आजकल बैंक खाते (Bank account nominee) से लेकर एफडी, डीमैट खाते, म्यूचुअल फंड, पीएफ जैसी तमाम चीजों में नॉमिनी भरने को कहा जाता है. म्यूचुअल फंड और डीमैट खातों के लिए नॉमिनी (Mutual fund nominee last date) बनाने या अपडेट करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर है. उसके बाद नॉमिनी बनाया या अपडेट नहीं किया जा सकेगा.
30 सितंबर तक पैसे/प्रॉपर्टी का नॉमिनी चुन लें, वर्ना परिवार को होगी बड़ी दिक्कत
म्यूचुअल फंड और डीमैट खातों के लिए नॉमिनी बनाने या अपडेट करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर है. उसके बाद नॉमिनी बनाया या अपडेट नहीं किया जा सकेगा.

हालांकि, कई लोग नॉमिनी हल्के में लेते हैं और नॉमिनी भरना जरूरी नहीं समझते. अगर आप भी ऐसे ही लोगों में हैं तो सावधान हो जाइए. छोटी सी लापरवाही से आपकी मेहनत की कमाई यूं ही बैंकों में पड़ी रह जाएगी. नॉमिनी बनाना जरूरी क्यों होता है, इसके क्या फायदे होते हैं ये बताएंगे, उससे पहले जान लेते हैं कि नॉमिनी क्या होता है.
किसी भी शख्स की मृत्यु के बाद उसकी प्रॉपर्टी या इनवेस्टमेंट जिस शख्स को ट्रांसफर होती हैं वो नॉमिनी कहलाता है. नॉमिनी बनाकर आप ये सुनिश्चित करते हैं कि आपके ना रहने पर आपके पैसे या प्रॉपर्टी बैंकों में पड़े रहने की बजाय घर परिवार के सदस्य को मिल जाएं. आर्थिक मदद के लिए उन्हें किसी और पर निर्भर न रहना पड़े. खाताधारक की मृत्यु होने पर पैसा/शेयर/प्रॉपर्टी नॉमिनी को ट्रांसफर कर दी जाती है.
ऐसी स्थिति में सभी तरह की संपत्ति पर कानूनी उत्तराधिकारी का अधिकार होगा. हालांकि, ऐसा नहीं है कि खाताधारक की मृत्यु होने पर बेटा/बेटी को मिनटों में सारा असेट/ प्रॉपर्टी ट्रांसफर हो जाएगी. वारिस होने के बावजूद उस पैसे या प्रॉपर्टी पर अपना हक साबित करने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं.
परिवार के सदस्यों को वसीयत (Will) दिखानी होती है और साबित करना होता है कि उस प्रॉपर्टी या पैसों के असल हकदार वही हैं. कोर्ट कचहरी के कई चक्कर लगाने के बाद ही प्रॉपर्टी के असली हकदार को संपत्ति मिल पाती है. दूसरी तरफ, अगर खाताधारक ने शुरू में ही नॉमिनी का नाम दे दिया है तो बिना किसी भागदौड़ के आसानी से प्रॉपर्टी/असेट (Propery transfer) उसके नाम ट्रांसफर हो जाती है. इसलिए अगली बार से जब भी आपके सामने नॉमिनी भरने को कहा जाए तो उसे हल्के में कतई ना लें. पूरी जिम्मेदारी से नॉमिनी का नाम भरें और उसे इसकी जानकारी भी दे दें.
कई बार ऐसा होता है कि लोग नॉमिनी तो बना लेते हैं. मगर खुद नॉमिनी को इसकी जानकारी नहीं होती. ऐसे में खाताधारक की मृत्यु के बाद नॉमिनी को मालूम ही नहीं होता कि वो किसी प्रॉपर्टी, असेट या क्लेम के हकदार हैं. और वो पैसे बैंक के पास वैसे ही पड़े रहते हैं. पत्नी, बेटे या बेटी को ही क्यों ना हकदार बनाना हो, उसका नाम भी नॉमिनी में ही दें. इससे उन्हें खुद को हकदार साबित करने के लिए भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी. असेट या प्रॉपर्टी आसानी से उन्हें ट्रांसफर हो जाएगी.
