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रेपो रेट 5.5% पर, सीआरआर में भी राहत: जानिए आम आदमी को क्या मिलेगा फायदा?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 6 जून को मॉनेटरी कमेटी पॉलिसी के बैठक में लिए फैसलों का एलान कर दिया. रेपो रेट 0.50 प्रतिशत घटकर 5.5 प्रतिशत पर आ गई हैं. इस साल में अब तक ये तीसरी कटौती है. इस एलान के बाद रेपो रेट से जुड़े लोन सस्ते हो जाएंगे.

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रेपो रेट में कटौती के बाद लोन की दरें तो सस्ती हो जाएंगी लेकिन एफडी पर रिटर्न कम हो जाएगा.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 6 जून को प्रमुख ब्याज दरों में आधा फीसदी (0.50%) की कटौती का एलान किया है. इस कटौती के बाद रेपो रेट (Repo Rates) घटकर 5.5 प्रतिशत पर आ गई है. आरबीआई ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती की है.

इस एलान से आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि होम लोन से लेकर रेपो रेट से जुड़े अन्य लोन सस्ते हो जाएंगे. इससे पहले दो बार हुई कटौती का फायदा बैंकों ने ग्राहकों को देना शुरू कर दिया है. अब देखना होगा कि इस कटौती का फायदा बैंक ग्राहकों को कब देना शुरू करते हैं. लेकिन जमाकर्ताओं को जरूर आने वाले समय में FD पर कम रिटर्न का दौर देखने को मिल सकता है.

आपको बता दें कि इससे पहले अप्रैल और उससे पहले फरवरी वाली MPC बैठक में RBI ने 0.25-0.25% की कटौती की थी. जिसके बाद रेपो रेट 6.5 पर्सेंट से घटकर 6.0 पर्सेंट पर आ गईं थीं.

इंडस्ट्री जानकार अनुमान लगा रहे थे कि RBI इस बार 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा. लेकिन RBI ने 0.50 पर्सेंट की कटौती कर सभी को चौंका दिया है

इंडियन एक्सप्रेस में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चीफ इकॉनमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने इसका अनुमान दिया था. उन्होंने कहा था, जून 2025 की पॉलिसी में 0.50 पर्सेंट की कटौती कर सकता है. ताकि लोगों के लिए कर्ज लेना आसान हो सके. और आरबीआई ने भी इस कटौती का यही मकसद बताया है.

साथ में कैश रिजर्व रेशियो भी 4 से घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया है. बैंकों को अपनी कुछ नगदी का एक तय हिस्सा आरबीआई के पास रखना होता है. इसे ही CRR कहते हैं. इसमें कटौती से बैंकों के पास 2.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त पूंजी आएगी. यानी लोन के लिए ज्यादा पैसे होंगे.

इसके अलावा आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के लिए महंगाई के अनुमान को 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया गया है. जीडीपी अनुमान 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है. आरबीआई गवर्नर ने आने वाले समय में भूराजनीतिक तनाव और मौसम में अनिश्चितता को संभावित चुनौती बताया है. 

ध्यान देने वाली बात है कि आरबीआई ने अपने नजरिए को 'अकोमोडेटिव' से बदलकर ‘न्यूट्रल’ किया है. अकोमोडेटिव का मतलब होता है या ब्याज दरें जस की तस बनी रहेंगी या फिर उनमें कटौती की जा सकती है. इकॉनमी और महंगाई की स्थिति को देखकर आरबीआई इस पर फैसला करता है. लेकिन न्यूट्रल स्टांस का मतलब हुआ, RBI ब्याज दरें घटा भी सकता है और बढ़ा भी सकता है. मौजूदा एलान के साथ 2025 की छमाही से पहले ही कुल 1 प्रतिशत की कटौती हो गई. ऐसे में अब संशय बना हुआ है कि ये साल की आखिरी कटौती थी या आरबीआई और रहम दिखाएगा.

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा का सुनकर इसकी उम्मीद कम लग रही है. उन्होंने MPC बैठक के घोषणाओं के बाद मीडिया से बात की. इसमें उन्होंने कहा कि धड़ाधड़ 1 प्रतिशत तक की कटौती के बाद मॉनेटरी पॉलिसी के पास ग्रोथ को सपोर्ट देने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं बचा है. आगे की आगे देखेंगे. 

फिलहाल, देश के शेयर बाजार और निवेशकों ने इसे पॉजिटिवली लिया है. एलान के बाद, खबर लिखे जाने तक करीबन 11 बजे सुबह सेंसेक्स 610.29 अंक ऊपर 82,052.87 पर और निफ्टी 203.40 अंक ऊपर 24,954.30 पर कारोबार कर रहा था.

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