राजकुमार सिंह को 61,364 वोट मिले, बोगो सिंह 61,031 को वोट मिले. तीसरे स्थान पर रहने वाले CPI (M) के राजेन्द्र प्रसाद सिंह को 59,875 वोट मिले. आइये जानते हैं लोजपा के इकलौते विधायक राजकुमार सिंह के बारे में.
राजकुमार सिंह की क्या पहचान है
राजकुमार सिंह बेगूसराय में 'तस्कर सम्राट' के नाम से फ़ेमस कामदेव सिंह के बेटे हैं. इलाके में कामदेव सिंह की छवि 70 के दशक में रॉबिनहुड जैसी रही है. यानी गरीबों के लिए मसीहा और पुलिस के लिए अपराधी. कामदेव सिंह की मौत 1980 में एक पुलिस एनकाउंटर में हुई थी. कामदेव सिंह कांग्रेस समर्थक माने जाते थे.

चुनाव प्रचार के दौरान राजकुमार सिंह
राजकुमार सिंह एक बड़े कारोबारी हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजकुमार पढ़ाई-लिखाई में अच्छे थे. उन्होंने हाई स्कूल में टॉप किया था. आगे की पढ़ाई के लिए वो दिल्ली चले गए. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की. पिता की छवि के उलट इलाके में उनकी छवि साफ-सुथरी है, पढ़े-लिखे व्यक्ति की है.
कहा जा रहा है कि राजकुमार सिंह पहले कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन मटिहानी सीट CPI के खाते में चली गई, इसलिए उन्हें टिकट नहीं मिल पाया और उन्होंने लोजपा से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया.
चिराग ने लोजपा की हार पर क्या कहा
लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जिस दम-खम से चुनावी मैदान में लड़ रहे थे, उन्हें वैसी सफ़लता नहीं मिली. लेकिन कई सीटों पर उन्होंने जदयू का खेल जरूर बिगाड़ दिया. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चिराग पासवान नीतीश के ख़िलाफ़ जिस प्रकार मुखर थे, उन्होंने उतना नुकसान तो कर ही दिया है. शायद इसीलिए चिराग को पार्टी की करारी हार की उतनी तकलीफ़ नहीं हो रही. वो भाजपा और प्रधानमंत्री को जीत की बधाई दे रहे हैं.
चिराग ने ट्वीट किया है-
"बिहार की जनता ने आदरणीय नरेंद्र मोदी जी पर भरोसा जताया है. जो परिणाम आए हैं, उससे यह साफ़ है कि बीजेपी के प्रति लोगों में उत्साह है. यह प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी की जीत है."
"सभी लोजपा प्रत्याशी बिना किसी गठबंधन के अकेले अपने दम पर शानदार चुनाव लड़े. पार्टी का वोट शेयर बढ़ा है. लोजपा इस चुनाव में बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के संकल्प के साथ गई थी. पार्टी हर ज़िले में मज़बूत हुई है. इसका लाभ पार्टी को भविष्य में मिलना तय है."
एक और ट्वीट में लिखा-