- माता-पिता से लेकर पत्नी-पति, बच्चे या दोस्त के नाम नॉमिनी के रूप में दर्ज करा सकते हैं.
- अगर किसी नाबालिग को नॉमिनी बनाया गया है तो किसी वयस्क को उसके गार्जियन के तौर पर नियुक्त करना जरूरी होता है.
- एक से ज्यादा लोगों को नॉमिनी के तौर पर नियुक्त कर सकते हैं. मगर फीसदी में ये भी बताना होगा कि किस नॉमिनी को कितना फीसदी हिस्सा मिलेगा.
- जॉइंट अकाउंट की स्थिति में अकाउंट होल्डर की मृत्यु होने पर फर्स्ट होल्डर को पहले और उसके बाद ही नॉमिनी को प्रॉपर्टी का हक मिलता है.
- जब चाहें तब नॉमिनी का नाम बदल सकते हैं.
- प्रॉपर्टी के मामले में अगर नॉमिनी बनाया गया है तो ठीक, नहीं तो कानूनी अधिकार पर संपत्ति का बंटवारा होता है.
- किसी NRI को भी नॉमिनी बना सकते हैं. मगर उसे पैसे ट्रांसफर करने से पहले आरबीआई की मंजूरी लेनी होगी.
ज्यादातर मामलों में तो सेवा लेते समय शुरू में ही खाताधारक से नॉमिनी भरने को कहा जाता है. अगर शुरुआत में नॉमिनी नहीं भरा है तो बाद में भी जानकारी दे सकते हैं.
बैंक खाता (Bank account): अगर बैंक अकाउंट में नॉमिनी बनाना है चाहते हैं तो नेट बैंकिंग या बैंक के ऐप पर ही नॉमिनी भरने की सुविधा दी हुई है. अगर नॉमिनी का विकल्प ढूंढने में दिक्कत आ रही है तो बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर फोन करके तरीका पूछ सकते हैं.
फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit): एफडी कराते समय भी नॉमिनी की डिटेल मांगी जाती है. हालांकि, यहां आप सिर्फ एक व्यक्ति को ही नॉमिनी बना सकते हैं.
प्रोविडेंट फंड (Provident Fund): एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड/एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम के सदस्यों को भी नॉमिनी देना जरूरी होता है. PF खाताधारक की मृत्यु पर नॉमिनी को पीएफ के साथ-साथ पेंशन फंड के पैसे भी मिलते हैं.
इंश्योरेंस पॉलिसी (Insurance Policy): बीमा के मामले में नॉमिनी की महत्ता तो सबसे ज्यादा होती है. किसी अप्रिय घटना में बीमाकर्ता की मृत्यु होने पर बीमा के सारे पैसे नॉमिनी को ही मिलते हैं. इंश्योरेंस देते समय बीमाकर्ता नॉमिनी भरवाते हैं. इसमें नॉमिनी का नाम, उससे संबंध की जानकारी देनी होती है.
डीमैट अकाउंट (Demat account): शेयरों की खरीद बिक्री के लिए डीमैट अकाउंट बनाया जाता है. डीमैट खाते का भी नॉमिनी बनाना होता है. डीमैट खातों की जानकारी रखने वाली NSDL की वेबसाइट eservices.nsdl.com के जरिए नॉमिनी की जानकारी भर या अपडेट कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund): AMFI की वेबसाइट के मुताबिक म्यूचुअल फंड के इनवेस्टर तीन नॉमिनी बना सकते हैं. ये भी बताना होगा कि सभी नॉमिनी को किस अनुपात में यूनिट्स का बंटवारा होगा.