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टिकट नहीं मिला तो कफ़न लपेटकर बैठ गए, BJP नेता की इस हरकत पर बनेंगे मीम्स!

Bihar Assembly Election 2025: बिहार चुनाव में पार्टियों को टिकट बांटने से ज्यादा परेशानी बागियों को संभालने में हो रही है. लगभग सभी पार्टियों का यही हाल है. भाजपा भी इससे अछूती नहीं है. उसके लिए यह मुसीबत अररिया जिले से आई, जहां एक सीनियर नेता विरोध जताने के लिए कफन ओढ़कर ही बैठ गए. जानिए क्या है पूरा मामला.

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कफन ओढ़कर विरोध प्रदर्शन करते अजय झा. (Photo: X)

बिहार के अररिया जिले में बुधवार को जबरदस्त सियासी ड्रामा देखने को मिला, जहां भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर वरिष्ठ नेता अजय झा बगावत पर उतर आए. उन्होंने प्रदर्शन का अनोखा तरीका अपनाते हुए कफन ओढ़कर अपना विरोध दर्ज कराया. वहीं उनकी पत्नी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.

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दरअसल, भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य पंडित अजय झा अररिया जिले की नरपतगंज विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के कई नेताओं ने उन्हें टिकट मिलने का आश्वासन भी दिया था. लेकिन जब उम्मीदवारों की लिस्ट आई तो उसमें से उनका नाम गायब था. भाजपा ने नरपतगंज से देवंती यादव को टिकट दिया है. इससे पहले 2020 में यहां से भाजपा के जयप्रकाश यादव ने जीत दर्ज की थी. पार्टी ने इस बार उनका टिकट काट दिया है.

आत्मदाह की चेतावनी भी दे दी थी

इधर, टिकट न मिलने से आहत अजय झा बागी हो गए. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पहले तो उन्होंने आत्मदाह करने तक की चेतावनी दे दी थी. हालांकि बाद में उन्होंने कफन ओढ़कर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया. प्रदर्शन के दौरान वह काफी भावुक भी हुए और कहा कि वह पार्टी के फैसले से बहुत आहत हैं. इस दरमियान उनके परिजनों के साथ-साथ उनके समर्थक भी वहां जुट गए. उनकी पत्नी संजू झा ने मीडिया से बात करते हुए नरपतगंज से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. वहीं सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व इस पूरे मामले को शांत करने में जुटा हुआ है.

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जोकीहाट सीट पर भाइयों की वर्चस्व की लड़ाई

वहीं अररिया जिले की ही जोकीहाट सीट पर इस बार मुकाबला दो भाइयों के बीच होता नजर आ रहा है. इससे लड़ाई दिलचस्प हो गई है. पूरी संभावना है कि राजद यहां से शाहनवाज़ आलम को टिकट देगी. वहीं शाहनवाज़ के बड़े भाई सरफराज आलम ने गुरुवार, 16 अक्टूबर को ही राजद से इस्तीफा देकर जन सुराज का दामन थाम लिया है. पार्टी उन्हें जोकीहाट से टिकट भी दे सकती है. ऐसे में दो भाई यहां से चुनावी लड़ाई में नजर आ सकते हैं. बता दें कि शाहनवाज़ और सरफराज सीमांचल के गांधी कहे जाने वाले मरहूम मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद दोनों भाइयों में अब क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई है.

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आजतक से जुड़े अमरेंद्र कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चुनाव में भी दोनों भाई जोकीहाट से आमने-सामने थे. तब शाहनवाज़ आलम ने AIMIM और सरफराज ने राजद के टिकट से चुनाव लड़ा था. इसमें शाहनवाज़ आलम ने अपने बड़े भाई को शिकस्त दी थी. हालांकि बाद में शाहनवाज चार अन्य विधायकों के साथ मिलकर राजद में शामिल हो गए थे. उन्हें महागठबंधन सरकार में मंत्री भी बनाया गया था. राजद ने शाहनवाज को लोकसभा चुनाव 2024 में अररिया सीट से उतारा था, मगर वह हार गए थे. अब पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव में जोकीहाट से उतारने की तैयारी कर रही है. वहीं एनडीए की तरफ से यह सीट जेडीयू के खाते में है. उसने मंजर आलम को जोकीहाट से अपना प्रत्याशी बनाया है. माना जा रहा है कि दो भाइयों की लड़ाई का फायदा मंजर आलम को मिल सकता है.

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