भारत ने चीन के साथ रिश्ते सुधारने की दिशा में बड़ी पहल की है. अब चीन से भारत आने वाले प्रोफेशनल्स को फटाफट वीजा मिलेगा. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई थी. इस रिपोर्ट में भारत सरकार के दो अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि यह कदम दोनों देशों के बीच रिश्तों को सुधारने की दिशा में बड़ा कदम है. इन अधिकारियों का कहना है कि भारत की कंपनियों को तकनीशियनों की कमी के चलते अरबों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है.
चीन के लोगों को अब भारत में फटाफट मिलेगा वीजा, सरकार ने किस वजह से नियम किए आसान?
भारत सरकार के अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि भारत ने चीन के लिए बिजनेस वीजा की मंजूरी का समय घटाकर एक महीने से कम कर दिया है. इसकी वजह भी सामने आई है.
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ये तकनीशियन आमतौर पर वे लोग हैं जो भारत में लगने वाली हाइटेक मशीनों, प्लांट और फैक्ट्री में लगने वाली बड़ी बड़ी मशीनों को इंस्टॉल करते हैं. मेंटेन रखते हैं और खराब होने पर इनकी रिपेयरिंग भी करते हैं. भारत कई सेक्टरों में चीन की तकनीक और मशीनरी पर निर्भर है. फिर चाहें मोबाइल फोन, टीवी, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाने वाली कंपनियां हों, या दूसरी तकनीक हो. इसके अलावा भारत की सोलर इंडस्ट्री भी चीन से उपकरण खरीदती है. इन मशीनों की इंस्टॉलेशन और सर्विसिंग वगैरह के लिए चीनी तकनीशियनों की जरूरत पड़ती है.
ओब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के मुताबिक चीन के प्रोफेशनल्स के लिए सख्त वीजा नियमों की वजह से भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को अपना उत्पादन घटाना पड़ा है. इस वजह से पिछले चार साल में इन कंपनियों को लगभग 15 अरब डॉलर (1 लाख 35 हजार 600 करोड़ रुपये) तक नुकसान हुआ है. चीनी कंपनियां जैसे शाओमी को वीजा मंजूरी में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.
इस बीच, इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के प्रमुख पंकज महेंद्रू ने कहा, “हम सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं. यह सहयोगी माहौल बनाने और हमारी सिफारिशों को स्वीकारने का संकेत है.” भारत सरकार के अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि भारत ने चीन के लिए बिजनेस वीजा की मंजूरी का समय घटाकर एक महीने से कम कर दिया है.
बता दें कि साल 2020 में गलवान घाटी में भारत चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद भारत ने चीनी यात्रियों के लिए वीजा रोक दिया था. जिन चुनिंदा चीनी लोगों को वीजा दिया जा रहा था उनकी जांच भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अलावा कई और एजेंसियां कर रही थीं. कुल मिलाकर बहुत सख्ती चल रही थी.
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 50 परसेंट का भारी शुल्क लगाया है. ट्रेड डील को लेकर बातचीत जारी है, लेकिन अभी तक डील फाइनल नहीं हो पाई है. ऐसे में भारत सरकार दूसरे देशों के साथ व्यापार के रास्ते तलाश रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के साथ रिश्तों को भी फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं.
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