"हमारी हेल्थ मिनिस्टर राजकुमारी अमृत कौर ने दिल्ली में शराबबंदी की नीति के बारे में बताया. मैं इस विषय में ज्यादा जानकारी नहीं रखता. हम शराबबंदी के पक्ष में हैं, लेकिन निषेध के साथ हमेशा एक खतरा बना रहता है. इससे अवैध शराब निर्माण और तस्करी बढ़ सकती है. इस तरह का उपचार बीमारी से ज्यादा खतरनाक है. हेल्थ मिनिस्टर का कहना है कि कहीं-कहीं तो अवैध शराब का धंधा शुरू भी हो गया है. मुझे उम्मीद है कि आपकी सरकार इस पहलू को ध्यान में जरूर रखेगी."नेहरू के तर्क-वितर्क के बाद भी निहाल सिंह ने बैन नहीं हटाया. कांग्रेस पार्टी के अंदर भी इस पर खूब बहस चली. लेकिन बैन के पक्ष में खड़ी कांग्रेस लॉबी भारी पड़ गई. इस लॉबी के मुखिया थे दिग्गज कांग्रेसी नेता मोरारजी देसाई. मोरारजी सात्विक प्रवृति के नेता थे. और राजनीति में भी शुद्धता का बखूबी पालन करते थे. ये खबर भी खूब चली कि गुरुमुख निहाल सिंह ने अपने बेटे की शराब की लत से परेशान होकर पूरी दिल्ली में शराब बंद करवा दी थी. 1 नवंबर, 1956 को दिल्ली को यूनियन टेरिटरी बना दिया गया. विधानसभा भंग कर दी गई. अगले 37 सालों तक दिल्ली में मुख्यमंत्री का पद खत्म कर दिया गया. 18 नवंबर को गुरुमुख निहाल सिंह को राजस्थान का गवर्नर बनाया गया. *ये किस्सा गुरुमुख निहाल सिंह के बेटे और दिग्गज संपादक सुरेंद्र निहाल सिंह ने अपनी किताब 'Ink in my Veins' में लिखा है.
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