बीमा करा लो…, बीमा तो सबके पास होना चाहिए…, बीमा नहीं लिया है तो ले लो…, बीमा ये बीमा वो... सोशल मीडिया पर आपको ये ज्ञान थोक के भाव मिल रहा होगा. अच्छी चीज है, इसमें कोई बुराई नहीं है. लेकिन दिक्कत ये है कि कोई ये नहीं बता रहा कि छोटी-छोटी गलतियों के चलते लाखों करोड़ों का बीमा होने के बाद भी आपका परिवार उसे क्लेम नहीं कर पाएगा.
टर्म इंश्योरेंस लेते वक्त ये होशियारी दिखाई तो आपके परिवार के हक का पैसा कोई मार नहीं पाएगा
कई बार ऐसा होता है कि पॉलिसीहोल्डर ने लोन लिया हुआ है या कोई देनदारी बकाया है. अब किसी घटना दुर्घटना में उसकी मौत होती है तो कर्जदार पैसा वसूली के लिए बीमा के पैसों पर भी दावा कर देते हैं.

ऐसी ही एक गलती है पॉलिसी क्लेम के पैसों को कर्जदारों से प्रोटेक्ट ना करना. कई बार ऐसा होता है कि पॉलिसीहोल्डर ने लोन लिया हुआ है या कोई देनदारी बकाया है. अब किसी घटना दुर्घटना में उसकी मौत होती है तो कर्जदार पैसा वसूली के लिए बीमा के पैसों पर भी दावा कर देते हैं.
इस वजह से जिन्हें वित्तीय सुरक्षा देने के लिए बीमा कराया जाता है वो कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते रह जाते हैं. अगर आप भी टर्म इंश्योरेंस लेने जा रहे हैं तो आपको आज एक ट्रिक बताने जा रहे हैं. इससे ये श्योर हो जाएगा कि बीमा के पैसे सिर्फ और सिर्फ आपके परिवार वालों को ही मिले. ट्रिक का नाम है मैरिड वुमंस प्रॉपर्टी एक्ट (MWP Act). इस एक्ट का इस्तेमाल करके बीमाधारक परिवार वालों खासकर पत्नी और बच्चों के लिए सेफ्टी नेट तय कर सकता है.
मैरिड वुमन प्रॉपर्टी एक्ट 1874 में लागू हुआ था. मकसद था, विवाहित महिलाओं की संपत्ति विशेष रूप से सुरक्षित रहे. उनका पति या कोई और कर्जदार उनकी संपत्ति हथिया ना पाए. लेकिन इस कानून का एक और फीचर है जो आपके काम का है. ये कानून महिलाओं को कुछ खास किस्म की संपत्तियों पर विशेष अधिकार देता है. खास संपत्तियों में इंश्योरेंस पॉलिसी भी आती हैं. भले ही पॉलिसी पति ले रहा हो, अगर उसने MWP ऑप्शन चुन लिया तो उस पर पहला अधिकार पत्नी का हो जाएगा.
MWP कानून कहता है कि पति के नाम पर ली हुई टर्म पॉलिसी के फायदे खासकर पत्नी और बच्चों के नाम किए जा सकते हैं. इसके जरिए पॉलिसीहोल्डर सुनिश्चित कर सकता है कि कोई थर्ड पार्टी क्लेम पर दावा न करे. बीमा के पैसे उसके परिवार वालों को ही मिले.
कई बार ऐसा होता है कि इंश्योर्ड शख्स की डेथ होने पर कई दावेदार आ जाते हैं. और क्लेम की रकम पाने के लिए कोर्ट कचहरी तक पहुंच जाते हैं. और परिवार वाले अपने को खोने के दर्द के बीच कानूनी पचड़ों से डील कर रहे होते हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपके परिवार वालों को ऐसी स्थिति से ना गुजरना पड़े तो आप ये ऑप्शन चुन सकते हैं. MWP एक्ट टर्म इंश्योरेंस में सेफ्टी की एडिशनल लेयर जोड़ देता है. MWP ऑप्शन लेने पर क्या होगा?
1. बीमा के पैसों पर कर्जदाता का दावा नहीं
मान लेते हैं एक शख्स ने टर्म पॉलिसी खरीदी. उसने किसी काम के लिए लोन या कर्जा ले रखा है. अब अगर इस शख्स की डेथ होती है तो कर्जदाता बीमा के पैसों पर दावा ठोकने आ जाएंगे. लेकिन अगर शख्स ने पॉलिसी लेते वक्त MWP एक्ट चुना है तो कर्जदाता बीमा के पैसों पर दावा नहीं ठोक सकते.
2. बेनेफिशियरी को ही मिलेगा फायदा
बीमाधारक MWP एक्ट के तहत अपनी पत्नी और बच्चों को बेनेफिशियरी बना सकता है. इस एक्ट के तहत बेनेफिशियरी बनाने पर ये पक्का हो जाएगा कि बीमा के पैसे किसी और को ना मिलें. इससे बीमाधारक व्यक्ति की मौत के बाद उसकी पत्नी और बच्चों के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हो जाएगी.
- इस एक्ट के तहत पॉलिसी लेते वक्त एक बार पत्नी और बच्चे को बेनेफिशियरी बना दिया फिर बाद में नॉमिनी बदल नहीं सकते.
- पॉलिसी होल्डर के कर्जे या देनदारी के सेटलमेंट के लिए बीमा के पैसों को नहीं यूज किया जा सकता.
- सिर्फ और सिर्फ नामित लाभार्थी ही बीमा के पैसों का फायदा उठा सकते हैं.
कोई भी शादीशुदा आदमी MWP एक्ट का फायदा उठा सकता है. उसे कुछ जरूरी फॉर्म भरने होंगे और आपकी पॉलिसी एक्ट के दायरे में आ जाएगी. ध्यान रखें कि MWP एक्ट सिर्फ पॉलिसी इशू कराते वक्त ही चुन सकते हैं. पॉलिसी इशू कराने के बाद ये ऑप्शन नहीं चुन सकते.
Step 1: टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी चुनें.
Step 2: पॉलिसी लेते वक्त MWP Addendum फॉर्म भरना होगा. ये फॉर्म बीमा कंपनी के पास ही मिल जाएगा.
Step 3: बेनेफिशियरी वाले कॉलम में पत्नी और बच्चों के नाम लिखें.
Step 4: आईडी प्रूफ और बच्चों और पत्नी के साथ संबंध साबित करने के लिए रिलेशनशिप प्रूफ देना होगा.
फॉर्म जमा करने के बाद आपका बीमा MWP एक्ट में कवर हो जाएगा. यानी कल को आपको कुछ होता है तो उन पैसों पर बीवी और बच्चों के अलावा कोई दावा नहीं ठोक सकेगा.
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