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शेयर बाजार में निवेशकों की मौज, 22 लाख करोड़ की कमाई, इस बुल रन की वजह क्या है?

दिसंबर की शुरुआत से अब तक शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों की संपत्ति में जोरदार इजाफा हुआ है.

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शेयर बाजार में तेजी. (सांकेतिक तस्वीर)

शेयर बाजार में पिछले कई दिनों से बंपर तेजी देखने को मिल रही है. इसके चलते दिसंबर की शुरुआत से अब तक शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों की संपत्ति में भी जोरदार इजाफा हुआ है. एक दिसंबर से लेकर अब तक सिर्फ 11 कारोबारी दिनों में निवेशकों को 22 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई हुई है. वहीं शुक्रवार 15 दिसंबर को BSE का सेंसेक्स 71 हजार अंक के पार पहुंच गया. आज सेंसेक्स 282.80 अंकों की तेजी के साथ 70,797 रुपये के स्तर पर खुला था. बाजार खुलने के एक घंटे के अंदर ही ये 71 हजार रुपये के स्तर को पार कर गया. आज कारोबार के आखिर में सेंसेक्स करीब 970 अंकों की जोरदार तेजी के साथ 71,484 अंक के आसपास पहुंचकर बंद हुआ. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी NIFTY 50 ने भी नया ऑल टाइम हाई बनाया है. NIFTY आज 274 अंकों की उछाल के साथ 21,457 के आसपास बंद हुआ.

शेयर बाजार में बुल रन की वजहें क्या हैं?

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर मार्केट में तेजी के पीछे 5 मुख्य कारण हैं. प्रॉफिट मार्ट सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड अविनाश गोरक्षकर के मुताबिक बाजार में तेजी की पहली वजह ये है कि अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती का संकेत मिला है. दरअसल अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 13 दिसंबर को हुई बैठक में संकेत दिया है वह अगले साल ब्याज दरों में तीन बार में करीब 0.75 परसेंट की कटौती कर सकता है. इससे अमेरिकी मार्केट के साथ भारतीय शेयर बाजार में उछाल दिख रहा है. फेडरल रिजर्व भारत के रिजर्व बैंक की तरह अमेरिका का केन्द्रीय बैंक हैं.

बाजार में तेजी की दूसरी वजह ये है कि भारत सरकार अपने तेल आयात का भुगतान रुपये में करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. सरकार मिडिल ईस्ट के देशों में रुपये में पेमेंट करने में कामयाब भी रही है. इसके अलावा सरकार कुछ और देशों के साथ रुपये में पेमेंट को लेकर बातचीत कर रही है. इससे रुपये की साख बढ़ेगी और भारतीय रुपया मजबूत होगा. खासकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने लक्ष्य के भीतर महंगाई को काबू में करने में मदद मिलने की उम्मीद है.

बाजार के बम-बम होने की तीसरी बड़ी वजह है विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी FIIs का बढ़ता निवेश. कहा जा रहा है कि तीन राज्यों मध्यप्रदेश, छ्त्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की शानदार जीत के बाद से विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में निवेश बढ़ाया है. दिसंबर में पिछले सप्ताह तक एफआईआई ने कैश में 10 हजार 875 करोड़ के भारतीय शेयर खरीदे हैं.

अविनाश गोरक्षकर का कहना है कि शेयर मार्केट में तेजी की चौथी बड़ी वजह ये है कि अमेरिका में ज़ॉब डेटा उम्मीद से बेहतर रहे हैं. पांचवां कारण बीजेपी की 3 राज्यों में शानदार जीत को माना जा रहा है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद निवेशकों को 2024 में आगामी लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार की फिर से वापसी की उम्मीद बढ़ी है. मार्केट की मौजूदा तेजी में रिटेल इन्वेस्टर्स का भी काफी योगदान है. रिटेल इन्वेस्टर्स शेयर बाजार में खूब पैसा लगा रहे हैं. डिपॉजिटरी सीडीएसएल ने कहा कि इस साल जुलाई से 1 करोड़ से अधिक रिटेल निवेशकों ने अपने डीमैट खाते खोले हैं.

