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पर्सनल लोन लेने वाले हैं, ये ट्रिक्स EMI में 'एक्स्ट्रा चूना' लगने से बचा लेंगी!

पर्सनल लोन में कई छिपे हुए चार्ज (cheap loan can turn costly) आगे चलकर मुसीबत बन जाते हैं. ये हौले-हौले आपकी जेब पर बड़ा असर डालते हैं. हमने ऐसे ही कुछ छिपे हुए चार्जेज की लिस्ट बनाई है. पर्सनल लोन लेने वाले हैं तो इनको एक बार पढ़ लीजिए.

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पर्सनल लोन के छिपे हुए चार्ज जान लीजिए

पर्सनल लोन लेना अब मिनटों का खेल है. आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा होना चाहिए बस. बैंक की वेबसाइट पर लोन वाले सेक्शन पर क्लिक करते ही फोन घनघनाने लगता है. थोड़ी देर बाद दूसरे बैंकों से भी फोन आने लगते हैं. दूसरे से कम ब्याज दर लगाने का वादा कर कोई न कोई आपको मना ही लेता है. लोन लेने वाला भी बस EMI और ब्याज पर फोकस रखता है. उसे लगता है सब चंगा सी, जबकि असल में पंगा सी. ये पंगे तब अपने पल्ले आते हैं जब हम EMI और ब्याज के अलावा छिपे हुए चार्जेज को (cheap loan can turn costly) नजरअंदाज कर देते हैं.

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यही छिपे हुए चार्ज आगे चलकर मुसीबत बन जाते हैं. ये हौले-हौले आपकी जेब पर बड़ा असर डालते हैं. हमने ऐसे ही कुछ छिपे हुए चार्जेज की लिस्ट बनाई है. पर्सनल लोन लेने वाले हैं तो इनको एक बार पढ़ लीजिए.

प्रोसेसिंग फीस

भाई साहब! ये वो चार्ज है जिसकी चर्चा पहले-पहल नहीं होती है. आप लोन के लिए बैंक में जाएं या NBFC के पास. सब बता देंगे. आखिर में हौले से बताया जाएगा कि सर प्रोसेसिंग फीस भी लगेगी. ये आपके लोन अमाउंट का 1 से 3 फीसद होती है. इसे आपके लोन अमाउंट से काट लिया जाता है. माने कि अगर आपने 1 लाख का लोन लिया हो तो आपको 99 हजार ही मिलेंगे. मगर चुकाना आपको पूरे 1 लाख ही होंगे. इसलिए आप जब भी पर्सनल लोन लेने जाएं तो इस फीस को हटाने के लिए कहें. अगर हट नहीं रही तो अपने लोन अमाउंट से इसे अलग रखें.

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पहले पैसे चुकाए तो भी चार्ज लगेगा

आपने लोन लिया 3 साल के लिए मगर 2 साल में चुकाने पहुंच गए तो भी आपको चार्ज देना होंगे. बैंक की भाषा में इसे प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर चार्ज कहा जाता है. इसका अमाउंट 2 से 5 फीसदी हो सकता है. गुणा-गणित करके देख लीजिए. अगर ये चार्ज आपकी बचत से ज्यादा है तो उल्टे पांव लौट आइए. जितने महीने की ईएमआई है उतने में चुका दीजिए.

छिपा हुआ बीमा

अक्सर पर्सनल लोन के साथ लोन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस या पर्सनल एक्सीडेंट कवर चिपका दिया जाता है. इस बीमे की राशि पर भी आपको ब्याज देना पड़ता है. लोन से पहले इसकी तस्दीक कर लीजिए. ऐसा कोई इंश्योरेंस अनिवार्य नहीं है. एजेंट से कहिए ये चूना अपने चचा को लगाओ.

GST देना होगा

लोन से जुड़े हर चार्ज पर, मसलन प्रोसेसिंग फीस, लेट पेमेंट, प्रीपेमेंट, इंश्योरेंस के ऊपर 18 फीसदी जीएसटी देना होता है. इसका असर लोन चुकाने की कुल रकम पर पड़ता है. आप बहुत सारा पैसा ब्याज सहित चुकाते हैं. इससे बच नहीं सकते इसलिए लोन लेने से पहले ब्याज की दर कम करवाने की कोशिश करें. बोले तो मोलभाव. एक पॉइंट भी कम हुआ तो सब बरोब्बर हो जाएगा.

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लेट पेमेंट चार्ज

EMI बाउंस हुई या पेमेंट में देरी हुई तो बैंक आपसे मोटा पैसा वसूलेगा. इसलिए बैंक में बैलेंस हमेशा बना कर रखिए. अगर कभी EMI बाउंस हो गई तो तुरंत अपने बैंक को बता दीजिए. बैंक पर लेट पेमेंट या बाउंस चार्ज नहीं लगाने का दबाव बनाइए. दबाव इसलिए क्योंकि कानूनी तौर पर आप इससे बच नहीं सकते. मगर बैंक को दरेरा जरूर दे सकते हैं. जैसे, "मैं आपका पुराना ग्राहक हूं. अगर ये चार्ज आपने माफ नहीं किए तो आगे से आपके साथ काम नहीं करूंगा." 

ये ट्रिक काम आती है. आजमा कर देख लीजिए.

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