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नामांकन के पहले दिन नीतीश को लगे बड़े-बड़े झटके, संतोष कुशवाहा सहित कई बड़े नेता जदयू छोड़ेंगे

Purnia Loksabha Seat से दो बार के सांसद रहे Santosh Kushwaha पूर्णिया जिले की धमदाहा विधानसभा सीट से राजद के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. इसके अलावा एक पूर्व सांसद और वर्तमान सांसद के बेटे भी पार्टी छोड़ने जा रहे हैं.

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संतोष कुशवाहा धमदाहा विधानसभा सीट से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. (इंडिया टुडे)

बिहार चुनाव 2025 के पहले फेज के लिए नामांकन 10 अक्टूबर से शुरू हो गया है. नामांकन के पहले दिन ही दलबदल भी शुरू हो गया है. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जदयू को बड़ा झटका लगा है. पूर्णिया से दो बार के सांसद रहे संतोष कुशवाहा (Santosh Kushwaha) लालटेन थामने जा रहे हैं. वहीं बांका से जदयू सांसद गिरधारी यादव के बेटे चाणक्य प्रकाश और जहानाबाद से पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे पूर्व विधायक राहुल शर्मा भी राजद में शामिल होंगे.

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संतोष कुशवाहा की गिनती जदयू के बड़े कुशवाहा(कोइरी) नेताओं में होती है. सीमांचल के पूर्णिया, किशनगंज और अररिया में उनकी मजबूत पकड़ रही है. चुनाव से ठीक पहले उनके पार्टी छोड़ने से सीमांचल में जदयू को नुकसान हो सकता है. वहीं संतोष कुशवाहा को अपने पाले में लाकर तेजस्वी यादव इस इलाके में और मजबूत हो सकते हैं.

इंडिया टुडे से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, संतोष कुशवाहा पूर्णिया जिले की धमदाहा विधानसभा सीट से जदयू की मौजूदा विधायक और मंत्री लेसी सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. संतोष कुशवाहा साल 2014 और 2019 में पूर्णिया से जदयू के टिकट पर  सांसदी जीत चुके हैं. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव ने उनको लगभग 24 हजार वोटों से हरा दिया था. इससे पहले कुशवाहा बीजेपी में थे. साल 2010 में वह बीजेपी से विधायक बने थे. फिर साल 2013 में उन्होंने जदयू की सदस्यता ले ली थी.

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संतोष कुशवाहा के अलावा बांका से जदयू सांसद गिरधारी यादव के बेटे चाणक्य प्रकाश भी राजद में शामिल होंगे. चाणक्य प्रकाश ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स किया है. चाणक्य प्रकाश बांका जिले की बेलहर विधानसभा सीट से राजद के उम्मीदवार हो सकते हैं.

जहानाबाद के पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे और पूर्व विधायक राहुल शर्मा भी राजद में शामिल होने वाले हैं. जगदीश शर्मा साल 2009 में जहानाबाद लोकसभा सीट से सांसद रहे थे. इसके अलावा 1975 से 2005 तक वो लगातार 8 बार जहानाबाद की घोसी विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. 

साल 2010 में घोसी से जदयू के टिकट पर राहुल शर्मा भी विधायकी जीत चुके हैं. लेकिन 2015 में जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और फिर 2020 में जदयू के टिकट से घोसी से चुनाव हार चुके हैं. जगदीश शर्मा की गिनती जहानाबाद के बडे़ भूमिहार नेताओं में होती है. राजद ने राहुल शर्मा के जरिए मगध क्षेत्र में भूमिहारों को साधने की कोशिश की है.

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साल 2020 में घोसी विधानसभा सीट से भाकपा माले के रामबली यादव को जीत मिली थी. उन्होंने जदयू के राहुल शर्मा को 17 हजार 333 वोटों से हराया था. महागठबंधन के सीट बंटवारे में घोसी सीट इस बार राजद के खाते में जा सकती है. और पार्टी यहां से राहुल शर्मा पर दांव लगाएगी. अगर माले घोसी सीट पर दावा नहीं छोड़ता तो राहुल को राजद जहानाबाद विधानसभा सीट से टिकट दे सकती है.

मुस्लिम-यादव (MY) की जगह तेजस्वी की A टू Z पॉलिटिक्स

तेजस्वी यादव राजद को मुस्लिम यादव (MY) समीकरण से A टू Z पॉलिटिक्स की ओर ले जाना चाहते है. क्योंकि उनको लग रहा है कि सत्ता में वापसी के लिए MY का विस्तार जरूरी है. इसी रणनीति के तहत इस बार तेजस्वी यादव सवर्णों खासकर भूमिहारों पर दांव लगा सकते हैं. 

पिछली बार राजद कोटे से 13 सवर्णों को टिकट दिया गया था. इसमें 8 राजपूत, 4 ब्राह्मण और केवल 1 भूमिहार नेता थे. इस बार राजद 20 सवर्णों पर दांव लगा सकती है. जिसमें 8 से 10 भूमिहार कैंडिडेट हो सकते हैं. इस बार राजद केसरिया, चनपटिया, गोविंदगंज, लालगंज, मटिहानी, बिहपुर, परबत्ता, लखीसराय, अस्थावां और घोसी विधानसभा सीट से भूमिहार कैंडिडेट उतार सकती है.

लोकसभा की तरह जारी रहेगा कुशवाहा कार्ड

तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 से ही नीतीश कुमार के आधार वोट बैंक लव-कुश (कोइरी-कुर्मी) में सेंधमारी की कोशिश शुरू कर दी थी. महागठबंधन ने 40 लोकसभा सीटों में से 7 पर कुशवाहा (कोइरी) उम्मीदवारों को टिकट दिया था. इसमें से 3 कैंडिडेट राजद के सिंबल पर लड़े थे. इस प्रयोग को तेजस्वी यादव विधानसभा चुनाव में भी जारी रखेंगे. राजद अपने कोटे से 13 कुशवाहा नेताओं को टिकट दे सकती है. 

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