हाल ही में वैश्विक ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के इक्विटी स्ट्रेटजी के ग्लोबल हेड क्रिस वुड ने कहा था कि अगर पीएम नरेंद्र मोदी की पार्टी सत्ता में नहीं लौटती है तो भारत का शेयर मार्केट बुरी तरह गिर जाएगा. इससे पहले अमेरिका ब्रोकरेज फर्म 'मॉर्गन स्‍टेनली' ने एक रिपोर्ट में कहा था कि 2024 के आम चुनावों से पहले सेंसेक्‍स में 10 फीसदी की तेजी देखने को मिल सकती है. अगर चुनाव के नतीजे उम्मीद के अनुरूप नहीं आए तो बाजार 40 परसेंट तक लुढ़क सकता है. इस रिपोर्ट में अमेरिकी निवेश बैंक ने कहा था कि चुनाव के नतीजों के बाद सेंसेक्‍स या तो 5 परसेंट ऊपर चढ़ेगा या फिर 40 परसेंट तक नीचे लुढ़क सकता है.

अब सवाल है कि क्या आगे भी दलाल स्ट्रील में जश्न का माहौल जारी रहेगा या तेजी पर ब्रेक लगेगा. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चार ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से बाजार में आगे भी तेजी रहने की पूरी संभावना है.

- पहली वजह है कि तीन राज्यों में बीजेपी की बंपर जीत से बाजार का यह नजरिया मजबूत हुआ है कि बीजेपी आगे भी लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल करने की स्थिति में है. निवेशकों को भरोसा है कि मौजूदा सरकार राजनीतिक तनाव और फिस्कल डिफीसिट को काबू में रखने हुए सफल साबित हुई है. इसके अलावा भारत की जीडीपी ग्रोथ भी बेहतर रही है.

- बाजार में बुल रन जारी रहने की दूसरी वजह है कि कंपनियों की अर्निंग में इजाफा होने की संभावना है.

- तीसरा कापण भारतीय बाजार नए शिखर पर जाने के बाद भी उतना महंगा नहीं है, जितना यह कुछ निवेशकों को नजर आ रहा है. बाजार का बहुत ज्‍यादा महंगा न होना भी बड़ी गिरावट में बाधा है.

- बाजार में तेजी का चौथा कारण विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से खूब पैसा निकाला है. इसी का असर है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी FII की होल्डिंग एक दशक के निचले स्तर पर पहुंच गई है.

लेकिन भारत में महंगाई कम हो रही है. ब्‍याज दरें स्थिर बनी हुई हैं. अर्थशास्त्री यह उम्मीद लगा रहे हैं कि ब्याज दरें जल्द नीचे जाना शुरू हो जाएंगी. ब्‍याज दरें गिरेंगी तो विदेशी निवेशक भारत के शेयर बाजारों में अपनी खरीदारी बढ़ाएंगे. ऐसा दिसंबर की शुरुआत से दिखाई भी दे रहा है. घरेलू शेयर बाजार में विदेशी निवेशक खूब निवेश करते नजर आ रहे हैं.

इन्वेस्टमेंट गुरू मार्क मोबियस ने हाल ही में कहा था कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार अगर तीसरी बार सत्ता में आती है तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स पांच साल में या उससे पहले एक लाख के स्तर पर पहुंच सकता है. इसी तरह मोबियस का मानना है कि NIFTY भी 5 साल में 40 हजार और 10 साल में 80 हजार के स्तर पर पहुंच जाएगा.

मीडिया से बात करते हुए मोबियस ने कहा था कि भारतीय शेयर बाजार को यूक्रेन, दक्षिणी चीन सागर और इजरायल की घटनाएं प्रभावित करेंगी. इन सबके अलावा ब्याज दरें कैसी रहती हैं, इसका असर भी बाजार की चाल पर होगा. मार्क मोबियस की तरह ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के हेड क्रिस वुड भारतीय शेयर मार्केट को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है. उन्होंने कहा कि BSE अगले पांच साल में 1 लाख के स्तर को छू लेगा.

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