सूची ERO बनाता है. और उसके ऊपर DM और CEO से अपील की जा सकती है. जो लोकप्रतिनिधित्व कानून है उसका अनुपालन चुनाव आयोग को भी, सबको करना है. इसी तरीके से जब चुनाव करते तो रिटर्निंग ऑफिसर हर विधानसभा में एक होते हैं, जिनकी देखरेख में चुनाव प्रक्रियाओं का पालन होता है. इस विकेंद्रीकृत व्यवस्था में चुनाव आयोग डायरेक्शन देता है, निगरानी रखता है और कड़ाई से इस बात पर ध्यान देता है कि सभी अफसर सारे नियम कानून का पालन कर रहे हैं या नहीं.

इतना बोलने के बाद ज्ञानेश कुमार कुछ सेकेंड के लिए चुप हो जाते हैं. फिर कहते हैं - 'बाकी कुछ राजनीतिक बयानबाजी अगर होती है तो चुनाव आयोग पर प्रतिक्रिया नहीं देता है. यह लोकतंत्र में चलता रहता है.'

CEC ज्ञानेश कुमार से यह सवाल 5 अक्तूबर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी पूछा गया था. लेकिन तब भी कहा गया कि उन्होंने इस पर साफ-सुधरा जवाब नहीं दिया. मतदाता सूची में गैर-नागरिकों के शामिल होने का मुद्दा चुनाव आयोग ने ही उठाया था. बीती 26 अगस्त को ECI ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूछा था कि मतदाता सूची से विदेशियों के नाम हटाने चाहिए या नहीं? लेकिन अब SIR होने के बाद चुनाव आयोग यह नहीं बता पा रहा है कि नागरिकता के आधार पर कितने लोगों के नाम काटे गए.

आधार से कितने नाम जोड़े गए?

इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग से यह सवाल भी पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि SIR में वेरिफिकेशन के लिए आधार को भी शामिल किया जाए, तो कितने लोगों के नाम आधार कार्ड की बदौलत मतदाता सूची में शामिल किए गए. इस पर भी ज्ञानेश कुमार ने सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा,

आधार कार्ड जन्म प्रमाण के लिए मान्य नहीं है. आधार कार्ड निवास का भी प्रमाण नहीं है. और आधार कार्ड को नागरिकता का भी प्रमाण नहीं माना जाता है. संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार 18 साल की उम्र से बड़ा शख्स, जो भारत का नागरिक हो और मतदान केंद्र के पास रहता हो उसे मतदान करने का अधिकार है.

ये वही सारी दलीलें है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले भी दी जा रही थीं. CEC ने अपने जवाब के आखिर में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया गया है. हालांकि, उन्होंने इस बार भी यह नहीं बताया कि कितने लोगों के नाम आधार कार्ड की वजह से जुड़ पाए.

वीडियो: 'आप कर क्या रहे हैं...', बिहार SIR पर बोला सुप्रीम कोर्ट, आधार को लेकर चुनाव आयोग को क्या निर्देश दिया?

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