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गौतम अडानी और बड़े भैया विनोद अडानी के कारोबारी रिश्तों का 'असली सच' सामने लाएगा सेबी?

SEBI तीन विदेशी कंपनियों के साथ अडानी ग्रुप के लेनदेन में नियमों की अनदेखी के आरोपों की जांच कर रहा है. इन तीनों का संबंध विनोद अडानी से बताया जा रहा है.

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गौतम अडानी और विनोद अडानी सिर्फ भाई नहीं हैं. इनके बीच गहरे कारोबारी संबंध हैं, जिनपर अब एजेंसियों की नज़र है. (फाइल फोटो)

जब से हिंडनबर्ग रीसर्च ने अडानी समूह पर हेराफेरी के आरोप लगाए, तभी से सब भारतीय नियामकों की ओर देख रहे हैं. और पूछ रहे हैं सवाल कि क्या भारतीय नियामक संस्थाएं इस मामले की जांच करके दूध का दूध, पानी का पानी करेंगी? इसी से जुड़ी एक खबर हमारे सामने है. मार्केट रेगुलेटर SEBI यानी सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, तीन विदेशी कंपनियों के साथ अडानी ग्रुप के 'रिलेटेड पार्टी' ट्रांजैक्शन्स की जांच कर रहा है. ताकि ये मालूम चले कि इनमें कहीं नियमों का उल्लंघन तो नहीं हुआ है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट मुताबिक इन तीनों ऑफ शोर कंपनियों का संबंध गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी से है. 

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रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि विनोद अडानी की इन तीन विदेशी कंपनियों ने गौतम अडानी की अनलिस्टेड कंपनियों में पिछले 13 साल में कई बार पैसा लगाया. अनलिस्टेड माने वो कंपनियां, जो शेयर मार्केट में कारोबार नहीं कर रही हैं. दावा है कि विनोद अडानी ने इन सौदों से खूब फायदा उठाया. क्योंकि विनोद अडानी या तो इन कंपनियों के डायरेक्टर हैं या इन तीन कंपनियों से कहीं न कहीं उनका कनेक्शन है. 

कौन-कौनसी कंपनियां हैं रडार पर?

विनोद अडानी से जुड़ी बताई गईं तीन विदेशी कंपनियां जांच के घेरे में हैं: 

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1. मॉरीशस स्थित क्रुनाल ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड;

2. गार्डेनिया ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड; और 

3. दुबई स्थित इलेक्ट्रोजन इंफ्रा. 

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सेबी की जांच का एंगल क्या है?

सेबी इस बात की जांच कर रहा है कि अडानी समूह के साथ विनोद अडानी की कथित कंपनियों के लेनदेन के दौरान कहीं 'रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन' नियमों का उल्लंघन तो नहीं हुआ. अब ये क्या बला है?

रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन दो ऐसे पक्षों के बीच का सौदा से होता है, जिनके बीच पहले से ही कारोबारी संबंध हो. सादी भाषा में, अगर दो कंपनियों के बीच व्यवहार चल रहा हो, और वो एक नया सौदा कर लें, तो इसे कहा जाएगा रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन. भारतीय कानूनों के मुताबिक रिश्तेदारों की कंपनी,  प्रमोटर ग्रुप और लिस्टेड कंपनियों की सब्सीडरीज को रिलेटेड पार्टीज माना जाता है. कानून में प्रमोटर समूह को एक ऐसी संस्था के रूप में परिभाषित किया गया है जिसकी लिस्टेड कंपनी में बड़ी हिस्सेदारी है और यह कंपनी की पॉलिसी को प्रभावित कर सकता है. ऐसी संस्थाओं के बीच होने वाले किसी भी लेनदेन की जानकारी स्टॉक्स एक्सचेंज को देना जरूरी है. अगर इस नियम का उल्लंघन किया जाता है तो इसमें शामिल कंपनियों को मोटा जुर्माना भरने को कहा जा सकता है. आपको बता दें कि एक सीमा से ऊपर शेयरों की खरीद-बिक्री पर शेयरधारकों की मंजूरी जरूरी होती है.

अडानी के शेयर फिर धड़ाम!

 जब से हिंडनबर्ग रीसर्च की रिपोर्ट सामने आई है, तभी से अडानी समूह के शेयर्स में गिरावट जारी है. बीच बीच में कुछ सुधार भी हुआ. अब जब SEBI द्वारा जांच की बात फिर चर्चा में आई, तो अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों की चाल फिर बिगड़ गई. अडानी ग्रुप की दस लिस्टेड कंपनियों में से आज सिर्फ दो के शेयर ग्रीन जोन में हैं. अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर आज 1.85 फीसदी की गिरावट के साथ 1718 रुपये पर कारोबार कर रहा था. अडानी पोर्ट्स 1 फीसदी की कमजोरी के साथ 625 रुपये पर कारोबार कर रहा था. इसी तरह अडानी ट्रांसमिशन और अडानी ग्रीन एनर्जी में 5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. हालांकि एसीसी करीब डेढ फीसदी और अंबुजा सीमेंट्स दो फीसदी के तेजी के साथ कारोबार कर रहा था. 

अडानी-सेबी ने कुछ कहा?

रायटर्स का कहना है कि सेबी को मेल भेजकर इस पूरे मामले पर जानकारी मांगी गई थी. लेकिन अब तक कोई जबाव नहीं मिला. 29 मार्च 2023 को सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने एक प्रेस कांफ्रेस में अडानी समूह को लेकर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था. 

वहीं, अडानी समूह के एक प्रवक्ता ने कहा, " विनोद अडानी, अडानी फैमिली के सदस्य हैं और प्रमोटर समूह का हिस्सा हैं, लेकिन वह अडानी समूह की किसी भी लिस्टेड संस्थाओं या उनकी सहायक कंपनियों में कोई प्रबंधकीय पद नहीं रखते हैं.'' 

रायटर्स ने बताया कि विनोद अडानी से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका. इसके अलावा दुबई में उनकी होल्डिंग कंपनी, अडानी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट DMCC को भेजे गए सवालों का भी जवाब नहीं मिला है.

हिंडनबर्ग ने भी रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन वाली बात कही थी

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी कर आरोप लगाया था कि अडानी ग्रुप ने विदेशों में बनाई अपनी कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए किया है. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि मॉरिशस और कैरेबियाई द्वीपों जैसे टैक्स हेवन में कई बेनामी कंपनियां हैं, जिनके पास अडानी की कंपनियों में हिस्सेदारी है. हिंडनबर्ग ने ये आरोप भी लगाया था कि विदेश में स्थित विनोद अडानी की कंपनियों ने बड़ी मात्रा में अडानी समूह की लिस्टेड कंपनियों और नान लिस्टेड कंपनियों में "अरबों रुपये" स्थानांतरित किए हैं और इस दौरान सेबी के नियमों को दरकिनार किया गया. जवाब में अडानी समूह ने 413 पन्नों का एक दस्तावेज़ जारी किया था. समूह ने कहा था कि उसके द्वारा भारतीय कानूनों का पूरी तरह से पालन किया गया है.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जारी होने के बाद से अडानी समूह की कंपनियों की मार्केट वैल्यू में 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आई है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में अडानी समूह और हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़े मुद्दे पर एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था. साथ ही सेबी को जांच करने का निर्देश दिया था कि क्या सेबी के नियमों की धारा 19 का उल्लंघन हुआ है? क्या स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ है? सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 2 महीने के भीतर जांच करने और स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. सेबी की तरफ जांच जारी है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल इस मामले पर जल्द रिपोर्ट देने वाला है.

 


 

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